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शर्मसार होती इंसानियत

23 सितम्बर 2022

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आज का दैनिक लेखन का विषय बड़ा ही संवेदनशील, विचारणीय और चिंतनीय है। आज देश-प्रदेश या हमारे आस-पास के कई इंसान कहलाने वाले जीवों के ऐसे-ऐसे घृणित, कुत्सित, पाशविक प्रवृत्ति के चहेरे हमारे सामने आ रहे हैं, जिसे देख मैं समझती हूँ उन्हें इंसान कहना इंसानियत का अपमान होगा। आये दिन समाचार पत्र हो या टीवी या फिर सोशल मीडिया कोई न कोई इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटनाएं सुनने-पढ़ने को मिलती हैं तो दिल धक् से रह जाता है। सोचती हूँ क्या सच में ऐसे भी इंसान ईश्वर की सर्वोत्तम कृति हैं?

हमारे एक निकट सम्बन्धी की बेटी जो चार वर्ष पूर्व नोयडा की एक कंपनी में इंजीनियर थी। इंजीनियर होने से कंपनी में उसे  अच्छा खासा पैकेज  मिलता था। उच्च शिक्षा और अच्छे-खासे कमाने की वजह से उसके माँ-बाप ने उसके लिए उसके समकक्ष वर की जब तलाश की तो उन्हें मुंबई की एक कंपनी में अपनी ही जात-बिरादरी के एक लड़का मिल गया। लड़का भी इंजीनियर था और अच्छा-ख़ासा कमाता था, इसलिए  उन्होंने लड़का और लड़की को आपस में मिलकर उनकी बात करवाई। लड़का और लड़की ने एक-दूसरे को पसंद किया तो जल्दी से दोनों की शादी हो गयी। शादी के बाद लड़की भी मुंबई जाकर एक कंपनी में जॉब करने लगी। दोनों अच्छा-खासा कमाते थे। घर-गृहस्थी अच्छे से चल रही थी। लेकिन अभी पिछले हफ्ते की बात हैं जब उसकी मौसी जो यहीं भोपाल में रहती है, उन्होंने बताया कि उसका किसी ने मुंबई में जब वह शाम को बस से घर आ रही थी तो सरेआम पीछे से किसी ने गले में छुरा भोंक दिया, जिस कारण उसकी हॉस्पिटल में मौत हो गयी। हॉस्पिटल में उसने बयान दिया कि उसके पति का किसी दूसरी लड़की के साथ सम्बन्ध था।  पुलिस ने जब उसके पति और उस लड़की को हिरासत में लिया तो पता चला कि उसने ही किसी सुपारी किलर को सुपारी देकर उसे मारने भेजा था। आज वे दोनों जेल में बंद हैं।  हमारे समाज में हमने ऐसी पहली घटना सुनी तो कलेजा मुंह में आ गया। बहुत लोग सोचते हैं कि ऐसी घटनाएं कम पढ़े-लिखे लोग अधिक करते हैं लेकिन यह पूर्ण सच नहीं हैं। सच तो यह है कि इंसान की इंसानियत का पढ़े-लिखे होने से कोई मेल ही नहीं है। वह तो हमारी आत्मा में वास करता है और जिसकी आत्मा मर जाती है, उसका पढ़ा-लिखा या अनपढ़ होने का औचित्य ही खत्म हो जाता है, फिर ऐसे इंसान को इंसान छोड़ो जानवर की संज्ञा दें तो यह उनकी तौहीन होगी।   

ऐसी ही एक इंसानियत को शर्मसार करने वाली खबर हमारे भोपाल के नीलबड़ क्षेत्र में बिलाबोंग स्कूल की हैं। जहाँ स्कूल के एक बस ड्राइवर ने इसी माह की ८ तारीख को एक तीन साल की मासूम बच्ची को स्कूल से घर छोड़ते समय बस में ही शर्मनाक हरकत कर डाली। जहाँ बड़ा खेदजनक और अफसोसजनक बात है कि इस घृणित और कुत्सित काम में उसका साथ उसमें बैठी उसकी महिला मित्र जो केयर टेकर थी उसने दिया। अश्लील हरकत के बाद ड्राइवर ने बच्ची बैग में रखे कपडे बदले। जिन्हें देखकर ही बच्ची की माँ के पूछने पर बच्ची ने उससे सारा हाल बताया। यहाँ शर्मनाक बात है कि इसमें प्रिंसिपल से सीसीटीवी कैमरा बंद होना बताया। लेकिन क्लास टीचर ने बताया की स्कूल में कपडे नहीं बदले गए। प्रिंसिपल लीपापोती कर रहे थे कि कपडे पानी से गीले होने से बदले गए।  यह घटना रोंगटे खड़े करने वाली है। बच्चों की सुरक्षा के लिए कई मापदंड और नियम बनाये गए हैं, लेकिन वे सब फाइलों में दब कर रह जाते हैं। स्कूल प्रबंधन घोर लापरवाही कर बच्चों को खतरे में डालने से बाज नहीं आते हैं। ऐसे में अभिभावकों को आगे आना होगा। जैसे ही कोई चूक दिखे मिलकर आवाज उठानी होगी और सुस्त पड़ी व्यवस्था को दुरुस्त करना होगा। 

