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प्रमुख और रमणीय स्थल

12 जनवरी 2024

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मुख्य देव कामदगिरि *****

कामद गिरि की विशेषता है कि यह हर ओर से देखने मे धनुषाकार ही दिखता है।
यह  चित्रकूट का सबसे प्रमुख स्थान है ।इसका कामदगिरि के नाम से  संरक्षण ट्रस्ट भी है । यह भगवान के स्वरुप ही माने जाते हैं । यहां चार द्वार हैं उत्तरी द्वार मुख्य द्वार के नाम से प्रसिद्ध है । इसे प्रथम मुखारविंद भी कहते हैं । फिर अपनी बाईं ओर  से परिक्रमा शुरू होती है । परिक्रमा स्थल के मार्ग में अनेकों वैष्णव सन्तों के मंदिर मठ व आश्रम बने हैं ।
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पूरा परिक्रमा मार्ग टीन शेड और रास्ता पत्थर के चौको  से बना है । फिर द्वितीय मुखारविंद ,तृतीय व चतुर्थ है ।इस तरह लगभग सवा 5 किलोमीटर का परिक्रमा मार्ग है जिसे पंचकोसी परिक्रमा भी कहते हैं ।

यह तेजी से चलने में 40 -45 मिनट में लगभग पूरी हो जाती है । परिक्रमा मार्ग में अनेको लकड़ी के खेल खिलौने  श्रृंगार की सामग्री,धार्मिक पुस्तकों की,  व खाने-पीने की दुकानें हैं । पूरे रास्ते भर बंदर मिलते हैं उनको भी लोग अपने हाथ से भुने चना ,फल, अनाज ,पूरी आदि खिलाते हैं ।
परिक्रमा मार्ग में  भरत मिलाप मंदिर, साक्षी गोपाल, कामधेनु , रामवनगमन पथ, लक्ष्मण पहाड़ी  स्वर्गाश्रम पीली कोठी ,वरहा के हनुमान जी व सरयू धारा आदि स्थान यहां पर देखने योग्य हैं ,तुलसीदास जी द्वारा लगाया हुआ पीपल का वृक्ष भी वहां पर है । मां पयस्विनी का उद्गम स्थल ब्रह्म कुंड भी है।
शैल सुहावन कानन चारू ।
करि केहरि मृग विहग विहारू। ।

पूरा परिक्रमा पथ इतना आकर्षक है कि पता ही नहीं लगता कब पूरा हो गया । मान्यता है कि प्रभु कामतानाथ जी का विग्रह मानव के रूप में प्रकट हुआ था।  जब रामचंद्र जी 12 वर्ष वनवास के बाद जाने लगे कामदगिरि पर्वत ने कहा कि प्रभु आप चले जाएंगे तो यहां जंगल होने के कारण कोई नहीं आएगा तब उन्होंने कहा कि  कामदगिरि की परिक्रमा लगाए बिना चित्रकूट यात्रा निष्फल होगी तब से इन की परिक्रमा की जाती है ।
एक चौपाई इनके महात्म्य को दर्शाती है 
कामद भे गिरि  रामप्रसादा  ।
अवलोकत अपहरत विसादा ।।

यहां परिक्रमा दर्शन करने मात्र से सभी मनोरथ पूर्ण व दुखो का अंत हो जाता है ज्ञात अज्ञात पापों से मुक्त हो जाते हैं। लोग दूर-दूर से आते हैं और परिक्रमा लगाते है ।विशेष मन्नत वाले लोग लेटकर भी परिक्रमा लगाते हैं जो लगभग 7-8 घंटे मे पूर्ण हो जाती है ।कहा जाता है सबसे पहले भरत जी ने त्रेता युग मे दण्डवत परिक्रमा लगाई थी।

प्रति मास की अमावस्या ,चैत्र रामनवमी व दीपावली के पंच पर्व पर दीप जलाते हैं। दीवाली पर दीपोत्सव मेला बहुत भव्य व विशाल लगता है ।लोग 5 दिन रुककर मंदाकिनी मे दीपदान करते है धनतेरस से भातृ द्वितीया को संगम मे स्नान कर दीप दान कर ही वापस जाते हैं ।

अलग से 1 हफ्ते को ट्रेन चलाई जाती हैं। जनसमूह दूर-दूर से पैदल चलकर भी आता है लोग मन्नत पूरी होने पर लेट कर भी परिक्रमा लगाते हैं । यह परिक्रमा मार्ग आधा सतना मध्य प्रदेश में पड़ता है और आधा उत्तर प्रदेश में ।मेले मे रामघाट के बाद आवागमन के साधन बंद हो जाते है पैदल जाना होता है ।
कामदगिरि पर्वत मे श्रद्धा, भक्तिभाव के कारण श्रद्धालु उनके ऊपर नहीं चढ़ते है।
परिक्रमा पथ मे कन्दमूल फल जो भगवान श्रीराम मां जानकी व लक्ष्मण जी ने वनवास काल में खाते थे ।
कामदगिरि प्रमुख द्वार article-image

