आज का दैनिक लेखन का विषय बड़ा ही संवेदनशील, विचारणीय और चिंतनीय है। आज देश-प्रदेश या हमारे आस-पास के कई इंसान कहलाने वाले जीवों के ऐसे-ऐसे घृणित, कुत्सित, पाशविक प्रवृत्ति के चहेरे हमारे सामने आ रहे हैं, जिसे देख मैं समझती हूँ उन्हें इंसान कहना इंसानियत का अपमान होगा। आये दिन समाचार पत्र हो या टीवी या फिर सोशल मीडिया कोई न कोई इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटनाएं सुनने-पढ़ने को मिलती हैं तो दिल धक् से रह जाता है। सोचती हूँ क्या सच में ऐसे भी इंसान ईश्वर की सर्वोत्तम कृति हैं?
हमारे एक निकट सम्बन्धी की बेटी जो चार वर्ष पूर्व नोयडा की एक कंपनी में इंजीनियर थी। इंजीनियर होने से कंपनी में उसे अच्छा खासा पैकेज मिलता था। उच्च शिक्षा और अच्छे-खासे कमाने की वजह से उसके माँ-बाप ने उसके लिए उसके समकक्ष वर की जब तलाश की तो उन्हें मुंबई की एक कंपनी में अपनी ही जात-बिरादरी के एक लड़का मिल गया। लड़का भी इंजीनियर था और अच्छा-ख़ासा कमाता था, इसलिए उन्होंने लड़का और लड़की को आपस में मिलकर उनकी बात करवाई। लड़का और लड़की ने एक-दूसरे को पसंद किया तो जल्दी से दोनों की शादी हो गयी। शादी के बाद लड़की भी मुंबई जाकर एक कंपनी में जॉब करने लगी। दोनों अच्छा-खासा कमाते थे। घर-गृहस्थी अच्छे से चल रही थी। लेकिन अभी पिछले हफ्ते की बात हैं जब उसकी मौसी जो यहीं भोपाल में रहती है, उन्होंने बताया कि उसका किसी ने मुंबई में जब वह शाम को बस से घर आ रही थी तो सरेआम पीछे से किसी ने गले में छुरा भोंक दिया, जिस कारण उसकी हॉस्पिटल में मौत हो गयी। हॉस्पिटल में उसने बयान दिया कि उसके पति का किसी दूसरी लड़की के साथ सम्बन्ध था। पुलिस ने जब उसके पति और उस लड़की को हिरासत में लिया तो पता चला कि उसने ही किसी सुपारी किलर को सुपारी देकर उसे मारने भेजा था। आज वे दोनों जेल में बंद हैं। हमारे समाज में हमने ऐसी पहली घटना सुनी तो कलेजा मुंह में आ गया। बहुत लोग सोचते हैं कि ऐसी घटनाएं कम पढ़े-लिखे लोग अधिक करते हैं लेकिन यह पूर्ण सच नहीं हैं। सच तो यह है कि इंसान की इंसानियत का पढ़े-लिखे होने से कोई मेल ही नहीं है। वह तो हमारी आत्मा में वास करता है और जिसकी आत्मा मर जाती है, उसका पढ़ा-लिखा या अनपढ़ होने का औचित्य ही खत्म हो जाता है, फिर ऐसे इंसान को इंसान छोड़ो जानवर की संज्ञा दें तो यह उनकी तौहीन होगी।
ऐसी ही एक इंसानियत को शर्मसार करने वाली खबर हमारे भोपाल के नीलबड़ क्षेत्र में बिलाबोंग स्कूल की हैं। जहाँ स्कूल के एक बस ड्राइवर ने इसी माह की ८ तारीख को एक तीन साल की मासूम बच्ची को स्कूल से घर छोड़ते समय बस में ही शर्मनाक हरकत कर डाली। जहाँ बड़ा खेदजनक और अफसोसजनक बात है कि इस घृणित और कुत्सित काम में उसका साथ उसमें बैठी उसकी महिला मित्र जो केयर टेकर थी उसने दिया। अश्लील हरकत के बाद ड्राइवर ने बच्ची बैग में रखे कपडे बदले। जिन्हें देखकर ही बच्ची की माँ के पूछने पर बच्ची ने उससे सारा हाल बताया। यहाँ शर्मनाक बात है कि इसमें प्रिंसिपल से सीसीटीवी कैमरा बंद होना बताया। लेकिन क्लास टीचर ने बताया की स्कूल में कपडे नहीं बदले गए। प्रिंसिपल लीपापोती कर रहे थे कि कपडे पानी से गीले होने से बदले गए। यह घटना रोंगटे खड़े करने वाली है। बच्चों की सुरक्षा के लिए कई मापदंड और नियम बनाये गए हैं, लेकिन वे सब फाइलों में दब कर रह जाते हैं। स्कूल प्रबंधन घोर लापरवाही कर बच्चों को खतरे में डालने से बाज नहीं आते हैं। ऐसे में अभिभावकों को आगे आना होगा। जैसे ही कोई चूक दिखे मिलकर आवाज उठानी होगी और सुस्त पड़ी व्यवस्था को दुरुस्त करना होगा।
इसी तरह जाने कितनी ही इंसानियत को शर्मसार घटनाएं कभी धर्म के नाम पर किसी बेज़ुबान का क़ुर्बान होने,कभी किसी कचरे के ढेर पर मिले नवजात शिशु के मिलने, कभी किसी नवयुवती याऔरत के सरेआम सामूहिक रूप से रेप कर जला देने, कभी नन्हे से मासूम बच्चों को थोड़े से लालच से उनसे दुष्कर्म करने या फिर उनके अंग निकालने या फिर उन्हें विकृत करके भीख मँगवाने का आमनवीय कृत्य कराना आज इंसानियत के लिए चुनौती है।