प्रेम की तरंगें
प्रेम की तरंगें होती हैं विशिष्ट
रेडियो प्रसारण सी
पर उससे थोड़ी भिन्न,
एक एकदम अलग फ्रीक्वेंसी की,
इसीलिए इसे
आम रेडियो प्रसारण की तरह
सब डीकोड नहीं कर सकते,
और यह पहुँचती है
इसे डीकोड कर पाने वाले
दुनिया के शायद
किसी एक के पास ही,
और शायद केवल वही
महसूस कर पाता है
इन अदृश्य तरंगों को,
और भेज पाता है
फीडबैक इसी तरह।
सचमुच
ये दो लोगों से बनी
एक अलग ही दुनिया होती है
और मीलों दूर से भी
वे दोनों एक हो जाते हैं
और पहुँच जाते हैं,
अनुभूति के एक ही स्तर पर,
राधा और कृष्ण जैसे।
ये तरंगें समय के परे भी
यात्रा करती हैं
और पहुँच जाती हैं
मीरा तक।
-योगेन्द्र(कॉपीराइट रचना)