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ताड़ झाड़

14 जून 2022

19 बार देखा गया 19

बे तुके किस तरह कहाएँगे।

बे तुकी जो नहीं सुनाएँगे।1।


तो कहे जाएँगे जले तन क्यों।

आग घर में न जो लगाएँगे।2।


है बढ़ाना समाज को आगे।

पाँव पीछे न क्यों हटाएँगे।3।


हैं बड़े, नाम है बड़प्पन में।

लाल अपने न क्यों लुटाएँगे।4।


बीर हैं, आँख में लहू उतरे।

क्यों न सगे का लहू बहाएँगे।5।


हैं दुखी, हो गयी जलन दूनी।

लड़कियों को न क्यों जलाएँगे।6।


जब बड़े आन बान वाले हैं।

अनबनों को न क्यों बढ़ाएँगे।7।


लीडरी किस तरह सकेगी बच।

फूट की जड़ न जो जमाएँगे।8।


देस को पार जब लगाना है।

जाति को क्यों न तो डुबाएँगे।9।


क्यों मिलेगा स्वराज, सब हिन्दू।

जो न नाकों चने चबाएँगे।10।

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रचनाएँ
फूल पत्ते
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इस कविता में हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने ऊँचे कुल में जन्म लेने का घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि मनुष्य का वंश नहीं बल्कि उसके कर्म उसे संसार में प्रसिद्धि दिलाते हैं।
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पी कहाँ

14 जून 2022
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श्याम घन में है किसकी झलक। कौन रहता है रस से भरा। लुभा लेती है धरती किसे। दुपट्टा ओढ़ ओढ़ कर हरा।1। बड़ी अंधियारी रातों में। बन बहुत आँखों के प्यारे। बैठ कर खुले झरोखों में। देखते हैं किसको त

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बटोही

14 जून 2022
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सुनो ठहरो जाते हो कहाँ। राह अटपट है काँटों भरी। रात आई अँधियारा हुआ। सामने है पहाड़ की दरी।1। चोर फिरते हैं चारों ओर। खड़े हैं जहाँ तहाँ बटपार। मिलेगी कुछ आगे ही गये। पहाड़ी नदियों की खर धार।

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दुखड़े

14 जून 2022
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ओढ़ काली चादर आई। देख कर के मुझ को रोती। पड़ी उस पर दुख की छाया। रात कालापन क्यों खोती।1। जान पड़ता है दर देखे। निगलने को मुँह बाता है। बहुत मेरा प्यारा जो था। घर वही काटे खाता है।2। करवटे

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निराले नाते

14 जून 2022
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रात मुख उजला क्यों होता। जो न तारे गोदी भरते। दिशा क्यों हँसती दिखलाती। चंद घर अगर नहीं करते।1। गगन मुख लाली क्यों रहती। ललाई जो न रंग करती। भोर सिर पर सेहरा बँधाते। माँग ऊषा की है भरती।2।

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मनमाना

14 जून 2022
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कभी है नया जाल बिछता। कभी फंदे हैं पड़ जाते। कभी कोई कमान खिंचती। तीर पर तीर कभी खाते।1। मोहनी कभी मोहती है। कभी मनमोल लिया जाता। कभी मोती जैसा आँसू। पत्थरों को है पिघलाता।2। कभी कुछ टोना

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दुखदर्द

14 जून 2022
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लगी है अगर आँख मेरी। किसलिए आँख नहीं लगती। किस तरह आते हैं सपने। रात भर जब मैं हूँ जगती।1। उजाला अंधा करता है। मेंह में जलती रहती हूँ। नहीं खुलता है मुँह खोले। न जाने क्या क्या कहती हूँ।2।

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टूटे तार

14 जून 2022
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उँगलियों से छिड़ते जिस काल। सुधा की बूँदें पाते कान। धुन सुने सिर धुनते थे लोग। तान में पड़ जाती थी जान।1। रगों में रम जाती थी रीझ। कंठ का जब करते थे संग। मीड़ जब बनते मिले मरोड़। थिकरने लगती

