shabd-logo

‘महात्मा’ वृत्रासुर और श्री विष्णु जी द्वारा जातिगत भेदभाव

11 मई 2024

1 बार देखा गया 1

महात्मा और असुर; यह पढ़ कर आप भी चौंक गए होंगे। परंतु यह सच है। ये निम्न कहानी वाल्मीकि रामायण से आपके लिए प्रस्तुत है।            

बहुत पहले की बात है (शायद त्रेता या द्वापर की) जब देवता और असुर परस्पर मिलकर रहते थे । 

उन दिनों वृत्र नाम से प्रसिद्ध एक बहुत बड़ा असुर रहता था । 

सभी जगह उसका बड़ा आदर था। वह 100 योजन चौड़ा और 300 योजन ऊंचा था। 

वह तीनों लोकों को आत्मीय समझ कर प्यार करता था और सबको स्नेह भरी दृष्टि से देखा था। उसे धर्म का यथार्थ ज्ञान था। वह कृतज्ञ और स्थिरप्रज्ञ था तथा पूर्णतया सावधान रहकर धन-धान्य से भरी- पूरी पृथ्वी का धर्म पूर्वक शासन करता  था। 

उसके शासनकाल में पृथ्वी संपूर्ण कामनाओं को देने वाली थी। यहां फल, फूल और मूल सभी सरस होते थे। महात्मा वृत्र  के राज्य में यह भूमि बिना जोते-बोये ही अन्न उत्पन्न करती तथा धन-धान्य से भली भांति संपन्न रहती थी। 

इस प्रकार वह वृत्र नामक असुर बहुत समृद्धिशाली एवं अद्भुत राज्य का पालन  करता था। उसके ऊपर भगवान विष्णु का भी वरद हस्त था व उसे विष्णु जी का स्नेह प्राप्त था।  

एक समय वृत्रासुर के मन में यह विचार उत्पन्न हुआ कि मैं परम उत्तम तप करूं क्योंकि तप ही परम कल्याण का साधन है। दूसरा सारा सुख तो मोह मात्र ही है। उसने अपने बड़े  पुत्र मधुरेश्वर को राजा बना दिया और वह कठोर तपस्या करने लगा। 

इंद्र की समस्या और भगवान विष्णु की शरण            

वृत्रासुर के तपस्या में लग जाने पर इंद्र दुखी होकर भगवान विष्णु के पास गए और बोले - महाबाहो, तपस्या करते हुए वृत्रासुर ने समस्त लोक जीत लिए। वह धर्मात्मा असुर बलवान  हो गया है; अतः मैं उसे पर शासन नहीं कर सकता । यदि वह इसी प्रकार तपस्या करता रहा तो हम सब देवताओं को उसके अधीन ही रहना पड़ेगा। इंद्र ने आगे कहा देवेश्वर आप उस परम उदार असुर की उपेक्षा कर रहे हैं इसीलिए वह शक्तिशाली होता जा रहा है। यदि आप कुपित हो जाए तो वह क्षण भर भी जीवित नहीं रह सकता। 

है विष्णु जब से आपके साथ उसका प्रेम हो गया है तभी से उसने संपूर्ण लोगों का आधिपत्य प्राप्त कर लिया है। अतः आप अच्छी प्रकार ध्यान देकर संपूर्ण लोगों पर कृपा कीजिए। आपकी रक्षा से ही सारा जगत शांत एवं निरोग रह सकता है। हम सब देवता आपकी और देख रहे हैं। वृत्रासुर का वध एक महान कार्य है उसे करके आप इन देवताओं पर उपकार कीजिए। प्रभु आपने सदा ही हम देवताओं की सहायता की है; यह असुर दूसरों के लिए अजय है परंतु आपके लिए नहीं है। आप ही हम सब के आश्रयदाता हो। 

 भगवान विष्णु की कुटिलता  

सहस्त्र नेत्र धारी इंद्र और अन्य देवताओं की प्रार्थना सुनकर भगवान विष्णु ने इस प्रकार कहा: 

1: देवताओं तुम्हारी इस प्रार्थना के पहले से ही में महामना वृत्रासुर के स्नेही बंधन में  बंधा हुआ इसलिए तुम्हारा प्रिय       करने के उद्देश्य से भी मैं उसे महान असुर का वध नहीं करूंगा।  

2.  परंतु तुम सबके उत्तम सुख की व्यवस्था करना मेरा आवश्यक कर्तव्य है; इसलिए मैं ऐसा उपाय बताऊंगा जिससे देवराज इंद्र उसका वध कर सकेंगे। देवतागणों  मैं अपने स्वरूप को तीन भागों में विभक्त  करूंगा और इंद्र को वृत्र का वध करने का उपाय बताऊंगा ।  