इसी तरह जाने कितनी ही इंसानियत को शर्मसार घटनाएं कभी धर्म के नाम पर किसी बेज़ुबान का क़ुर्बान होने,कभी किसी कचरे के ढेर पर मिले नवजात शिशु के मिलने, कभी किसी नवयुवती याऔरत के सरेआम सामूहिक रूप से रेप कर जला देने, कभी नन्हे से मासूम बच्चों को थोड़े से लालच से उनसे दुष्कर्म करने या फिर उनके अंग निकालने या फिर उन्हें विकृत करके भीख मँगवाने का आमनवीय कृत्य कराना आज इंसानियत के लिए चुनौती है।     

ऋतेश आर्यन

ऋतेश आर्यन

इंसान का होना स्वयं में ही एक आदरणीय ओहदा रहा है~~ बहुत अच्छी प्रस्तुति रखी आपने 👏👏👏

24 सितम्बर 2022

"आज़ाद आईना"अंजनी कुमार आज़ाद

"आज़ाद आईना"अंजनी कुमार आज़ाद

ऐसी घटनाएँ रूह हिला देती हैं.बहुत सुंदर समसामयिक व्याख्या.💐 👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌

23 सितम्बर 2022

काव्या सोनी

काव्या सोनी

Aaj bahut si ghatanaye mil jayegi jise dekh sunkr insaniyat sharmsar hoti h par vardat hone me koi kmi nhi hoti badhti h bss nirnter

23 सितम्बर 2022

Dharmendra Kumar manjhi

Dharmendra Kumar manjhi

इंसानियत से बढ़कर कोई धर्म नहीं

23 सितम्बर 2022

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रचनाएँ
समसामयिक लेख (दैनन्दिनी-सितम्बर, 2022)
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माह सितम्बर की दैनन्दिनी में 'गणेशोत्सव' और 'नवरात्रि महोत्सव' के रंग में रंगकर पर्वों का आनंद जरूर उठाइए, लेकिन इतना ख्याल रखे कि इसमें अपने 'बुजुर्गों को साथ लेकर उनका आशीर्वाद लेना न भूलें'। भले ही 'सोशल मीडिया' का जमकर प्रयोग करें लेकिन ध्यान रहे ' इंसानियत की सीमा' का उल्लंघन न हो, किसी को 'मानसिक त्रास' न पहूँचे। अपनी दुनिया में मस्त रहें, लेकिन प्रकृति की भी चिंता करें, इसके लिए ' ग्लोबल वार्मिंग' और रासायनिक खादों से होने वाली बीमारियों के बचाव के लिए लोगों को 'जैविक खाद' प्रयोग के लिए प्रेरित करते रहिए। हमारे समाज में आज भी बड़े पैमाने में 'अन्धविश्वास' व्याप्त है, इसलिए इस बुराई को दूर करने के लिए 'शिक्षा का अलख' जगाने के लिए आगे आकर सार्थक प्रयास करें। आज जीवन में बड़ी अंधी भाग-दौड़ मची हैं, इसलिए अपने घर-रेस्त्रा में 'बचपन के मित्रों, सहपाठियों' को चाय-कॉफी पर बुलाकर चुस्कियां लेते हुए अपने बचपन और स्कूल की यादें ताज़ी कर घर-परिवार और देश दुनिया से जुड़कर जीवन में कुछ पल सुकून के अनुभव करके जरूर देखिए।
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मेरे शिवा का इको-फ्रेंडली गणेशोत्सव

