पंख होते हैं समय के
जो पंख फैलाकर उड़ता है
दिखता नहीं वह किसी को
पर छाया पीछे छोड़ता है
कोई भरोसा नहीं समय का
वह न बोलता न दुआ-सलाम करता है
पर अपने आगे झुकाकर
सबको चमत्कार दिखाता है
बड़ा सयाना है समय
हर गुत्थी यही सुलझाता है
इसलिए बात मानो समय की
हर घाव पर यही मरहम लगाता है
सर्वोत्तम चिकित्सक भी यही है
मगर हर शक्ल भी बिगाड़ देता है
यह एक ऐसा ऋण है
जिसे कोई नहीं चुका पाता है
समय नहीं झुकता किसी के आगे
सबको इसके आगे झुकना पड़ता है
इसलिए ये दुनिया उसी की होती
जो समय देखकर चलता है