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सोशल मीडिया की ताकत

6 सितम्बर 2022

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वर्तमान समय इंटरनेट क्रांति का युग है, जहाँ सोशल मीडिया की ताकत को हम जंगल की आग और आंधी-तूफ़ान कह सकते हैं। यह परंपरागत मीडिया से अलग एक ऐसी आभासी दुनिया है, जहाँ पलक झपकते ही सूचनाओं के आदान प्रदान से लेकर मनोरंजन या शिक्षा प्राप्ति संभव है। आज स्थिति यह है कि जहाँ एक ओर व्यक्तिगत स्तर पर इसका दखल हमारे रहन-सहन का तौर तरीका हो या कामकाज की शैली या फिर मनोरंजन, हर जगह है,  तो वहीँ दूसरी ओर   देश की राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक या फिर सांस्कृतिक क्षेत्र क्यों न हो, इसके बिना एक कदम भी चल नहीं सकते। इसके माध्यम से आज कई सामाजिक विकास कार्य आसानी से संभव हुए हैं। यह देश की एकता और अखंडता के लिए एक मजबूत कड़ी का काम भी करता है।  आज देश में होने वाले आम चुनाव में यह राजनीतिक पार्टियों के प्रचार-प्रसार का मुख्य हथियार है। यह आमजन को चुनाव के प्रति जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का सरलतम साधन है।  सोशल मीडिया की ताकत का ही परिणाम है कि आज शासन-प्रशासन जबरदस्ती जनता पर कोई अनावश्यक कानून नहीं थोप पाता है।  

आज सोशल मीडिया एक लोकप्रिय मंच है। जहाँ हर कोई देश-दुनिया के लोगों से जुड़कर अपनी दुनिया बसाने के लिए स्वत्रंत है। यह सोशल मीडिया की ताकत है कि कोई भी व्यक्ति आज फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी बात देश-दुनिया में बिना किसी रोक-टोक के रखते हुए देश और दुनिया के हर कोने तक पहुंचाने में सक्षम हो  पा रहा है। यहाँ कोई भी अपने विचार रखने के साथ ही दूसरे के विचारों को भी सुन सकता है और उस पर खुलकर अपनी राय भी व्यक्त कर सकता है। आज सोशल मीडिया की ताकत केवल दोस्ती बढ़ाने और मनोरंजन तक सीमित नहीं है, अपितु यह वोट बैंक से लेकर कमाई का एक मुख्य जरिया भी बन रहा है।  

सोशल मीडिया की ताकत को मैंने व्यक्तिगत रूप से भी देखा है। मुझे याद है जब मैंने वर्ष अगस्त २००९ में अपने नाम से ब्लॉग बनाया था तो तब सोचा न था कि एक दिन मेरे ब्लॉग को पढ़ने वालों की संख्या लाखों तक पहुँच जाएगी और मुझ जैसे शौकिया लिखने-पढ़ने वाले की भी देश-दुनिया में एक पहचान मिलेगी। सोशल मीडिया की ताकत का मुझे दो बार बड़ा सुखद अनुभव हुआ। बात अप्रैल २०१३ की है। जब हमारे गढ़वाल क्षेत्र का एक करीबी परिवार जो कि गांव में ही रहता था, दिल्ली स्थित अपने एक निकट सम्बन्धी के विवाह समारोह में शामिल होने आया था। विवाह संपन्न होने के बाद वे अपने छोटे भाई के वैशाली, सेक्टर-1, गाजियाबाद स्थित (जो कि दिल्ली आनंद विहार बस अड्डे से मात्र 1 कि.मी. दूरी पर है) घर मिलने गए। जहाँ उनका बेटा जिसकी आयु 12 वर्ष थी, जो बोल नहीं पाता था, जब घर के लोगों के साथ शाम को बाजार से लौट रहा था तो चलते-चलते बाजार की भीड-भाड़ में अचानक कहीं गुम गया। जो उनके बहुत खोजबीन बाद भी नहीं मिल रहा था। उन्होंने गुमशुदा लड़के की फोटोयुक्त पम्पलेट मुझे ब्लॉग पर लगाने को कहा जिसे मैंने अपने ब्लॉग पर पोस्ट किया। जिसका सुखद परिणाम यह हुआ कि किसी अनजान व्यक्ति ने उन्हें पोस्टर में लिखे मोबाइल नंबर से बताया कि उसने बच्चे को दिल्ली के दिलशाद गार्डन के अनाथाश्रम में छोड़ दिया है, वे उसे वहां से ले लें।  यह तो हुई एक सोशल मीडिया की ताकत की बात। अब दूसरी बात यह कि धर्मेन्द्र कुमार मांझी की जिसकी हमने गरीबी में डॉक्टरी कहानी भी लिखी है। जिसने वर्ष 2016 में मेडिकल प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर चिरायु मेडिकल काॅलेज एण्ड हाॅस्पिटल, भोपाल में एम.बी.बी.एस. में दाखिला लिया, लेकिन घोर गरीबी के चलते दूसरे वर्ष की फीस जो 5 लाख 72 हजार थी, उसे भरने के लिए उसके पास एक फूटी कौड़ी भी न थी, जिसके लिए उसने और मेरे पति ने मिलकर लोगों के घर-घर जाकर पैसा इकट्ठा किया, लेकिन जो नाकाफी था।  इसके लिए मैंने जब अपने ब्लॉग पर उसके लिए आर्थिक सहायता की अपील की और उसे उसके कॉलेज में भी लगाने को कहा तो मुझे यह कहते बड़ी ख़ुशी है कि इसमें हमें अपेक्षित परिणाम मिले। कुछ लोगों ने अपील में दिए उसके बैंक खाते में तो  कुछ लोगों ने उससे अपील में दिए उसके मोबाइल नंबर पर बात करके उसकी व्यक्तिगत रूप से आर्थिक सहायता की, जिससे उसकी फीस का जुगाड़ हुआ।  यह सब कम समय में एक बड़ी रकम जुटाने का काम सोशल मीडिया की ताकत से ही संभव हो पाया है।   

