मुझे याद है बचपन में हमारे गाँव के खेतों की फसलें हो या घर की बावड़ियों में उगाई जाने वाली साग-सब्जियां, किसी में भी रासायनिक खाद का प्रयोग बहुत दूर की बात थी। उस समय कोई नहीं जानता था कि गोबर के अलावा भी कोई अन्य खाद भी होती है। जानते भी कैसे? क्योंकि तब वहाँ हर घर का अपना एक गौशाला होता था जहाँ गाय-भैंस, भेड़-बकरी पाली जाती और दूध-घी के साथ गोबर खाद भी पर्याप्त मिल जाता। समय बदला जैसे-जैसे गांव की जनसँख्या के साथ ही शिक्षा का स्तर बढ़ा और खेती-पाती से परिवार का पालन-पोषण करना मुश्किल हुआ तो नई पौध ने शहरों की ओर अपना रुख किया। शहर आकर उन्होंने रोजगार के साथ ही कुछ खेती-पाती की उपज बढ़ाने के गुर सीखे तो अपने साथ रासायनिक खाद के रूप में सबसे पहले यूरिया खाद गाँव ले गए। यहीं से एक-एक कर रासायनिक खादों का प्रचलन बढ़ा। इससे उत्पादन में भले ही बढ़ोत्तरी हुई, लेकिन प्रकृति के जैविक और अजैविक पदार्थों के बीच आदान-प्रदान का चक्र प्रभावित हुआ, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति कमजोर हुई तो उत्पादन भी अपनी निम्न स्तर तक पहुँच गया। इन रासायनिक खादों के प्रयोग से वातावरण भी प्रदूषित हुआ और उगने वाली फसलों से लोगों का स्वास्थ्य भी ख़राब होने लगा। गांव से स्वास्थ्य लाभ के लिए शहर भागते हुए लोगों को आज समझ आने लगा है कि अब उन्हें अपने खेत, बावड़ी में रसायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों का उपयोग नहीं करना है, बल्कि इसके स्थान पर जैविक खादों एवं दवाईयों का उपयोग कर अधिक उत्पादन प्राप्त करने के साथ ही भूमि, जल एवं वातावरण को भी शुद्ध रखना है, जिससे प्रत्येक प्राणी स्वस्थ रह सकें।
आज हम भले ही शहरी हो गए हैं, लेकिन हम जैविक खेती के प्रोत्साहन के लिए गांव-शहर के लोगों को अपने ब्लॉग के माध्यम से प्रेरित करते रहते हैं। इसके लिए हमने शहर में अपनी एक बगिया बनाई है, जिसके लिए हम घर के किचन से निकलने वाली साग-सब्जी, फल-फूलों के छिलके में नीम-पत्ती का घोल, लकड़ी की राख और दही उपयोग में लेते हैं। इसके लिए हमने बगीचे के एक कोने में गोबर रखा है, जिसमें इन सभी चीजों को दबा देते हैं, जहाँ १५-२० दिन में जैविक खाद तैयार हो जाती है। इस जैविक खाद से जो साग-सब्जी और फल-फूल खाने को मिलते हैं, उसकी बात ही अलग होती हैं। इन दिनों सब्जियों में कद्दू, गिलकी और सेम के साथ मिर्च और पोई की बहार आयी है। इसके अलावा तुलसी, लेमन ग्रास और कंडाली भी खूब हो रही है जिससे हम ग्रीन टी बनाते है, जो हमारे स्वास्थ्य का एक टॉनिक है।