shabd-logo

ताऊ वाली कॉफी

4 सितम्बर 2022

78 बार देखा गया 78

आज का विषय है कॉफी और दोस्ती। इस विषय पर बात करने से पहले बताती चलूँ कि हमें तो बचपन से ही चाय का चस्का है। क्योंकि बचपन से ही देखते आये कि घर आये मेहमान हो या नाते-रिश्तेदार जब तक उन्हें चाय-पानी नहीं पिला लेते तब तक न घर वालों की और न उनकी कोई भी बात आगे बढ़ पाती थी और न पूरी होती थी। एक बार चाय की चुस्की क्या ली कि कि उनके शरीर में ऐसी फुर्ती आती थी कि घंटों बीत जाते लेकिन उनकी बातें पूरी ही नहीं हो पाती थी। ये सब चाय का कमाल था, जिसे शब्दों में व्यक्त करना किसी के लिए भी आसान नहीं होता। अब बात करती हूँ कॉफी की। मुझे याद है जब हम छोटे थे, तब हमारे घर ताऊ जी आते तो केवल उनके लिए कॉफी बनायीं जाती थी। क्योँकि उन्हें कॉफी पीने का बड़ा शौक था। इसके लिए उन्होंने हमारे घर में नेस्कैफे की एक शीशी रख छोड़ी थी। हमारे घर में गाय पली थी तो दूध पर्याप्त रहता था। इसलिए ताऊ जी जब भी आते तो उनके लिए स्पेशली कॉफ़ी बनायी जाती थी। उनके आने पर जब माँ उनके लिए कॉफी बनाने किचन में जाती तो मुझे एक गिलास में कॉफी का पॉउडर डालकर उसे फेंटने को दे देती। क्योँकि वे जानती थी कि कॉफी फेंटने में मुझे बड़ा मजा आता है। मेरे लिए तो वह एक खेल जैसा था। इससे माँ का काम भी आसान होता और मेरा भी खेल हो जाता। माँ  दूध को खूब खौलाकर उसमें फेंटी कॉफी डालती और फिर जब ताऊ जी के सामने गिलास में गरमागरम कॉफी रखकर जाती तो मैं चुपके से उनके पास आकर कॉफी की उड़ती खुश्बू सूँघने लगती, तो ताऊ जी समझ जाते कि मुझे भी थोड़ी कॉफी चाहिए। वे फ़ौरन दूसरा गिलास मँगवाते और थोड़ी कॉपी उसमें डाल कर मुझे पकड़ा देते, जिसे मैं जोर-जोर से सुर्र-सुर्र कर सुड़की मारने बैठ जाती तो आवाज सुनकर माँ किचन से मुझे डाँट लगाती और हिदायत देती कि कॉफी पीना अच्छी बात नहीं है। यह सुनकर ताऊ हंसने लगते तो मैं जल्दी-जल्दी बिना आवाज किये एक लम्बी सुड़की लगाकर कॉफी ख़त्म कर गिलास मैं को पकड़ा आती।

बचपन में ताऊ जी के कॉफी पीने के शौक के चलते उनके घर आने पर ही थोड़ी-थोड़ी कॉफी पीने को मिलती थी। लेकिन जब बड़े हुए और स्कूल से कॉलेज पहुंचे तो फिर सहेलियों के साथ कभी-कभार इंडियन कॉफी हाउस चले जाते थे, जहाँ कॉफी पीते हुए गप्पियाने के साथ ही कॉफी और दोस्ती के मायने भी समझ आता था। कॉफी पीने से पहले विशेष तौर पर सामूहिक रूप से डोसा मंगवाकर एक साथ खाना भी बड़ा अच्छा लगता था। क्योंकि किसी के पास इतने पैसे तो होते नहीं थे कि अलग-अलग मंगवाकर खा सके। लेकिन सहेलियों के साथ मिलकर थोड़े-थोड़े पैसे इकट्ठे कर कॉफी और डोसा खाने में जो मजा आता था, वह आज जब भी हम परिवार के साथ इंडियन कॉफ़ी हाउस जाते हैं तो न वह ताऊ वाली कॉफी का स्वाद और मिठास मिलता है और सहेलियों के साथ वाली बात मिलती है।  

बलवीर सिंह नेगी

बलवीर सिंह नेगी

ओहो, अरे हमारे भी गाड़ी भी नहीं चलती भई चाय-कॉफ़ी के बिना .................

