जैसे हर प्रेम कहानी मैं एक राजा होता है और एक रानी......और दोनों की प्रेम कहानी और सुंदरता से पर्दे पर दिखाया जाता है पर इस कहानी की मैं ना राजा है और ना ही कोई रानी..... यह तो बचपने में हुआ एक ऐसा एहसास था जिसे सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है और लोगों का क्या है यह तो जाति बिरादरी के अंदर इसे तौलने लग जाते हैं यह कहानी मेरी है और मुझ तक ही खत्म होनी है..... मैं आज उसके लिए क्या लड़ूं मैं आज तक कभी अपने के लिए भी खड़ी नहीं हुई। लोग भले ही मुझे डरपोक कहे..... यहां तक कि मैं आज उसकी नजरों से नजरें मिलाकर तक देख नहीं सकती। इसमें विचारों का तूफान लिए एक ऐसी लड़की खड़ी है
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