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28 सितम्बर 2022

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रचनाएँ
कुछ ख्वाहिशें अधूरी सी...
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इश्क, मोहब्बत, प्यार, लव, प्रेम, चाहत और न जाने कितने ही नाम हैं इस एहसास के... एहसास वो जिसका बखान करने वाले शायर बन गए... एहसास वो जिसे महसूस करके कई आशिक दीवाने बन गए... इसी एहसास की लहरों में हिचकोले लगाती हुई ख्वाहिशों की है ये कहानी... ये ख्वाइशें पूरी होंगी या रह जाएंगी कुछ ख्वाहिशें अधूरी सी... *** डिस्क्लेमर *** कहानी के सभी पात्र एवं घटनाएं काल्पनिक हैं, इसका किसी व्यक्ति या घटना से कोई संबंध नहीं है।
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6 सितम्बर 2022
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सुबह से घर में चहल पहल थी। सभी अपने अपने कामों में व्यस्त थे। कोई दरवाजे पर गेंदे के फूलों की लड़ियाँ लगा रहा था, तो

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8 सितम्बर 2022
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तभी गाड़ियों की घड़घड़ाहट सुनकर वैधर्वी उछलती हुई बोली- "हे! लगता है वो आ गए... चलो चलते हैं... देखते हैं... कैसे हैं हमारे होने वाले जीजू....हमारी दीदू के लायक

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10 सितम्बर 2022
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हाथ जोड़े हुए सभी को अभिवादन करती हुई वैधर्वी हॉल में आई और धीरे से विनी के पास आकर बैठ गई। उसने डार्क

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14 सितम्बर 2022
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दो दिन बाद_ सुबह वैधर्वी कॉलेज के लिए तैयार हो रही थी। उसके मोबाइल की घंटी बजी। उसने मोबाइल उठाकर देखा "हितेश कॉलिंग..." अरे ये

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15 सितम्बर 2022
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दूसरे दिन सुबह सुबह मास्टर जी न्यूज़ पेपर पढ़ रहे थे। और पेपर से नजर हटा कर उन्होंने आवाज लगाई "माधवी मेरी चाय..." माधवी किचन से बोली "ला रही हूॅं..."और वो चाय लेकर हॉल में आई। मास्टर जी चा

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17 सितम्बर 2022
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अगले दिन सुबह नौ बजे विनी नहाने जा रही थी। कुछ कपड़े गंदे थे, जिन्हें वो धोने के लिए बाथरूम में ले गई। उसने नल चलाया और बाल्टी भरने का इंतजार करने लगी कि तभी फोन की घ

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21 सितम्बर 2022
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दोपहर को हॉल में बैठे माधवी और मास्टर जी मेहमानों की लिस्ट बना रहे थे। मास्टर जी हाथ में काॅपी पेन लिए कुछ सोच विचार कर करते

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23 सितम्बर 2022
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रात को हितेश अपने कमरे में बेड पर बैठा हुआ कुछ गहरी सोच में डूबा हुआ था। संभाल लिया था उसने खुद को... आज मार्केट में वैधर्वी को ढंग से देखा भी नहीं था उसने... लेकिन उसकी हंस

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25 सितम्बर 2022
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सुबह हितेश ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था। तभी मैसेज की ट्यून बजी। हितेश ने देखा वैधर्वी का मैसेज...? &nbsp

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25 सितम्बर 2022
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रात को वैधर्वी खिड़की के पास बैठी गहरी सोच में डूबी हुई थी। "पता नहीं हितेश मेरे बारे में क्या सोच रहे होंगे...? कितनी पागल हूॅं मैं... लेकिन क्या करूॅं... जब से उनको द

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28 सितम्बर 2022
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होटल का हॉल जगमगा रहा था, सुंदर लाइटों से सजा। जगह-जगह छोटी-छोटी टेबल पर पानी से भरे बॉउल में गुलाब के फूलों की पंखुड़ियाॅं डलीं थीं। दीवारों पर रंग बिरंगी लाइटें लगीं थीं।

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29 सितम्बर 2022
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विनी ने कहा "हाॅं... वैदू ... मुझे सब कुछ उसी दिन पता चल गया था जब तू हितेश से मिलने कॉफी शॉप गई थी..." सभी विनी को आश्चर्य से देख रहे थे।विनी बोली "उस दिन सुबह सुबह मैं नहान

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