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रचनाएँ
पावन चित्रकूट
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प्रस्तावित पुस्तक में मैने अपनी भावी पीढ़ी को कहानी के माध्यम से ऐतिहासिक ,धार्मिक स्थल चित्रकूट के बारे में जानकारी देते हुए अपनी संस्कृति से परिचित कराने का छोटा सा प्रयास किया है ।आपको यह कोशिश कैसी लगी समीक्षा देकर अपने विचार अवश्य बतायें। चित्रकूट भारत के सबसे प्रसिद्ध प्राचीन तीर्थ स्थलों में से एक है । आइये पुस्तक में अवलोकन करते हैं परम पावन रमणीय चित्रकूट के दर्शनीय स्थलों का । " जय श्रीराम"
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महिमा चित्रकूट की (1)

11 जनवरी 2024
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दादी जी दादी जी!! "आज आप हमें चित्रकूट के बारे में अच्छे से जानना चाहते हैं वहां ऐसी क्या विशेषता थी कि भगवान राम जी ने अपने 14 वर्ष के वनवास काल के 12 वर्ष वहीं बिताये"?जरूर कृष्णा बेटा आज तुम स

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दर्शनीय स्थल (2)

11 जनवरी 2024
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इसी चित्रकूट में श्री रामचंद्र जी ने माता पिता द्वारा दिये गये 14 वर्ष के वनवास में 12 वर्ष यहीं गुजारे थे।महर्षि अत्रि व पत्नी अनुसूया की यह पवित्र तपोस्थली थी । यह धर्म की नगरी कही जाती

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पावन पवित्र स्थल

12 जनवरी 2024
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मन्दाकिनी नदीनदी के विहंगम दृश्यों पर नजर डालने से यहां के घाट बनारस की याद ताजा कर जाते हैं । यहां शाम को बनारस की ही तरह आरती और कीर्तन होते है ।दीपावली अमावस की काली रात मे प्रज्वलित दी

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प्रमुख और रमणीय स्थल

12 जनवरी 2024
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मुख्य देव कामदगिरि *****कामद गिरि की विशेषता है कि यह हर ओर से देखने मे धनुषाकार ही दिखता है।यह चित्रकूट का सबसे प्रमुख स्थान है ।इसका कामदगिरि के नाम से संरक्षण ट्रस्ट भी है । यह भगवान के

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चित्रकूट में भरत-लक्ष्मण

12 जनवरी 2024
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भरत मिलाप *********बच्चो रामचन्द्र जी पिता की आज्ञा मानकर 14 वर्ष को पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण के साथ वन को चले जाते अयोध्या में कैकेयी पुत्र भरत व सुमित्रा नन्दन शत्रुघ्न लौटकर

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चित्रकूट में जानकीकुंड

16 जनवरी 2024
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जानकीकुंड ********रामघाट से 2 किलोमीटर मंदाकिनी नदी के किनारे (जनक सुता होने के कारण सीता जी को जानकी भी कहा गया है) मान्यता है सीता जी यहां स्नान करती थी ।जानकी कुंड में रामभद्राचार्य जी जो तुलसी पीठ

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अनुसूया आश्रम व गुप्त गोदावरी

16 जनवरी 2024
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ये दोनो स्थान चित्रकूट के चारधाम के अन्तर्गत आते है ।अनुसूया आश्रमजानकीकुंड से 14 किलोमीटर की दूरी पर घने जंगलों से घिरा यह स्थान है । पहले बहुत निर्जन होने के कारण यहां पर लोग अकेले नहीं जाते थे । यह

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संकर्षण गिरि में हनुमानधारा

16 जनवरी 2024
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कामदगिरि के पूर्व दिशा में एक संकर्षण गिरि है ।इसी पहाड़ी के शिखर पर स्थित हनुमान धारा में पहाड़ के सहारे टिकी हनुमान जी की विशाल मूर्ति है मूर्ति के ठीक ऊपर पहाड़ मे 2 कुंड हैं जिनका जल मूर्ति क

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चित्रकूट भरत कूप

18 जनवरी 2024
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भरतकूप*******भरत जी जब रामचंद्र जी को मनाने अयोध्या से चित्रकूट आए थे तब उन्होने रामचंद्र जी के राज्याभिषेक के लिए साथ में सभी तीर्थों का जल ले लिया था लेकिन प्रभु पित्राज्ञा से 14 वर्ष के

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मड़फा आश्रम, सुतीक्ष्ण व सरभंग आश्रम

18 जनवरी 2024
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मड़फा पहाड़********भरतकूप क्षेत्र में बीहड़ जंगल में लगभग ढाई सौ मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित मरपा पहाड़ है इसी पहाड़ पर मांडव ऋषि का आश्रम था जिसके कारण इसका मांडव ऋषि का अपभ्रंश रूप होकर मड़फा पहाड़ के

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बाल्मीकि आश्रम

21 जनवरी 2024
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रामदर्शन ********यह सतना चित्रकूट मार्ग पर आरोग्यधाम के आगे रास्ते मे है ।यह एक संग्रहालय है यहां राम जी व रामायण काल से सम्बंधित वस्तुये है ।एक चित्रगैलरी मे बिजलीचालित रामायण कथा दिखाई जाती है । यहा

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शबरी प्रपात

21 जनवरी 2024
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बांके सिद्ध आश्रम *******बांके सिद्ध अनसूया जी के भाई सांख्य दर्शन के प्रणेता कपिल मुनि का स्थान कहा जाता है । इस गुफा में लगभग 15- 20000 वर्ष पहले के प्राकृतिक शैल भित्ति चित्र हैं जो प्रशासन क

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