कृष्ण कान्त शर्मा

कृष्ण कान्त शर्मा

बहुत अच्छा संस्मरण है। कृपया अपने ब्लॉग का लिंक दें।

6 सितम्बर 2022

कविता रावत

कविता रावत

7 सितम्बर 2022

https://www.kavitarawat.com

लिपिका भट्टी

लिपिका भट्टी

आपके लेख पढ़कर मुझे बहुत ही आनंद मिलता है।

6 सितम्बर 2022

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रचनाएँ
समसामयिक लेख (दैनन्दिनी-सितम्बर, 2022)
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माह सितम्बर की दैनन्दिनी में 'गणेशोत्सव' और 'नवरात्रि महोत्सव' के रंग में रंगकर पर्वों का आनंद जरूर उठाइए, लेकिन इतना ख्याल रखे कि इसमें अपने 'बुजुर्गों को साथ लेकर उनका आशीर्वाद लेना न भूलें'। भले ही 'सोशल मीडिया' का जमकर प्रयोग करें लेकिन ध्यान रहे ' इंसानियत की सीमा' का उल्लंघन न हो, किसी को 'मानसिक त्रास' न पहूँचे। अपनी दुनिया में मस्त रहें, लेकिन प्रकृति की भी चिंता करें, इसके लिए ' ग्लोबल वार्मिंग' और रासायनिक खादों से होने वाली बीमारियों के बचाव के लिए लोगों को 'जैविक खाद' प्रयोग के लिए प्रेरित करते रहिए। हमारे समाज में आज भी बड़े पैमाने में 'अन्धविश्वास' व्याप्त है, इसलिए इस बुराई को दूर करने के लिए 'शिक्षा का अलख' जगाने के लिए आगे आकर सार्थक प्रयास करें। आज जीवन में बड़ी अंधी भाग-दौड़ मची हैं, इसलिए अपने घर-रेस्त्रा में 'बचपन के मित्रों, सहपाठियों' को चाय-कॉफी पर बुलाकर चुस्कियां लेते हुए अपने बचपन और स्कूल की यादें ताज़ी कर घर-परिवार और देश दुनिया से जुड़कर जीवन में कुछ पल सुकून के अनुभव करके जरूर देखिए।
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मेरे शिवा का इको-फ्रेंडली गणेशोत्सव

1 सितम्बर 2022
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बच्चे जब बहुत छोटे होते हैं, तो उनकी अपनी एक अलग ही दुनिया होती है। उनके अपने-अपने खेल-खिलौनें होते हैं, जिनमें वे दुनियादारी के तमाम झमेलों से कोसों दूर अपनी बनायी दुनिया में मस्त रहते हैं। इसीलि

