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नारी कविताशालिनीकौशिक

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माथे ऊपर हाथ वो धरकरबैठी पत्थर सी होकरजीवन अब ये कैसे चलेगाचले गए जब पिया छोड़कर..........................................बापू ने पैदा होते हीझाड़ू-पोंछा हाथ थमायामाँ ने चूल्हा-चौका दे दियाचकला बेलन हाथ थामकर .

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