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3 प्रेम होता है केवल प्रेम

22 दिसम्बर 2021

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  कविता:प्रेम होता है केवल प्रेम

  इसका कोई रूप नहीं, 
इसका कोई रंग नहीं, 
इसका कोई आकार नहीं। 
प्रेम होता है केवल प्रेम।

  इसकी कोई चाह नहीं, 
इसकी कोई वजह नहीं, 
इसमें कोई स्वार्थ नहीं।
 प्रेम होता है केवल प्रेम।  

यह कोई सौदा नहीं, 
यह कोई लब्धि नहीं, 
यह कोई रिश्ता नहीं। 
प्रेम होता है केवल प्रेम। 

 एक को लगती है चोट, 
तो होता है दर्द दूजे को, 
अहसास की बँधी डोर।
 इसमें होता है केवल प्रेम।  

मिली बस एक ही रोटी, 
स्वयं भूखी रहकर भी,
 संतान को खिलाती माँ, 
इसमें होता है केवल प्रेम। 

 बिसराकर निज,जो सैनिक, 
सरहद पर बढ़ते शत्रु की,
 पहली गोली खाता सीने पर। 
इसमें होता है केवल प्रेम।      

          -योगेन्द्र  (कॉपीराइट रचना)  
मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बहुत सुंदर लिखा है आपने सर 👌 आप मेरी कहानी पर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏

3 दिसम्बर 2023

6
रचनाएँ
प्रेम की तरंगें
5.0
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