आद्य शंकराचार्य जी ने जब पूरे भारत में सनातन धर्म का झंडा फहरा दिया तब वो सबको बताते थे अह्म ब्रम्हास्मि
एक बार वो एक बार काशी गए
वहां सुबह जलाभिषेक के लिए बाबा विश्व नाथ के दरबार मे जा रहे थे तभी रास्ते मे उनको एक सफाई कर्मी मिला जो कचरे का टोकरा लिए था और शंकरा चार्य के सामने खड़ा हो गया ।
शंकराचार्य जी शंकराचार्य होने की आभा में थे उन्होंने बोला हटो हटो रास्ता छोड़ो
तो सफाईकर्मी और रास्ता घेर के खड़ा हो गया
इसपर शंकराचार्य जी गुस्से में बोले मूर्ख हट सामने से मैं शंकराचार्य हूं अह्म ब्रम्हास्मि
इसपर सफाई कर्मी बोला तू किसे हटाता है या मेरे अंदर जो बैठा है उसे हटाता है
एक पल के लिये शंकराचार्य जी को एहसास हुआ कि ये भी अह्मब्रम्हास्मि है उस पल उनका भ्रम खत्म हुआ
और वो सफाई कर्मी कोई और नही थे आप सब समझ गए होंगे