आज की नजाकत में धर्म पर हावी विज्ञान है। फ़िर भी धर्मांधता का चश्मा समाज पर चढ़ा है। सत्ता का तख़्त सजाती जनमानस है। जनमानस और सियासी रणबाकुरों की फ़ौज लिपटी एक बाबा के चरणों में है। आज देश में न्यू इंडिया का तासा पीटा जा रहा है, क्या न्यू इंडिया में जनमानस धर्मांधता का दामन ओढ़कर और सत्ता बाबाओं की जूती