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विश्वास

9 अक्टूबर 2015

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विश्वास   की इन टूटी डालियों को ,

कोई तो उठ के सहारा दे दो ,


छोडो न इनको भाग्य के भरोसे ,

बस साथ होने का इशारा दे दो,


पहुंच कररहेंगेऐअपनीमंजिलतक ।....

puri राह नहीं , बस चलने का किनारा दे दो ,


ऐ भरकर रहेंगे दिलों में उजालों की बिजलियाँ ,

बस इनको विश्वास का एक शरारा दे दो ,।.....


bas शान से जीने का हक़ हमारा दे दो ।..........



योगिता वार्डे ( खत्री )

योगिता वार्डे ( खत्री )

बस शान से जीने का हक़ हमारा डे दो बहुत सुन्दर मंजू जी |

2 नवम्बर 2015

मंजू

मंजू

शुक्रिया ।.. अर्चनाजी

9 अक्टूबर 2015

मंजू

मंजू

शुक्रिया ।.. अर्चनाजी

9 अक्टूबर 2015

अर्चना गंगवार

अर्चना गंगवार

bas शान से जीने का हक़ हमारा दे दो ।......bahut सुन्दर

9 अक्टूबर 2015

मंजू

मंजू

धन्यवाद । अनुराग जी और वार्तिका जी

9 अक्टूबर 2015

वर्तिका

वर्तिका

उत्कृष्ट रचना के लिए बधाई! सराहनीय!

9 अक्टूबर 2015

अवधेश प्रताप सिंह भदौरिया 'अनुराग'

अवधेश प्रताप सिंह भदौरिया 'अनुराग'

ऐ भरकर रहेंगे दिलों में उजालों की बिजलियाँ , बस इनको विश्वास का एक शरारा दे दो ,।..... बहुत सुन्दर रचना ,बधाई हो मंजू जी !

9 अक्टूबर 2015

मंजू

मंजू

धन्यवाद ओम प्रकाशजी , आप ऐसे ही हमारा हौसला बढ़ाते रहिये ।

9 अक्टूबर 2015

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

रचना की हर पंक्ति सुन्दर ! अंतिम पंक्ति, 'बस शान से जीने का हक़.... शानदार है !

9 अक्टूबर 2015

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