4 सितम्बर 2022

Dharmendra Kumar manjhi

Dharmendra Kumar manjhi

एक कप चाय हो या कॉफी शरीर का आलस भगाने के लिए काफी है

4 सितम्बर 2022

Aditi Rawat

Aditi Rawat

कॉफी तो मुझे भी बहुत पसंद है

4 सितम्बर 2022

21
रचनाएँ
समसामयिक लेख (दैनन्दिनी-सितम्बर, 2022)
5.0
माह सितम्बर की दैनन्दिनी में 'गणेशोत्सव' और 'नवरात्रि महोत्सव' के रंग में रंगकर पर्वों का आनंद जरूर उठाइए, लेकिन इतना ख्याल रखे कि इसमें अपने 'बुजुर्गों को साथ लेकर उनका आशीर्वाद लेना न भूलें'। भले ही 'सोशल मीडिया' का जमकर प्रयोग करें लेकिन ध्यान रहे ' इंसानियत की सीमा' का उल्लंघन न हो, किसी को 'मानसिक त्रास' न पहूँचे। अपनी दुनिया में मस्त रहें, लेकिन प्रकृति की भी चिंता करें, इसके लिए ' ग्लोबल वार्मिंग' और रासायनिक खादों से होने वाली बीमारियों के बचाव के लिए लोगों को 'जैविक खाद' प्रयोग के लिए प्रेरित करते रहिए। हमारे समाज में आज भी बड़े पैमाने में 'अन्धविश्वास' व्याप्त है, इसलिए इस बुराई को दूर करने के लिए 'शिक्षा का अलख' जगाने के लिए आगे आकर सार्थक प्रयास करें। आज जीवन में बड़ी अंधी भाग-दौड़ मची हैं, इसलिए अपने घर-रेस्त्रा में 'बचपन के मित्रों, सहपाठियों' को चाय-कॉफी पर बुलाकर चुस्कियां लेते हुए अपने बचपन और स्कूल की यादें ताज़ी कर घर-परिवार और देश दुनिया से जुड़कर जीवन में कुछ पल सुकून के अनुभव करके जरूर देखिए।
1

मेरे शिवा का इको-फ्रेंडली गणेशोत्सव

1 सितम्बर 2022
21
17
1

बच्चे जब बहुत छोटे होते हैं, तो उनकी अपनी एक अलग ही दुनिया होती है। उनके अपने-अपने खेल-खिलौनें होते हैं, जिनमें वे दुनियादारी के तमाम झमेलों से कोसों दूर अपनी बनायी दुनिया में मस्त रहते हैं। इसीलि

2

भूमण्डलीय ऊष्मीकरण

2 सितम्बर 2022
15
11
2

हमारा वायुमंडल प्रकृति की देन है।  यह हमारा पालनकर्ता और जीवन का आधार है।  यही हमें स्वस्थ और सुखी रखने का रक्षाकवच है।  लेकिन यदि यह विषाक्त होने लगे तो यह अभिशाप बनकर हमारे अस्तित्व, जीवन-निर्वाह, व

3

ताऊ वाली कॉफी

4 सितम्बर 2022
26
21
3

आज का विषय है कॉफी और दोस्ती। इस विषय पर बात करने से पहले बताती चलूँ कि हमें तो बचपन से ही चाय का चस्का है। क्योंकि बचपन से ही देखते आये कि घर आये मेहमान हो या नाते-रिश्तेदार जब तक उन्हें चाय-पानी नही

