जिदंगी के उस दो राहे पर खड़ा हूं ।
ना जी सकता हूं और न ही मर ।
जीने के लिए कुछ बचा नहीं ।
और किसी की उम्मीदें मुझें मरने नही देतीं ।।
14 सितम्बर 2021
जिदंगी के उस दो राहे पर खड़ा हूं ।
ना जी सकता हूं और न ही मर ।
जीने के लिए कुछ बचा नहीं ।
और किसी की उम्मीदें मुझें मरने नही देतीं ।।
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मै एक हिन्दी ब्लागर हूं। मेरा ब्लाग budhanii.blogspot.com में हिन्दी कविता, शायरी, धार्मिक, आध्यात्मिक, पर्यटक स्थल एवं ऐसे सामजिक विषय जो आम जनजीवन से संबंधित है । ऐसे विषय पर आर्टिकल के माध्यम से जानकारी प्रदान करने की कोशिश की जाती है। D