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अब वो अकेली नहीं थी

6 मई 2024

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सुरक्षा गार्डों को निर्देश देते हुए आज पहली बार विक्रम ने रश्मी को देखा था। उसे देखते ही वो मंतर मुग्ध हो गया था। जैसे उसी की तलाश हो उसे । ये गर्ल्स कॉलेज है सुरक्षा में कोई चूक नहीं होनी चाहिए। आज सांस्कृतिक कार्यक्रम है तो हर कॉलेज के लड़के यहां आएंगे, अपने को संभालते हुए उसने गार्ड से कहा।

25 साल का छबीला नौजवान विक्रम कभी फौजी हुआ करता था। पर एक हादसे में उसकी एक आंख में चोट लग जाने की वजह से उसे जल्दी ही फौज छोड़नी पड़ी। तो उसके बाद उसने ये सुरक्षा एजेंसी खोल ली।

रश्मी एक धनी परिवार से थी मगर बचपन में उसके माता-पिता की दुर्भाग्यवश मृत्यु होने के कारण उसके रिश्तेदारों ने सब संपति हड्डप ली थी। उसके पापा के एक दोस्त ने उसे पाला जिन्होंने कभी शादी नहीं की थी। उन्होंने ऐसा कहकर कि उन्हें बिजनेस के सिलसिले में दूसरे शहर में रहना पड़ेगा तो रश्मि को हॉस्टल भेज दिया । कभी कभी वो उससे मिलने आया करते थे।

अब विक्रम सिक्योरिटी चेक करने के बहाने से कई  बार कॉलेज आया करता था। घण्टों तक रश्मी को देखने का इंतज़ार करता। पर उससे कुछ कह नहीं पता था।
एक दिन रश्मी किसी काम से हॉस्टल से बाहर गई थी। बहुत देर इंतजार करने के बाद जब कोई बस या ऑटो नहीं मिला तो वो पैदल ही चल पड़ी। एक कार ने हॉर्न की आवाज दी, रश्मी इग्नोर करती हुई आगे बढ़ती रही। तभी फिर हॉर्न की आवाज देते हुए विक्रम ने आवाज लगाई, शायद आपने मुझे पहचानना नहीं। आपके कॉलेज में सुरक्षा मेरी ही कंपनी देती है।

रश्मी - तभी आपका चेहरा कुछ जाना पहचान सा लगा।
विक्रम- आओ मैं तुम्हें छोड़ देता हूँ।
रश्मी- मैं बस से चली जाऊँगी
विक्रम- आज बस और ऑटो की हड़ताल है। कहां तक पैदल चलोगी. हम सुरक्षा देने वाले लोग हैं, तुम्हें हमसे डरने की जरूरत नहीं है।

फिर कुछ सोचते हुए रश्मी उसकी कार में बैठ गई। विक्रम ने अपनी सारी कहानी उसे बताई। अपना कार्ड देते हुए कहा कि अगर उसे कुछ भी मंगवाना हो तो वो उसे बता दिया करें। कोई भी मदद चाहिए हो तो कॉल कर दे। रश्मी ने कहा कि उसके पास फोन नहीं है और हॉस्टल से ज्यादा फोन करने की इजाजत नहीं है। विक्रम ने कहा कि वो किसी भी गार्ड से कह देगी तो वो उसकी बात उससे करवा देगा। विक्रम फोन का इंतजार करता रहा मगर रश्मी ने कभी फोन नहीं किया।

ऐसे कई बार विक्रम उसे देखने कॉलेज आता रहा। दोनों में एक मुस्कुराहट बिखरती और कभी-कभी कुछ बात हो जाया करती। एक दिन विक्रम उसे चॉकलेट देने लगा तो रश्मी ने कहा कि वो ये नहीं ले सकती। तो विक्रम ने हंसते हुए कहा, ये कोई हीरों का हार है जो तुम इसे नहीं ले सकती। एक चॉकलेट ही तो है । रश्मी ने मस्कुराते हुए चॉकलेट ले ली। अब तो हर दूसरे दिन विक्रम उसके लिए चॉकलेट लेकर आने लगा। उसे देखते ही रश्मी का चेहरा खिल जाता था। उसकी सहेलिया उसे चिढ़ाती कि तुझे फौजी से प्यार हो गया है और उसकी आधी चॉकलेट वही खा जाया करती।

कुछ दिनों से विक्रम कॉलेज नहीं आया था। इसी बीच रश्मी के अंकल की हार्ट अटैक से मौत हो गई। उनके वकील ने बताया कि उनको बिजनेस में घाटा चल रहा था। रश्मी को ये बात पता नहीं चले इसलिए उसे हॉस्टल भेज दिया। वो उसके नाम कुछ रुपये कर गये है ताकि उसकी पढ़ाई ना रुके। पर वो रुपय मिलने के लिए कुछ अपचारिकते पूरी करने में थोड़ा वक्त लगेगा।

अंकल के दूर का रिश्तेदार रश्मी को धमकी देने लगा था कि वो रुपये लेने से इनकार कर दे वरना वो उसे भी अंकल के पास पहुंचा देगा। और ये बात उसने कॉलेज में बताई तो उसकी खैर नहीं। रश्मी बहुत डरी हुई थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि किसपे भरोसा करके ये बात बताए। तभी उसे विक्रम की याद आई, उसने बहुत हिम्मत करके एक गार्ड से उसकी बात करवाने के लिए बोला। रश्मी ने रोते हुए सब बात बताई और कहा कि अब वो अकेली रह गई है।

विक्रम ने बताया कि वो किसी आपातकाल की वजह से अपने घर दूसरे शहर में आया है। उसने आश्वासन दिया कि वो घबराए नहीं, वो हमेशा उसके साथ है। वो कल ही वापस आ कर सब ठीक कर देगा। फ़िर विक्रम ने उस लड़के को धमकी दी कि वो रश्मी को अकेली समझ कर डराने की भूल न करे। अगर दोबारा ऐसा हुआ तो वो उसे पुलिस के हवाले कर देगा।

कुछ दिन बीते, रश्मी के एग्जाम आने वाले थे और फीस जमा करने की आखिरी तारीख। रश्मी घबराई हुई थी क्योंकि अभी तक अंकल के रुपये उसे नहीं मिले थे। वो फीस विभाग में कुछ दिन की मोहलत मांगने के लिए गई। वहां उसे पता चला कि विक्रम ने उसकी फीस भर दी है।

वो विक्रम को धन्यवाद देने गई। उसने कहा मेरे रुपये आते ही मैं आपके रुपये लौटा दूंगी। विक्रम ने कहा कि उसे कुछ लौटाने की ज़रूरत नहीं है और मुस्कुराते हुए जाने लगा। उसकी तरफ पलट कर उल्टे कदमों से चलने लगा और कहा, क्या वो अपने प्यार के लिए इतना भी नहीं कर सकता। अब वो उसकी ज़िम्मेदारी है। परीक्षा ख़त्म होते ही वो उसे अपने घरवालो से मिलवाने ले जायेगा।
रश्मी बस मुस्कुराती हुई उसे देखती रही। अब वो अकेली नहीं थी।

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रचनाएँ
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