4

राष्ट्र निर्माता और संस्कृति संरक्षक होता है शिक्षक

5 सितम्बर 2022
23
17
2

शिक्षक को राष्ट्र का निर्माता और उसकी संस्कृति का संरक्षक माना जाता है। वे शिक्षा द्वारा छात्र-छात्राओं को सुसंस्कृतवान बनाकर उनके अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर देश को श्रेष्ठ नागरिक प्रदान करने मे

5

सोशल मीडिया की ताकत

6 सितम्बर 2022
30
23
3

वर्तमान समय इंटरनेट क्रांति का युग है, जहाँ सोशल मीडिया की ताकत को हम जंगल की आग और आंधी-तूफ़ान कह सकते हैं। यह परंपरागत मीडिया से अलग एक ऐसी आभासी दुनिया है, जहाँ पलक झपकते ही सूचनाओं के आदान प्रदान स

6

समय के आगे सबको झुकता पड़ता है

7 सितम्बर 2022
21
14
2

पंख होते हैं समय के जो पंख फैलाकर उड़ता है दिखता नहीं वह किसी को  पर छाया पीछे छोड़ता है कोई भरोसा नहीं समय का वह न बोलता न दुआ-सलाम करता है पर अपने आगे झुकाकर सबको चमत्कार दिखाता है बड़ा सय

7

वृद्ध आश्रम

8 सितम्बर 2022
21
18
4

कभी स्कूल में हमने हमारे हिन्दू आश्रम व्यवस्था के बारे में पढ़ा था, जिसमें हमें बताया गया था कि चार आश्रम ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास होते हैं। तब हमें पता नहीं था कि समय के साथ इन आश्रम व

8

मानसिक स्वास्थ्य

11 सितम्बर 2022
23
16
3

महाकवि कालिदास के एक सूक्ति है - शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्' अर्थात धर्म का (कर्तव्य का) सर्वप्रथम साधन स्वस्थ शरीर है।  यदि शरीर स्वस्थ नहीं तो मन स्वस्थ नहीं रह सकता।  मन स्वस्थ नहीं तो विचार स्वस्थ

9

कई वर्ष बाद बचपन और स्कूल की सहपाठी का मिलना

13 सितम्बर 2022
13
8
0

जहाँ पहले बचपन में सखी-सहेलियों के साथ खेलने-कूदने के साथ ही स्कूल की पढ़ाई खत्म होती तो कौन कहाँ चला गया, इसकी खबर तक नहीं हो पाती थी, वहीं जब से इंटरनेट का मकड़जाल फैला तो भूली-बिसरी सखी सहेलियों

10

राष्ट्रभाषा स्वतंत्र देश की संपत्ति होती है

14 सितम्बर 2022
11
7
2

          किसी राष्ट्र की संस्कृति उस राष्ट्र की आत्मा है। राष्ट्र की जनता उस राष्ट्र का शरीर है। उस जनता की वाणी राष्ट्र की भाषा है। डाॅ. जानसन की धारणा है, ’भाषा विचार की पोषक है।’ भाषा सभ्यता और सं

11

मानवीय पूंजी

15 सितम्बर 2022
8
4
2

हमारी मानवीय पूंजी शिक्षा, प्रशिक्षण, बुद्धि, कौशल, स्वास्थ्य और अनुभव होती है। इसी आधार पर किसी भी संगठन या संस्थान में हमारी सेवाओं के बदले हमारा पारिश्रमिक और भूमिका का निर्धारण होता है। यह मानवीय

12

विश्वास पर भारी अन्धविश्वास

18 सितम्बर 2022
32
27
6

किसी व्यक्ति या प्रचलित धारणा पर आंख मूँदकर बिना सोचे-समझे विश्वास करना अन्धविश्वास है। किन्हीं रुढ़िवादियोँ, विशिष्ट धर्माचार्योँ के उपदेश या किसी राजनैतिक सिद्धांत को बिना अपने विवेक के विश्वास कर स्

