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4 रात का तारा

23 दिसम्बर 2021

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          रात का तारा


रात्रि के गहन अंधकार में भी
दिखाई देता है 
रात का तारा चमकते हुए
जैसे घोर निराशा के बीच
आशा की एक किरण
और अहसास अपनेपन का।

कृष्ण पक्ष की अंधियारी रातों में
जब चांदनी नहीं होती
तब भी
आकाशगंगा की 
दूधिया पट्टी के एक किनारे
मुझे अक्सर दिखाई देता है
रात का वह तारा
घर की छत पर खड़ा
जब मैं निहारता हूँ,
नीला अंबर 
और उसमें बनने वाली
बादलों की अनेक आकृतियां
और असंख्य मिचमिचाते,
ऊँघते तारों के बीच
एक अलग ही आभा से चमकते
रात के उस तारे को।

जब होती है चंद्रमा की
पूर्ण कलाओं वाली रात,
अंबर में बिखरी रोशनी,
और धरती के प्रेमी जब तलाशते हैं 
चंद्र के लिए उपमाएँ नयी-नयी
तब भी मैं देखता हूं 
इनसे अलग,
रात के उस तारे को
लाखों प्रकाश वर्ष की दूरी पर भी
जैसे बहुत आसान हो जाता है पहुंचना 
एक पल में ही,
श्वेत पथ से चलकर 
आकाशगंगा के उस ओर,
और छू लेना उस रात के तारे को
या 
आना उस तारे का चलकर
श्वेतपथ के इस पार,
पास मेरे
कि दूर धरती में, 
उस छत पर जल रहा है
सिर्फ एक,
रात का दीपक,रातभर,
करता अस्तित्व सार्थक मेरा
बनकर मेरे लिए 
रात का तारा,
और तब बन जाती है 
आकाशगंगा की ये 
दूधिया पट्टी, मिलन का सेतु
भोर होने के पहले तक,
और यूं ही बीत जाती है रात
कि तेरे बिन जीना है मुश्किल।

योगेंद्र ©

23 दिसम्बर 2021

Dr. Yogendra Kumar Pandey

Dr. Yogendra Kumar Pandey

24 दिसम्बर 2021

समीक्षा के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद आपका

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