जो व्यक्ति अपने जीवन को दुखों से मुक्तितीत है या नहीं उसे अपने जीवन का महत्वपूर्ण अभिप्राय कहा जाता है। किसी की बातों के ऊपर ध्यान देकर हम उसी महत्व देकर आगे बढ़ते हुए नजर आते है मगर, दोस्तों कभी कभी ऐसा भी होता दुखों का फायदा उठाकर बहोत बडी चोट लोग पहुचाते है,और हम बिल्कुल भी एक लफ्ज़ बोल नहीं पाते है और तमाशा चुपचाप देखा करते है मगर, नाराजगी चेहरे से हटती ही नहीं बल्कि बढ़ जाती है।और हम खुदको कोस्ते रहते है, ऐसा बिल्कुल भी ना करे क्योंकि हमने किसके कहने से जन्म नहीं लिया है हम अपने मर्जी के मालिक है।और इस धरती पर सभी कर्ज चुकाने आये हुवे है और तो और सभी भाडे पर रह रहे है ऐसा कौनसा आदमी है या नारी है वो भाडा नहीं दे रहा हो वैसा ही प्राणी, पक्षियों, जीव, जंतु अपनी जान गवाते है और धरती पर कर्ज चुकाकर चले जाते है.। यही सत्य कहानी आज भी दौराती है और हम यही कहते है लोगो से कि मेरे पास गाड़ी, बंगला, जमीन जायदाद है मुझे क्या कमी मगर, वो ये भूल जाता है कि मै सरकार को कर अदा करते रहता हूं,मैं हर साल.। इसलिए कहता हूं मै अपने जीवन को व्यस्त रखे गती के आगमन से चले यही सबसे आपना बडा महत्वपूर्ण योगदान रहेगा.। सवाल ये है कि जीवन से आप क्या सिखकर आए ये मृत्यु को भी अटल है।सौम्य ये अपना शांति समृद्धि मे जीएं यही मांग मनुष्य करता फिरता है,सत्य तो ये है कि संसार मे घोर अनर्थ हो रहा है.। देखो चारो और मक्खी की तरह जंग छेड़ बसे हुए हैं आम तौर पर कोई का सहारा नहीं होता,सत्तेधारी अपने सत्य अटल और अंक लगाकर बैठे हुए रहते है और कहते सब सुख यही और कहा मिलेगा ऐसा सुवर्ण सुख जो ये धरती पर हमें मिल रहा है