मनीषा और विक्रम मिले तो अरेंज मैरिज के तौर पर थे। कुछ साल पहले विक्रम का एक्सीडेंट हो गया था। जिसके कारण उसका बांया अंग पैरालाइज हो गया था। धीरे-धीरे वो ठीक तो हुआ पर एक पैर से अभी भी हल्का लंगड़ाता था। मनीषा के घरवालो ने शादी के लिए मना कर दिया। पर विक्रम को मनीषा का नंबर मिल गया था। उसने दोस्त के तौर पर उससे बातचीत करने के लिए बोला।
धीरे-धीरे वो बातचीत करने लगे। मनीषा के सर पर बचपन से ही समाजसेवा का भूत सवार था। इसलिए जब विक्रम ने उसे कहा कि वो उससे प्यार करता है और उसे उसकी जरूरत है तो मनीषा मना नहीं कर पाई। उसने सोचा वो उसे प्यार करके उसकी जिंदगी सवार दे।
उसके बुलाने पर मनीषा नोएडा जा कर नौकरी करने लगी। फिर अपने घर वालों को मना कर शादी कर ली। विक्रम मनीषा का बहुत ध्यान रखता था। उसे खूब प्यार करता था। उसकी हर छोटी बड़ी बात को पूरा करने में लग जाता था। मनीषा के प्रोत्साहन पर विक्रम ने नौकरी छोड़ दी और मिलकर एक कंपनी खोली। दोनों कंपनी में अपना अपना काम संभाल रहे थे। शादी के कुछ साल इलाज के बाद भी जब उनके घर संतान पैदा नहीं हुई तो दोनों ने सहमति से एक नवाजत बच्ची को गोद ले लिया। जिसका नाम मानवी रखा।
मनीषा पूरी निष्ठा से घर, मानवी और कंपनी का काम संभाल रही थी। विक्रम ने कहा कि वो घर और मानवी पर ध्यान दे कंपनी वो देख लेगा। धीरे धीरे कंपनी के काम से वो मनीषा को अलग करने लगा। वो एक मशीनी आदमी बन गया। सुबह से लेकर शाम तक वो लैपटॉप के आगे बैठा रहता। मनीषा और मानवी से वो प्यार के दो बोल भी नहीं बोलता। उसका दिमाग जैसे ख़राब रहने लगा था। मनीषा को समझ नहीं आ रहा था कि इतने प्यार करने वाले विक्रम को क्या हुआ है। उन दिनों मनीषा की तबीयत थोड़ी खराब होने लगी। पर विक्रम ने ध्यान नहीं दिया। तो उसने कुछ दिन बेंगलुरु अपने भैया के पास जाने का सोचा। विक्रम दोनों को बैंगलोर छोड़ कर वापस चला गया।
धीरे-धीरे विक्रम ने उससे बात करना कम कर दिया और फिर बंद ही कर दिया। उसने मनीषा के जनमदिन पर भी उसे बधाई नहीं दी। तब मनीषा ने सोचा जब तक विक्रम उसे खुद लेने नहीं आएगा वो वापस नहीं जाएगी। सबसे बड़ा झटका उसे ये जानकर लगा जिस कंपनी की नीव उसने प्यार से रखी थी विक्रम ने उस कंपनी से उसका नाम ही हटा दिया है और कंपनी के पैसे पर अपना अधिकार जमा लिया है। मनीषा प्यार और कंपनी दोनों में हुए धोखे से काफी टूट चुकी थी।
तब भैया के समझाने पर मनीषा ने विक्रम से लड़ने के बजाय खुद को मज़बूत बनाने का सोचा। उसने कुछ कोर्स किए और नौकरी के लिए आवेदन कर दिया । जल्दी ही उसे एक कॉलेज में प्रोफेसर की नौकरी मिल गई। उसने मानवी को भी अच्छे स्कूल में दाखिला दिलाया। मनीषा अब हर कदम सफलता की सीढ़ियां चढ़ रही थी। उसने सोचा अब अगर विक्रम लौटकर भी आएगा तो भी वो उसे नहीं अपनाएगी क्युकी अब उसे अपना आसमान मिल गया था।