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भेद की बातें

14 जून 2022
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फूल के पास जायँगे कैसे। देख काँटे उठे डरेंगे जो। मिल सकेगा उन्हें न रस कैसे। भौंर सा भाँवरें भरेंगे जो।1। क्यों दिलों में न घर बना लेंगे। जो निराली फबन दिखाते हैं। वे सकेंगे न रंग रख कैसे। फू

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प्यार के लिए प्यार

14 जून 2022
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रो रहा है बहा बहा आँसू। या कि है वह पिरो रहा मोती। हित नहीं सूझता उसे अपना। प्यार को आँख क्या नहीं होती?।1। वे लगाये लगन लगी कैसे। क्यों लहू घूँट लोग पीते हैं। आँख जिस की कभी न उठ पाई। क्यों

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उलाहने

14 जून 2022
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प्यास से सूख है रहा तालू। दिल किसी का न इस तरह छीलो। सामने है भरा हुआ पानी। पर कहाँ यह कहा कि तुम पी लो।1। चाहता एक बूँद ही जो है। पीर उसकी गयी न पहचानी। किसलिए तो बरस गये बादल। जो पपीहा न पा

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बिखरे फूल

14 जून 2022
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बिना छेदे बेधो बाँधो। किसी ने कब गजरे पहने। नहीं गोरेपन के भूखे। क्यों बनें वे तन के गहने।1। दूसरों का मन रखने को। किसलिए बनें अनमने वे। जिसे बनना हो वह बन ले। गले का हार क्यों बनें वे।2।

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मन का मोल

14 जून 2022
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कह सका कौन पेट की बात। भेद कोई भी सका न खोल। कौन अपने मतलब को भूल। किसी के जी को सका टटोल।1। दिखाता कोई सुन्दर रूप। सुनाता कोई धन की बात। बोलियाँ मीठी मीठी बोल। रिझाता था कोई दिन रात।2। हा

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मोती के दाने

14 जून 2022
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हमारे मोती के दाने। भला किसने हैं पहचाने। लाख माँगें पर माँगें कब। मोल मिलते हैं मनमाने।1। किसी के दिल को क्यों छू दें। किसी का मुँह कैसे मूँदें। धूल में मिल जाने वाली। गाल पर गिरतीं कुछ बँदे

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आँसू - 1

14 जून 2022
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बहुत ही हम घबराते हैं। कलप कर के रह जाते हैं। कलेजा जब दुख जाता है। आँख में आँसू आते हैं।1। बे तरह दुख से घिरते हैं। आँख से तो क्यों गिरते हैं। क्यों भरम खो करके अपना। आँख में आँसू फिरते हैं।

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आँसुओं की माला

14 जून 2022
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कलेजे मैंने देखे हैं। टटोले जी मैंने कितने। काम सबने रस से रक्खा। मिले मिलने वाले जितने।1। सुनी मीठी मीठी बातें। चाव बहुतों में दिखलाया। मिले सुन्दर मुखड़े वाले। प्यार सच्चा किस में पाया।2।

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दो बूँद

14 जून 2022
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न उसको मोती की है चाह। न उसको है कपूर से प्यार। नहीं जी में है यह अरमान। तू बरस दे उस पर जल धार।1। स्वाति घन! घूम घूम सब ओर। आँख अपनी तू मत ले मूँद। बहुत प्यासा बन चोंच पसार। चाहता है चातक दो

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कोकिल

14 जून 2022
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बने रहते हो मतवाले। कौन से मद से माते हो। रात भर जाग जाग कर के। कौन सा मंत्र जगाते हो।1। आम की डालों पर बैठे। बोलते नहीं अघाते हो। बौर को देख देख कर के। बावले क्यों बन जाते हो।2। किस तरह स

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प्रबोध

14 जून 2022
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किसी की ही सुनता कैसे। सभी की जो सुन पाता है। एक का वह होगा कैसे। जगत से जिसका नाता है।1। उसे दो बूँदें दे देना। भला कैसे भारी होता। बहुत सा जल बरसा कर जो। ताप धरती का है खोता।2। समझ तू इत