वृत्र का वध 

भगवान विष्णु के इस प्रकार कहने पर देवताओं
     ने कहा ठीक है प्रभु जैसा आप कहते हैं वैसा ही हो। भगवान विष्णु ने इंद्र को
     उपाय  बताया । इंद्र आदि सभी देवता वहां
     गए जहां महान असुर वृत्र  तपस्या कर रहा
     था। वहां उन्होंने देखा की असुर श्रेष्ठ वृत्र अपने तप से सब और व्याप्त हो रहा
     है और ऐसी तपस्या कर रहा है मानो तीनों लोगों और आकाश में छा जाएगा  ।  

पहले तो उसे देखते ही देवता लोग घबरा गए और
     सोचने लगे कि हम कैसे इसका वध करेंगे और कैसे इसकी पराजय होगी। कुछ देवता तो
     भाग भी गए । परंतु इंद्र ने विष्णु जी के बताए हुए के अनुसार दोनों हाथों से
     वज्र उठाकर उस असुर के मस्तक पर दे मारा। इंद्र का वह वज्र प्रलय काल की अग्नि
     के समान भयंकर और विष्णु जी के तेज से दीप्तिमान  था। उसकी चोट से कट कर असुर का मस्तक धरती
     पर गिर गया । 

टिप्पणी : कहानी
     इस के आगे भी है परंतु तात्पर्य यहाँ तक ये ही कि इतने धर्मात्मा  व प्रजापालक राजा को भी देवताओं के राजा इंद्र
     सहन नहीं कर सके और भगवान विष्णु ने भी –उससे स्नेह बंधन होने के बावजूद  उसे
     मारने में अपनी शक्तियाँ इंद्र को प्रदान करीं क्योंकि वह असुर जाति से था और
     देवतागण देव जाती से ।                  

(सौ. वाल्मीकि रामायण) 

  

   

वीरेंद्र कुमार गुप्ता की अन्य किताबें

1

2019 के चुनाव अभियान में मर्यादाएं तार तार

9 जून 2019
2
5
4

2019 के इलेक्शन संपन्न हुए-गणतांत्रिक प्रक्रियाका एक मील का पत्थर. सारी गहमा-गहमी, उत्तेजना, भाषण, सभाएं इत्यादि कीअभी के लिए तो इति हुई.परन्तु गणतंत्र में चुनाव तो आम बात है और फिरचुनाव होंगे और होते रहेंगे. सभी (आम नागरिक) इस बात से सहमत होंगे किप्रतिस्पर्धता जो गणतंत्र में एक स्वस्थ घटना होनी चाह

2

गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टैगोर की एक रचना का अंश

12 जून 2019
2
5
3

मै अनेक वासनाओं को प्राणपन से चाहता हूँ;तूने मुझे उनसे वंचित रख, बचा लिया.तेरी यह निष्ठुर दया मेरे जीवन के कण कण में व्याप्त है.तूने आकाश, प्रकाश, देह, मन, प्राण बिना मांगे दिए हैं.प्रतिदिन तू मुझे इस महादान के योग्य बना रहा है;अति इच्छा के संकट से उबार कर...मित्रों , अर्थात अपने आप को अति इच्छा के

3

होम कपोस्टिंग

19 जुलाई 2019
0
3
5

प्रत्येक गृहस्थी में रोज सब्जियों व फलों के छिलके फेंके जाते हैं जोकचरे के साथ पर्यावरण में गन्दगी फैलाते हैं; गैस पैदा करते हैं और सड़ कर नष्ट होजाते है. थोड़े से ही ध्यान और कष्ट से इन छिलकों को घर में ही compost में बदलसकते हैं. यह कम्पोट आपके घरेलु बाग़ में ही काम आ

4

क्या यह हॉर्न जरूरी था/है ??

