हमारी मानवीय पूंजी शिक्षा, प्रशिक्षण, बुद्धि, कौशल, स्वास्थ्य और अनुभव होती है। इसी आधार पर किसी भी संगठन या संस्थान में हमारी सेवाओं के बदले हमारा पारिश्रमिक और भूमिका का निर्धारण होता है। यह मानवीय पूंजी समान नहीं होती हैं, इसलिए कुछ नियोक्ता संगठन या संस्थान अपने कर्मचारियों में शिक्षा, अनुभव और क्षमताओं के माध्यम से निवेश करके उनकी गुणवत्ता में सुधार करते हैं, जिससे उनकी अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होती है।
आज देश के कई सरकारी संस्थानों में सीधी भर्ती के स्थान पर मानवीय पूंजी की व्यापक उपलब्धता देखते हुए अधिकारी/कर्मचारियों की संविदा और आउटसोर्स के माध्यम से रिक्त पदों की पूर्ति की जा रही है। इससे शासन को बड़े पैमाने पर लाभ हैा क्योंकि कम वेतन पर उन्हें अधिक शिक्षित, दक्ष और अनुभवी कर्मचारी आसानी से सुलभ हो रहे हैं। मानवीय पूंजी में संचार कौशल, शिक्षा, तकनीकी कौशल, रचनात्मकता, अनुभव, समस्या सुलझाने के कौशल, मानसिक स्वास्थ्य और व्यक्तिगत लचीलापन सम्मिलित माना गया है। इसी आधार पर इन दिनों भारत सरकार की अग्निवीर योजना काम कर रही है, जहां युवाओं को सेना में भर्ती करना और फिर उन्हें संपूर्ण प्रशिक्षण देते हुए उनमें से सर्वथा योग्य सैन्य बल का चयन कर देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ करना है।
इसके अलावा यदि हम मानवीय पूंजी को व्यक्तिगत रूप से देखें तो यह हमारे द्वारा जीवन जीने के लिए मानवीय मूल्यों को ध्यान में रखते हुए ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और आत्मविश्वास से किये जाने वाले कार्य कह सकते हैं, जिसमें हमारी आत्मसंतुष्टि निहित होती है।