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पपीहे की पिहक

14 जून 2022
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मर रहा है कोई मुझ पर। कब भला यह जी में आया। थक गये पी पी कहते हम। पर कहाँ पी पसीज पाया।1। बहुत जल हैं समुद्र पाते। पहाड़ों को तर करता है। न हम ने दो बूँदें पाईं। भरे को वह भी भरता है।2। कल

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फूल - 2

14 जून 2022
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किसलिए दिया सरग को छोड़। हो गयी कैसे ऐसी भूल। कह रहे हो क्या मुँह को खोल। क्या बता दोगे हम को फूल।1। रंग ला दिखलाते हो रंग। दिलों को ले लेते हो मोल। खींच कर जी को अपनी ओर। कौन सा भेद रहे हो ख

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हँसते फूल

14 जून 2022
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बरस जाये बादल मोती। या गिराये उन पर ओले। कीच में उन्हें डाल दे या। सुधा जैसे जल से धो ले।1। हवा उन को चूमे आकर। या मिला मिट्टी में देवे। डाल दे उन्हें बलाओं में। या बलाएँ उन की लेवे।2। लुभ

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दिल

14 जून 2022
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बरस पड़ते उन को देखा। पड़ा था रस जिन के बाँटे। खिले जो मिले गुलाबों से। खटकते थे उन के काँटे।1। भरी पाईं उन में भूलें। दिखाये जो भोले भाले। चाँद जैसे जो सुन्दर थे। मिले उन में धब्बे काले।2।

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कसौटी

14 जून 2022
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साँवला कोई हो तो क्या। अगर हो ढंगों में ढाला। करेगा क्या गोरा मुखड़ा। जो किसी का दिल हो काला।1। बड़ी हों या होवें छोटी। भले ही रहें न रस वाली। चाहिए वे आँखें हमको। प्यार की जिनमें हो लाली।2।

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लाल

14 जून 2022
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घिरा अँधियारा होवे दूर। जाय बन उजली काली रात। चाँद सा मुखड़ा जिसका देख। जगमगाये तारों की पाँत।1। जाय खुल बन्द हुई सब राह। बसें फिर से उजड़े घर बार। लग गये जिसका न्यारा हाथ। देस का होवे बेड़ा

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फूल - 3

14 जून 2022
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फूल तुम हो सुहावने सरस। नहीं प्यारे लगते हो किसे। लुभा लेते हो किसको नहीं। हो न किस की आँखों में बसे।1। तुम्हारी चाह नहीं है कहाँ। चढ़े हो किस के सिर पर नहीं। न भोले भाले तुम से मिले। न तुम स

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कामना

14 जून 2022
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बन सकें, सब दिन उतना ही। दिखाते हैं सब को जितना। सभी जिससे नीचा देखे। न माथा ऊँचा हो इतना।1। वार पर वार न कर पाये। न लहू पी कर हो सेरी। न बन जाएँ तलवारों सी। भवें टेढ़ी हो कर मेरी।2। भरें

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नोक झोंक

14 जून 2022
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न मेरी बात सुनते हैं न अपनी वे सुनाते हैं। न जाने चाहते क्या हैं। न जाने क्यों सताते हैं।1। कलेजा जल गया तो जाय। जले पर क्यों जले आँसू। न जाने किसलिए वे आग। पानी में लगाते हैं।2। अगर मुँह

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पार है

14 जून 2022
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बीन में तेरी भरी झनकार है। बज रहा मेरी रगों का तार है।1। यों भवें क्यों हैं नचाई जा रहीं। आज किस पर चल रही तलवार है।2। जायगी मेरी खबर उन तक पहुँच। लग गया अब आँसुओं का तार है।3। फूल मुँह से