1 सितम्बर 2022
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बच्चे जब बहुत छोटे होते हैं, तो उनकी अपनी एक अलग ही दुनिया होती है। उनके अपने-अपने खेल-खिलौनें होते हैं, जिनमें वे दुनियादारी के तमाम झमेलों से कोसों दूर अपनी बनायी दुनिया में मस्त रहते हैं। इसीलि

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भूमण्डलीय ऊष्मीकरण

2 सितम्बर 2022
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हमारा वायुमंडल प्रकृति की देन है।  यह हमारा पालनकर्ता और जीवन का आधार है।  यही हमें स्वस्थ और सुखी रखने का रक्षाकवच है।  लेकिन यदि यह विषाक्त होने लगे तो यह अभिशाप बनकर हमारे अस्तित्व, जीवन-निर्वाह, व

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ताऊ वाली कॉफी

4 सितम्बर 2022
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आज का विषय है कॉफी और दोस्ती। इस विषय पर बात करने से पहले बताती चलूँ कि हमें तो बचपन से ही चाय का चस्का है। क्योंकि बचपन से ही देखते आये कि घर आये मेहमान हो या नाते-रिश्तेदार जब तक उन्हें चाय-पानी नही

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राष्ट्र निर्माता और संस्कृति संरक्षक होता है शिक्षक

5 सितम्बर 2022
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शिक्षक को राष्ट्र का निर्माता और उसकी संस्कृति का संरक्षक माना जाता है। वे शिक्षा द्वारा छात्र-छात्राओं को सुसंस्कृतवान बनाकर उनके अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर देश को श्रेष्ठ नागरिक प्रदान करने मे

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सोशल मीडिया की ताकत

6 सितम्बर 2022
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वर्तमान समय इंटरनेट क्रांति का युग है, जहाँ सोशल मीडिया की ताकत को हम जंगल की आग और आंधी-तूफ़ान कह सकते हैं। यह परंपरागत मीडिया से अलग एक ऐसी आभासी दुनिया है, जहाँ पलक झपकते ही सूचनाओं के आदान प्रदान स

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समय के आगे सबको झुकता पड़ता है

7 सितम्बर 2022
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पंख होते हैं समय के जो पंख फैलाकर उड़ता है दिखता नहीं वह किसी को  पर छाया पीछे छोड़ता है कोई भरोसा नहीं समय का वह न बोलता न दुआ-सलाम करता है पर अपने आगे झुकाकर सबको चमत्कार दिखाता है बड़ा सय

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वृद्ध आश्रम

8 सितम्बर 2022
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कभी स्कूल में हमने हमारे हिन्दू आश्रम व्यवस्था के बारे में पढ़ा था, जिसमें हमें बताया गया था कि चार आश्रम ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास होते हैं। तब हमें पता नहीं था कि समय के साथ इन आश्रम व

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मानसिक स्वास्थ्य

11 सितम्बर 2022
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महाकवि कालिदास के एक सूक्ति है - शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्' अर्थात धर्म का (कर्तव्य का) सर्वप्रथम साधन स्वस्थ शरीर है।  यदि शरीर स्वस्थ नहीं तो मन स्वस्थ नहीं रह सकता।  मन स्वस्थ नहीं तो विचार स्वस्थ

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कई वर्ष बाद बचपन और स्कूल की सहपाठी का मिलना

13 सितम्बर 2022
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जहाँ पहले बचपन में सखी-सहेलियों के साथ खेलने-कूदने के साथ ही स्कूल की पढ़ाई खत्म होती तो कौन कहाँ चला गया, इसकी खबर तक नहीं हो पाती थी, वहीं जब से इंटरनेट का मकड़जाल फैला तो भूली-बिसरी सखी सहेलियों

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राष्ट्रभाषा स्वतंत्र देश की संपत्ति होती है

14 सितम्बर 2022
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          किसी राष्ट्र की संस्कृति उस राष्ट्र की आत्मा है। राष्ट्र की जनता उस राष्ट्र का शरीर है। उस जनता की वाणी राष्ट्र की भाषा है। डाॅ. जानसन की धारणा है, ’भाषा विचार की पोषक है।’ भाषा सभ्यता और सं

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मानवीय पूंजी

15 सितम्बर 2022
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हमारी मानवीय पूंजी शिक्षा, प्रशिक्षण, बुद्धि, कौशल, स्वास्थ्य और अनुभव होती है। इसी आधार पर किसी भी संगठन या संस्थान में हमारी सेवाओं के बदले हमारा पारिश्रमिक और भूमिका का निर्धारण होता है। यह मानवीय