10 अगस्त 2019
1
0
0

क्या यह हॉर्न जरुरी था/है ?आप कार चला रहे हैं. चलते चलते आप ने देखा कि आप ट्रैफिकजाम में फंस गए हैं. आप हॉर्न पर हॉर्न बजा रहे है; .....अफ़सोस कोई फायदा नहीं होरहा है; आप तो जाम में ही हैं. परन्तु क्या आप, कभी सोचते हैं कि क्या ये हॉर्न

5

आइये कुछ बदलें

7 सितम्बर 2019
0
0
0

आइये कुछ बदलें. जी हाँ, मेरा देशकुछ बदल गया है; कुछ बदल रहा है; और बहुत कुछ बदलेगा.ये आप सभी को हीनहीं, विदेशियों को भी दिखाई दे रहा है. इसलिए इस के उदाहरणों देने की आवश्यकतानहीं है. यदि किसी को नहीं दिखाई देता है तो हम उसका दृष्टि नहीं दे सकते.क्या मैं और आप इसबदलाव को केवल देखते ही रहेंगे (और/या आ

6

आइये कुछ बदलें -2

30 अक्टूबर 2019
0
0
0

मित्रों , मैंने पहले एक लेख में बदलाव के कुछ सरल विषय लिखे थे जिनमें हमारे समाज को बदलने की आवश्यकता है. फिर मैंने ट्रैफिक के केवल तीन बिंदुओं पर आप सब का ध्यान आकर्षित किया था-फालतू हॉर्न बजाना; वाहन ठीक से पार्क करना एवं द

7

होली की शुभकामनाएं 2020

10 मार्च 2020
0
1
0

कुसुम किसलय कुञ्ज कोकिल,कूकते है फ़ाग में।तन और मन भीगे हुए हैं,प्रेम और अनुराग में।।तन प्रफुल्लित मन प्रफुल्लित,नित नए उत्सर्ग में।ईश् अनुकम्पा बिखेरे,होलिका के पर्व में।।#आप_को_सपरिवार_रंगपर्व_होलिकोत्सव_की_हार्दिक_शुभकामनाएं।

8

एक आधुनिक पौराणिक कहानी

24 मार्च 2020
0
0
0

एक “आधुनिक” पौराणिक कहानीआप सभी नेपौराणिक कहानियों मेंपढ़ा हीहोगा किदेवताओं औरदानवों काबार बारयुद्ध होताथा, औरबार बारदेवता हारतेहुए, भगवान् (अर्थात भगवान् विष्णु ) के दरबारमें गुहारलगते थे–त्राहि माम,त्राहि माम.भगवान् फिरकिसी नएदेवी यादेवता कीरचना करकेदेवताओं कोशक्ति प्रदानकरते थे.देवता विजयीहोते थेऔ

9

सन्नाटा सुनें

18 अक्टूबर 2020
0
0
0

इस शोर शराबे के जीवन में, जहां आवाज की प्रबलता/ऊंचाई ही एक मापदंड है; आप शायद भूल ही गए होंगे कि सन्नाटा या शान्ति क्या है और कैसा/कैसी लगता/लगती है. तो सन्नाटा सुनने का तो कोई प्रश्न ही पैदा नहीं होता. सन्नाटा सुनना; यह आपने क्या कह दिया; क्या सन्नाटा भी कभी सुना जा सकता है ?शायद आपने एक पहेली क

10

पतंजलि योग सूत्र -पहले अध्याय का सारांश

29 जून 2021
1
0
3

<!--[if gte mso 9]><xml> <o:OfficeDocumentSettings> <o:RelyOnVML/> <o:AllowPNG/> </o:OfficeDocumentSettings></xml><![endif]--><!--[if gte mso 9]><xml> <w:WordDocument> <w:View>Normal</w:View> <w:Zoom>0</w:Zoom> <w:TrackMoves/> <w:TrackFormatting/> <w:PunctuationKer

11

मुंशी प्रेमचंद रचित कहानी -"जिहाद"

10 नवम्बर 2021
0
0
0

<p><strong>मुंशी प्रेमचंद की एक बिसरी हुई कहानी copy-paste कर रहा हूँ। </strong></p> <p><stron

12

मेरा देश बदल रहा है.

10 नवम्बर 2021
0
0
0

<p> 7-09-19 को मैंने यहाँ पोस्ट किया था कि मेरा देश बदल रहा है। शुरुआत ऐसे थी

13

भगवत गीता का सरल व व्यावहारिक ज्ञान

23 मई 2022
2
0
0

श्रीमद भगवद गीता का नाम तो आपने अवश्य सुना होगा। श्रीमद भगवद गीता का नाम आते ही लगभग सभी हिंदुओं का मन श्रद्धा से तो भर ही जाता है । परंतु गीता के बारे में आप क्या जानते हैं? एक majority का उत्तर ह

14

सरल ज्ञान -2

23 मई 2022
2
2
4

 क्या आप मानते हैं कि गीता में कहा है :  “कर्म करो और फल की इच्छा मत करो”  यदि हाँ, तो यह अवश्य पढ़ें।  यह बिलकुल गलत धारणा है।  सभी कर्म किसी न किसी परिणाम/फल के लिए किए जाते हैं। अर्थात फल की ‘इच