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देख भाल

14 जून 2022
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टल सकी किस की मुसीबत की घड़ी। है बला किस के नहीं सिर पर खड़ी।1। आदमी जिससे कि जीता ही रहे। मिल सकी कोई नहीं ऐसी जड़ी।2। दिल छिले, उस के लगे, साटे पड़े। हो भले ही फूल की कोई छड़ी।3। जब लड़ी

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छल

14 जून 2022
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टटोले गये सैकड़ों दिल। बहुत हम ने देखा भाला। प्यार सच्चा पाया किस में। याँ सभी है मतलब वाला।1। विहँस किरणों को फूलों ने। गोद में अपनी बैठाला। न जाना था बेचारों ने। छिनेगी मोती की माला।2।

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हँसी

14 जून 2022
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रँगीली तितली पर, जिसको। रंग दिखलाना भाता है। घूमने वाले भौंरों पर। भाँवरे जो भर जाता है।1। चिटख जाते दिखलाते हो। या कि आवाज कसते हो। सको बतला तो बतला दो। फूल तुम किस पर हँसते हो।2।

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मातम

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बनों में जिस से रही बहार। बाग का जो था सुन्दर साज। मसल क्यों उस को देवे पाँव। सजे थे जिससे सर के ताज।1। बनी जिस से अलबेली बेलि। फबन जिससे पाते थे रूख। धूल में उसको मिलता देख। सकेगा कैसे आँसू

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दुख दर्द

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रही वह प्यारी रंगत नहीं। जहाँ रस था अब रज है वहाँ। किसलिए भौंरे आवें पास। बास अब फूलों में है कहाँ।1। धूल में कुम्हलाया है पड़ा। चाहती थीं वे जी से जिसे। साड़ियाँ बड़ी सजीली पैन्ह। तितलियाँ न

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वह फूल

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धूल सिर पर उड़ा उड़ा कर के। है उसे वायु खोजती फिरती। है कभी साँस ले रही ठंढी। है कभी आह ऊब कर भरती।1। हो गयी गोद बेलि की सूनी। है न वह रंग बू न तन है वह। बे तरह हैं खटक रहे काँटे। पत्तियों मे

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खिली कली

14 जून 2022
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किसलिए आई दुनिया में। बला जो टली नहीं टाले। दुखों से गला जो न छूटा। सुखों के पडे रहे लाले।1। किसलिए दिखलाई रंगत। रंग जो सदा न रह पाया। धूल में जो मिल जाना था। फूल कर तो क्या फल पाया।2। गोद

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कसकते काँटे

14 जून 2022
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बुरे रंगों में जो रँग दें। न जी में उठें तरंगें वे। भरी बदबू से जो होवें। धूल में मिलें उमंगें वे।1। दिखाते बने न जिससे मुँह। न होवे ऐसी मनमानी। क्यों उठें वे लहरें जी में। उतर जाय जिससे पानी

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उड़ती छींटें

14 जून 2022
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कम नहीं है किसी कसाई से। जो गला और का रहे कसते। किस तरह जान बच सके उनसे। जो कि हैं साँप की तरह डँसते।1। वे करेंगे न लाल किसका मुँह। जो सदा मारते रहे चाँटे। वे चुभेंगे भला नहीं कैसे। राह के जो

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चेतावनी

14 जून 2022
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है समझ आज घर बसा न रही। राह पर है हमें लगा न रही।1। जागते क्यों नहीं जगाने से। जाति क्या है हमें जगा न रही।2। तब भला क्यों हवा न हो जाते। जब हमारी बँधी हवा न रही।3। बे तरह हो रहे दुखी क्यो

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नशा

14 जून 2022
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पीना नशा बुरा है पीये नशा न कोई। है आग इस बला ने लाखों घरों में बोई।1। उसका रहा न पानी। जिसने कि भंग छानी। क्यों लाख बार जाये वह दूध से न धोई।2। चंड की चाह से भर। किस का न फिर गया सर। पी कर

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कड़वा घूँट

14 जून 2022
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जब कि पटरी ही नहीं है बैठती। तब पटाये जाति से कैसे पटे। वे चले हैं कान सबका काटने। देस की है नाक कटती तो कटे।1। मुँह बना रखते रहेंगे बात वे। जाति मुँह की खा रही है खाय तो। वे उचक तारे रहेंगे त

