3 अप्रैल 2017
एक नवगीत......“कुछ कहना है” सभी से दिल खोल के यारों, अभी बहुत कुछ कहना है दिल में मेरे अहम प्रश्न है, सबके सन्मुख रखना है..... कहती है यह धरा सभी से पेड़ लगाओ जरा अभी से मत बहलाओं मन को अपने कलियाँ क्रंदन करें कभी से फूलते बगिया फूल है यारो