15

सरल गीता ज्ञान -3

4 जुलाई 2022
1
0
0

 गीता श्लोक 2/47 –(contd)---   पिछली बार (भाग 2 में) “कर्म करने और फल की इच्छा” के संबंध पर चर्चा की गयी थी।   इस के लिए अध्याय 2 के श्लोक 47 के पहले वाक्य को पढ़ा गया था-  कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फल

16

सरल गीता ज्ञान -4 (आसक्ति, राग, द्वेष)

24 अप्रैल 2023
1
0
0

अभी तक के सरल गीता ज्ञान के तीन भागों में श्लोक 2/47 की चर्चा गयी है। जिस  का सारांश यह है कि: प्रत्येक व्यक्ति को अपने  निर्धारित कर्म , पूरे कौशल व क्षमता से करने हैं, कर्म सफल हो अर्थात परिणाम मि

17

सरल गीता ज्ञान -भाग 5

25 अप्रैल 2023
0
0
0

भाग 5-श्लोक 2/48 का विवरण व 2/47 व 2/48 का सारांश। पिछले भाग - भाग 4 में राग, द्वेष, आसक्ति शब्दों पर चर्चा की गयी थी। ये शब्द गीता में अनेकों बार आते हैं ।  अब दो प्रमुख श्लोकों में से श्लोक 2/48 क

18

सरल गीता ज्ञान भाग 7 - कर्म किए जाने की प्रक्रिया

17 मई 2023
2
0
0

  पिछ्ले अर्थात छटे भाग को सुनने के बाद शायद  आप ने अपने कर्मों/कर्तव्यों की समीक्षा की हो।  हो सकता है कि आप अपने सभी कर्मों को जानते हैं और उन्हे पूरी लगन के साथ कर रहे हैं? ।  ये तो हुई नियत कर्

19

सरल गीता ज्ञान -भाग 8 -कर्म करने की प्रक्रिया ---

2 जून 2023
1
1
1

 मित्रो,   सप्रेम व सादर  नमस्ते।   आशा है आप सभी कुशल व शांत होंगे।  यह भाग पिछले अर्थात 7वें भाग से connected है। अत:  इन दोनों भागों में निरंतरता होने के कारण इस भाग के लिए पहले, कृपया 7वां  भाग

20

सरल गीता ज्ञान भाग 6 -कर्मों का स्वरूप।

2 जून 2023
0
0
0

अभी तक के 5 भागों में:  कर्मयोग के दो प्रमुख श्लोकों -2/47 व 2/48 पर और राग, द्वेष, आसक्ति शब्दों पर चर्चा की गयी। आपको  याद होगा कि कर्म शब्द से पहले –श्लोक 2/47 में  कर्म से पहले ‘निर्धारित’; और

21

"निस्वार्थ भाव से आया आगंतुक"

8 दिसम्बर 2023
1
1
1

"निस्वार्थ भाव से आया आगंतुक"  वरिष्ठ जीवन में एक प्रमुख कमी जो अनुभव की जाती है वह है व्यक्तिगत संपर्क। संपर्क तो व्यावसायिक जीवन के बाद से ही कम होने आरंभ हो जाते हैं । इस के अतिरिक्त इंटरनेट और मो

22

श्री हनुमान जी –रामचरित मानस v/s वाल्मीकि रामायण

27 मार्च 2024
2
1
1

 हनुमानजी के भक्तों ने शायद ही कभी ध्यान दिया हो कि राम चरित मानस में हनुमान जी के जो गुण चरितार्थ किए गए हैं, वे मुख्यत: शक्ति, भक्ति(श्रीराम की) और आज्ञा पालन हैं। क्योंकि इन सब गुणों को कठिन कार्य

23

‘महात्मा’ वृत्रासुर और श्री विष्णु जी द्वारा जातिगत भेदभाव

11 मई 2024
0
0
0

महात्मा और असुर; यह पढ़ कर आप भी चौंक गए होंगे। परंतु यह सच है। ये निम्न कहानी वाल्मीकि रामायण से आपके लिए प्रस्तुत है।             बहुत पहले की बात है (शायद त्रेता या द्वापर की) जब देवता और असुर परस्

24

चुनाव में मर्यादाएँ

29 मई 2024
0
0
0

2019 के चुनाव सम्पन्न होने के पश्चात मैंने 'शब्द' पर एक लेख प्रेषित किया था –“2019 के चुनाव अभियान में मर्यादाएं तार तार”।  अब 2024 के चुनाव भी पाँच वर्ष बाद फिर सम्पन्न हो गए हैं (लगभग)। ये समाज के

---

किताब पढ़िए