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ताड़ झाड़

14 जून 2022
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बे तुके किस तरह कहाएँगे। बे तुकी जो नहीं सुनाएँगे।1। तो कहे जाएँगे जले तन क्यों। आग घर में न जो लगाएँगे।2। है बढ़ाना समाज को आगे। पाँव पीछे न क्यों हटाएँगे।3। हैं बड़े, नाम है बड़प्पन में।

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मुँह काला

14 जून 2022
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भरी नटखटी रग रग में है। एक एक रोआँ है ऐंठा। उस के जी में सब पाजीपन। पाँव तोड़ कर के है बैठा।1। वह कमीनपन का पुतला है। ढीठ, ऊधमी बैठा ठाला। झूठा, नीच, कान का पतला। बड़ा निघरघट मद मतवाला।2।

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काला दिल

14 जून 2022
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चितवन क्या तो भोली भाली। पड़ा कलेजे में जो छाला। आँखों से तो क्या रस बरसा। पीना पड़ा अगर विष प्याला।1। आग सी लगाते हैं जी में। जब थोड़ा आगे हैं बढ़ते। होठ क्या रँगें लाल रंग में। बोल बड़े कड़

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अपने दुखड़े - 1

14 जून 2022
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बात अपनी किसे बताएँगे। हाल घर का किसे सुनाएँगे।1। जो सके सुन न आप दुख मेरा। क्यों कलेजा निकाल पाएँगे।2। जब कि हम आँख देख लेवेंगे। लोग आँखें न क्यों दिखाएँगे।3। जब गयी आँख तब नहीं क्यों हम।

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डाँट डपट

14 जून 2022
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रंग लाते नये नये क्यों हैं। किसलिए हैं उमंग में आते। जो दिलों में पड़े हुए छाले। छातियाँ छेद ही नहीं पाते।1। किसलिए साँस फूलती है तो। जो सितम की जड़ें नहीं खनतीं। एक बे पीर के लिए साँसत। जो न

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भिखारिणी

14 जून 2022
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उमगती हँसती आती हूँ। अनूठा गजरा लाती हूँ। भरा आँखों में हो आँसू मगर मोती बरसाती हूँ।1। बाल हों बुरी तरह फैले। अंग होवें मेरे मैले। फटे सारे कपड़े होवें मगर फूली न समाती हूँ।2। ठोकरें पर ठोकर

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एक भिखारी

14 जून 2022
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चाल चल चल कर के कितनी। मैं नहीं माल मूसता हूँ। घिनाये क्यों मुझसे कोई। मैं नहीं लहू चूसता हूँ।1। फटे कपड़े मेरे होवें। भाग मेरा होवे फूटा। बता दो लोट पोट कर कब। किसी का घर मैंने लूटा।2। दा

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बेतुकी बातें - 1

14 जून 2022
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जब लगा तार तार ही टूटा। और झनकार फूट कर रोई। जब कि बोली न बोल की तूती। किसलिए बीन तब बजी कोई।1। जो निछावर हुई नहीं तितली। जो न भर भाँवरें भँवर भूला। रंग बू है अगर नहीं रखता। तो कहीं फूल किसलि

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फूल-पत्ते

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है जिन्हें तोड़ना भले ही वे। तोड़ लें आसमान के तारे। ये फबीले इधर उधर फैले। फूल ही हैं हमें बहुत प्यारे।1। दिन अँधेरा भरा नहीं होता। जगमगातीं नहीं सभी रातें। है खुला दिल खुली हुई आँखें। फिर क

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पागल

14 जून 2022
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बाल को साँप समझते हैं। तनी भौंहों को तलवारें। तीर कहते हैं आँखों को। भले ही वे उनको मारें।1। नाक उड़ जाये पर वे तो। नाक को कीर बताएँगे। कान मल दे कोई पर वे। कान को सीप बनाएँगे।2। इस उपज की

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