13

श्रद्धा पर भारी काली गाय की मार

19 सितम्बर 2022
15
11
3

आज भी दैनिक लेखन का विषय अन्धविश्वास है।  सोच रही थी कि इस बारे में क्या लिखूँ तो कुछ वर्ष पूर्व अपने मोहल्ले की एक घटना याद आ गयी। जब  हमारी बिल्डिंग के चौथे माले में एक ऐसा परिवार रहता था। उनके घर म

14

जैविक खेती

21 सितम्बर 2022
20
15
4

मुझे याद है बचपन में हमारे गाँव के खेतों की फसलें हो या घर की बावड़ियों में उगाई जाने वाली साग-सब्जियां, किसी में भी रासायनिक खाद का प्रयोग बहुत दूर की बात थी। उस समय कोई नहीं जानता था कि गोबर के अलावा

15

मेरी पहली पढ़ी पुस्तक -हेमलासत्ता

22 सितम्बर 2022
17
12
4

बचपन में जब स्वर और व्यंजन को पाटी में स्लेट से घोटा लगा-लगाकर लिखने का अभ्यास किया तो पहले दो, फिर तीन और फिर चार-चार शब्दों को जोड़-जोड़ कर पढ़ना सीखा तो सबसे पहले स्कूल में पढ़ाये जाने वाले पाठ्यक्रमों

16

शर्मसार होती इंसानियत

23 सितम्बर 2022
20
15
4

आज का दैनिक लेखन का विषय बड़ा ही संवेदनशील, विचारणीय और चिंतनीय है। आज देश-प्रदेश या हमारे आस-पास के कई इंसान कहलाने वाले जीवों के ऐसे-ऐसे घृणित, कुत्सित, पाशविक प्रवृत्ति के चहेरे हमारे सामने आ रहे है

17

अंतरिक्ष यात्रा

25 सितम्बर 2022
9
8
1

आज का युग विज्ञान का युग है। हर दिन होने वाले नवीन वैज्ञानिक आविष्कार दुनिया में नयी क्रांति कर रहे हैं। आज विज्ञान के आविष्कारों ने दैनिक जीवन सम्बन्धी, शिक्षण, चिकित्सा, यातायात, संचार आदि क्षेत्रों

18

इंटरनेट के बिना एक दिन

27 सितम्बर 2022
14
10
2

इंटरनेट से पहले जब दूरभाष या टेलीफोन का आविष्कार हुआ तो यह मानवीय जीवन के लिए एक उपयोगी वरदान था। क्योँकि तब दूर देश-परदेश में रहने वाले अपने लोगों से बातचीत एक सरलतम सुविधा माध्यम था। टेलीफोन से लोगो

19

नवरात्र के व्रत और बदलते मौसम के बीच सन्तुलन

28 सितम्बर 2022
7
5
2

आज नवरात्र सिर्फ साधु-सन्यासियों की शक्ति साधना पर्व ही नहीं अपितु आम लोगों के लिए अपनी मनोकामना, अभिलाषा पूर्ति और समस्याओं के समाधान के लिए देवी साधना कर कुछ विशिष्ट उपलब्धि प्राप्ति का सौभाग्यद

20

युवाओं के लिए शारीरिक सकारात्मकता

28 सितम्बर 2022
16
11
1

हमारे भारतीय चिन्तन में शरीर को धर्म का पहला साधन माना गया है। महाकवि कालिदास की सूक्ति "शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्"  और इस हेतु सदैव स्वस्थ रहने को कर्तव्य निरूपित किया है। "धर्मार्थ काममोक्षाणाम् आरो

21

जादुई दुनिया

17 नवम्बर 2022
1
7
0

छुटपन में मैंने जब पहले बार सर्कस में जादू का खेल देखा तो आंखे खुली की खुली रह गई। कई दिन तक जादूगर की वह छड़ी आँखोँ में घूमती रही। रात को जब सोती तो सपने भी उसी के आते, जिसमें वह कभी किसी चीज को गुम क

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए