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आद्य शंकरा चार्य जी का भ्रम

13 सितम्बर 2021

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आद्य शंकराचार्य जी ने जब पूरे भारत में सनातन धर्म का झंडा फहरा दिया तब वो सबको बताते थे अह्म ब्रम्हास्मि 
एक बार वो एक बार काशी गए 
वहां सुबह जलाभिषेक के लिए बाबा विश्व नाथ के दरबार मे जा रहे थे तभी रास्ते मे उनको एक सफाई कर्मी मिला जो कचरे  का टोकरा लिए था और शंकरा चार्य के सामने खड़ा हो गया ।
शंकराचार्य जी शंकराचार्य होने की आभा में थे उन्होंने बोला हटो हटो रास्ता छोड़ो 
तो सफाईकर्मी और रास्ता घेर के खड़ा हो गया 
इसपर शंकराचार्य जी गुस्से में बोले मूर्ख हट सामने से मैं शंकराचार्य हूं अह्म ब्रम्हास्मि 
इसपर सफाई कर्मी बोला तू किसे हटाता है या मेरे अंदर जो बैठा है उसे हटाता है 
एक पल के लिये शंकराचार्य जी को एहसास हुआ कि ये भी अह्मब्रम्हास्मि है उस पल उनका भ्रम खत्म हुआ 
और वो सफाई कर्मी कोई और नही थे आप सब समझ गए होंगे
Atul Singh

Atul Singh

हर हर महादेव

18 अक्टूबर 2021

Shailesh singh

Shailesh singh

18 अक्टूबर 2021

हर हर महादेव दादा 🙏

Pragya pandey

Pragya pandey

बहुत ही प्रेरक प्रसंग है 🙏

13 सितम्बर 2021

Shailesh singh

Shailesh singh

18 अक्टूबर 2021

धन्यवाद प्रज्ञा

Jai

Jai

इस वाक्य का प्रयोग पहले यज्ञवाल्कय ऋषि ने किया था और बाद में श्री कृष्ण ने गीता था

13 सितम्बर 2021

Shailesh singh

Shailesh singh

18 अक्टूबर 2021

धन्यवाद जानकारी के लिए सर 🙏😊

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