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भूमण्डलीय ऊष्मीकरण

2 सितम्बर 2022
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हमारा वायुमंडल प्रकृति की देन है।  यह हमारा पालनकर्ता और जीवन का आधार है।  यही हमें स्वस्थ और सुखी रखने का रक्षाकवच है।  लेकिन यदि यह विषाक्त होने लगे तो यह अभिशाप बनकर हमारे अस्तित्व, जीवन-निर्वाह, व

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ताऊ वाली कॉफी

4 सितम्बर 2022
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आज का विषय है कॉफी और दोस्ती। इस विषय पर बात करने से पहले बताती चलूँ कि हमें तो बचपन से ही चाय का चस्का है। क्योंकि बचपन से ही देखते आये कि घर आये मेहमान हो या नाते-रिश्तेदार जब तक उन्हें चाय-पानी नही

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राष्ट्र निर्माता और संस्कृति संरक्षक होता है शिक्षक

5 सितम्बर 2022
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शिक्षक को राष्ट्र का निर्माता और उसकी संस्कृति का संरक्षक माना जाता है। वे शिक्षा द्वारा छात्र-छात्राओं को सुसंस्कृतवान बनाकर उनके अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर देश को श्रेष्ठ नागरिक प्रदान करने मे

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सोशल मीडिया की ताकत

6 सितम्बर 2022
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वर्तमान समय इंटरनेट क्रांति का युग है, जहाँ सोशल मीडिया की ताकत को हम जंगल की आग और आंधी-तूफ़ान कह सकते हैं। यह परंपरागत मीडिया से अलग एक ऐसी आभासी दुनिया है, जहाँ पलक झपकते ही सूचनाओं के आदान प्रदान स

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समय के आगे सबको झुकता पड़ता है

7 सितम्बर 2022
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पंख होते हैं समय के जो पंख फैलाकर उड़ता है दिखता नहीं वह किसी को  पर छाया पीछे छोड़ता है कोई भरोसा नहीं समय का वह न बोलता न दुआ-सलाम करता है पर अपने आगे झुकाकर सबको चमत्कार दिखाता है बड़ा सय

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वृद्ध आश्रम

8 सितम्बर 2022
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कभी स्कूल में हमने हमारे हिन्दू आश्रम व्यवस्था के बारे में पढ़ा था, जिसमें हमें बताया गया था कि चार आश्रम ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास होते हैं। तब हमें पता नहीं था कि समय के साथ इन आश्रम व

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मानसिक स्वास्थ्य

11 सितम्बर 2022
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महाकवि कालिदास के एक सूक्ति है - शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्' अर्थात धर्म का (कर्तव्य का) सर्वप्रथम साधन स्वस्थ शरीर है।  यदि शरीर स्वस्थ नहीं तो मन स्वस्थ नहीं रह सकता।  मन स्वस्थ नहीं तो विचार स्वस्थ

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कई वर्ष बाद बचपन और स्कूल की सहपाठी का मिलना

13 सितम्बर 2022
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जहाँ पहले बचपन में सखी-सहेलियों के साथ खेलने-कूदने के साथ ही स्कूल की पढ़ाई खत्म होती तो कौन कहाँ चला गया, इसकी खबर तक नहीं हो पाती थी, वहीं जब से इंटरनेट का मकड़जाल फैला तो भूली-बिसरी सखी सहेलियों

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राष्ट्रभाषा स्वतंत्र देश की संपत्ति होती है

14 सितम्बर 2022
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          किसी राष्ट्र की संस्कृति उस राष्ट्र की आत्मा है। राष्ट्र की जनता उस राष्ट्र का शरीर है। उस जनता की वाणी राष्ट्र की भाषा है। डाॅ. जानसन की धारणा है, ’भाषा विचार की पोषक है।’ भाषा सभ्यता और सं

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मानवीय पूंजी

15 सितम्बर 2022
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हमारी मानवीय पूंजी शिक्षा, प्रशिक्षण, बुद्धि, कौशल, स्वास्थ्य और अनुभव होती है। इसी आधार पर किसी भी संगठन या संस्थान में हमारी सेवाओं के बदले हमारा पारिश्रमिक और भूमिका का निर्धारण होता है। यह मानवीय

