प्रेम
स्वच्छ होता है प्रेम
बारिश थमने के बाद
भीगे अंबर सा।1।
हल्का होता है प्रेम
आकाश में उड़ते
बच्चों के पतंग सा।2।
कोमल होता है प्रेम
तितलियाँ पकड़ते
बच्चों के नाजुक हाथ सा।3।
नितांत निजी होता है प्रेम
कभी मीलों दूर पहुँचने पर भी
प्रिय के उसी अहसास सा
और
तृप्ति होता है प्रेम
खुद से पहले भोजन कराती
प्रिय के हाथ की
बनी पहली रोटी सा।4।
सुखद होता है प्रेम
लोरियां गाकर सुलाती
मां की थपकियों सा।5।
निश्छल होता है प्रेम
पालने में लेटे
शिशु की मुस्कान सा।6।
पवित्र होता है प्रेम
सुबह-सुबह देव प्रतिमा पर
अर्पित ताजे पुष्पों सा।7।
प्रतीक्षा होता है प्रेम
प्यासे चातक पक्षी के लिए
बारिश की पहली बूँद सा।8।
अकुलाहट होता है प्रेम
आषाढ़ में मेघों की प्रतीक्षा
करती प्यासी धरती सा।9।
कर्तव्य होता है प्रेम
मिलन को प्रतीक्षारत प्रिया
को छोड़ ड्यूटी पर लौटे सैनिक सा।10।
-योगेन्द्र(कॉपीराइट रचना)