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विश्वास पर भारी अन्धविश्वास

18 सितम्बर 2022
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किसी व्यक्ति या प्रचलित धारणा पर आंख मूँदकर बिना सोचे-समझे विश्वास करना अन्धविश्वास है। किन्हीं रुढ़िवादियोँ, विशिष्ट धर्माचार्योँ के उपदेश या किसी राजनैतिक सिद्धांत को बिना अपने विवेक के विश्वास कर स्

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श्रद्धा पर भारी काली गाय की मार

19 सितम्बर 2022
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आज भी दैनिक लेखन का विषय अन्धविश्वास है।  सोच रही थी कि इस बारे में क्या लिखूँ तो कुछ वर्ष पूर्व अपने मोहल्ले की एक घटना याद आ गयी। जब  हमारी बिल्डिंग के चौथे माले में एक ऐसा परिवार रहता था। उनके घर म

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जैविक खेती

21 सितम्बर 2022
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मुझे याद है बचपन में हमारे गाँव के खेतों की फसलें हो या घर की बावड़ियों में उगाई जाने वाली साग-सब्जियां, किसी में भी रासायनिक खाद का प्रयोग बहुत दूर की बात थी। उस समय कोई नहीं जानता था कि गोबर के अलावा

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मेरी पहली पढ़ी पुस्तक -हेमलासत्ता

22 सितम्बर 2022
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बचपन में जब स्वर और व्यंजन को पाटी में स्लेट से घोटा लगा-लगाकर लिखने का अभ्यास किया तो पहले दो, फिर तीन और फिर चार-चार शब्दों को जोड़-जोड़ कर पढ़ना सीखा तो सबसे पहले स्कूल में पढ़ाये जाने वाले पाठ्यक्रमों

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शर्मसार होती इंसानियत

23 सितम्बर 2022
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आज का दैनिक लेखन का विषय बड़ा ही संवेदनशील, विचारणीय और चिंतनीय है। आज देश-प्रदेश या हमारे आस-पास के कई इंसान कहलाने वाले जीवों के ऐसे-ऐसे घृणित, कुत्सित, पाशविक प्रवृत्ति के चहेरे हमारे सामने आ रहे है

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अंतरिक्ष यात्रा

25 सितम्बर 2022
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आज का युग विज्ञान का युग है। हर दिन होने वाले नवीन वैज्ञानिक आविष्कार दुनिया में नयी क्रांति कर रहे हैं। आज विज्ञान के आविष्कारों ने दैनिक जीवन सम्बन्धी, शिक्षण, चिकित्सा, यातायात, संचार आदि क्षेत्रों

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इंटरनेट के बिना एक दिन

27 सितम्बर 2022
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इंटरनेट से पहले जब दूरभाष या टेलीफोन का आविष्कार हुआ तो यह मानवीय जीवन के लिए एक उपयोगी वरदान था। क्योँकि तब दूर देश-परदेश में रहने वाले अपने लोगों से बातचीत एक सरलतम सुविधा माध्यम था। टेलीफोन से लोगो

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नवरात्र के व्रत और बदलते मौसम के बीच सन्तुलन

28 सितम्बर 2022
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आज नवरात्र सिर्फ साधु-सन्यासियों की शक्ति साधना पर्व ही नहीं अपितु आम लोगों के लिए अपनी मनोकामना, अभिलाषा पूर्ति और समस्याओं के समाधान के लिए देवी साधना कर कुछ विशिष्ट उपलब्धि प्राप्ति का सौभाग्यद

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युवाओं के लिए शारीरिक सकारात्मकता

28 सितम्बर 2022
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हमारे भारतीय चिन्तन में शरीर को धर्म का पहला साधन माना गया है। महाकवि कालिदास की सूक्ति "शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्"  और इस हेतु सदैव स्वस्थ रहने को कर्तव्य निरूपित किया है। "धर्मार्थ काममोक्षाणाम् आरो

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जादुई दुनिया

17 नवम्बर 2022
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छुटपन में मैंने जब पहले बार सर्कस में जादू का खेल देखा तो आंखे खुली की खुली रह गई। कई दिन तक जादूगर की वह छड़ी आँखोँ में घूमती रही। रात को जब सोती तो सपने भी उसी के आते, जिसमें वह कभी किसी चीज को गुम क

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