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विश्वास पर भारी अन्धविश्वास

18 सितम्बर 2022
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किसी व्यक्ति या प्रचलित धारणा पर आंख मूँदकर बिना सोचे-समझे विश्वास करना अन्धविश्वास है। किन्हीं रुढ़िवादियोँ, विशिष्ट धर्माचार्योँ के उपदेश या किसी राजनैतिक सिद्धांत को बिना अपने विवेक के विश्वास कर स्

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श्रद्धा पर भारी काली गाय की मार

19 सितम्बर 2022
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आज भी दैनिक लेखन का विषय अन्धविश्वास है।  सोच रही थी कि इस बारे में क्या लिखूँ तो कुछ वर्ष पूर्व अपने मोहल्ले की एक घटना याद आ गयी। जब  हमारी बिल्डिंग के चौथे माले में एक ऐसा परिवार रहता था। उनके घर म

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जैविक खेती

21 सितम्बर 2022
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मुझे याद है बचपन में हमारे गाँव के खेतों की फसलें हो या घर की बावड़ियों में उगाई जाने वाली साग-सब्जियां, किसी में भी रासायनिक खाद का प्रयोग बहुत दूर की बात थी। उस समय कोई नहीं जानता था कि गोबर के अलावा

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मेरी पहली पढ़ी पुस्तक -हेमलासत्ता

22 सितम्बर 2022
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बचपन में जब स्वर और व्यंजन को पाटी में स्लेट से घोटा लगा-लगाकर लिखने का अभ्यास किया तो पहले दो, फिर तीन और फिर चार-चार शब्दों को जोड़-जोड़ कर पढ़ना सीखा तो सबसे पहले स्कूल में पढ़ाये जाने वाले पाठ्यक्रमों

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शर्मसार होती इंसानियत

23 सितम्बर 2022
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आज का दैनिक लेखन का विषय बड़ा ही संवेदनशील, विचारणीय और चिंतनीय है। आज देश-प्रदेश या हमारे आस-पास के कई इंसान कहलाने वाले जीवों के ऐसे-ऐसे घृणित, कुत्सित, पाशविक प्रवृत्ति के चहेरे हमारे सामने आ रहे है

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अंतरिक्ष यात्रा

25 सितम्बर 2022
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आज का युग विज्ञान का युग है। हर दिन होने वाले नवीन वैज्ञानिक आविष्कार दुनिया में नयी क्रांति कर रहे हैं। आज विज्ञान के आविष्कारों ने दैनिक जीवन सम्बन्धी, शिक्षण, चिकित्सा, यातायात, संचार आदि क्षेत्रों

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इंटरनेट के बिना एक दिन

27 सितम्बर 2022
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इंटरनेट से पहले जब दूरभाष या टेलीफोन का आविष्कार हुआ तो यह मानवीय जीवन के लिए एक उपयोगी वरदान था। क्योँकि तब दूर देश-परदेश में रहने वाले अपने लोगों से बातचीत एक सरलतम सुविधा माध्यम था। टेलीफोन से लोगो

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नवरात्र के व्रत और बदलते मौसम के बीच सन्तुलन

28 सितम्बर 2022
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आज नवरात्र सिर्फ साधु-सन्यासियों की शक्ति साधना पर्व ही नहीं अपितु आम लोगों के लिए अपनी मनोकामना, अभिलाषा पूर्ति और समस्याओं के समाधान के लिए देवी साधना कर कुछ विशिष्ट उपलब्धि प्राप्ति का सौभाग्यद

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युवाओं के लिए शारीरिक सकारात्मकता

28 सितम्बर 2022
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हमारे भारतीय चिन्तन में शरीर को धर्म का पहला साधन माना गया है। महाकवि कालिदास की सूक्ति "शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्"  और इस हेतु सदैव स्वस्थ रहने को कर्तव्य निरूपित किया है। "धर्मार्थ काममोक्षाणाम् आरो

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जादुई दुनिया

17 नवम्बर 2022
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छुटपन में मैंने जब पहले बार सर्कस में जादू का खेल देखा तो आंखे खुली की खुली रह गई। कई दिन तक जादूगर की वह छड़ी आँखोँ में घूमती रही। रात को जब सोती तो सपने भी उसी के आते, जिसमें वह कभी किसी चीज को गुम क

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