5 अप्रैल 2017
जैसा नाम वैसा जिगर . 9 गोलियां भी कुछ नहीं बिगाड़ सकी चेतन चीता का. दो महीने से कोमा में रहे चेतन चीता मौत और जिंदगी की जंग में आखिरकार मौत को हार माननी ही पड़ी देश में ऐसे भी जवान मौजूद हैं जो देश के लिए गोली खाने को भी हमेशा तैयार हैं.