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सपना (पार्ट - 1)

1 अगस्त 2024

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मम्मी पापा जबरदस्ती मुझे एक पार्टी में ले जाना चाहते थे। जहां कि मुझे जाना बिल्कुल पसंद नहीं था। पर जब पापा की डांट पड़ने लगी कि पच्चीस बरस का हो गया है। बस घर से ऑफिस। कही किसी से मिलेगा नहीं तो जिंदगी में आगे कैसे बड़ेगा। कहता है नौकरी छोड़ के अपना बिजनेस शुरू करूंगा। कैसे तेरा अपना बिजनेस शुरू होगा। ना चाहते हुए भी लोगो से जान पहचान तो करनी ही पड़ती है। ऐसी पार्टी में ही बड़े लोग मिलते है।

अब और लेक्चर न सुनना पड़े। इसलिए आह भरते हुए कहा कि चल देता हूं। देखो जैसे अहसान कर रहा हो हम पर मम्मी के इतना कहते ही तुरंत कार में जाकर बैठ गया। सोचने लगा ऐसी पार्टीज में सब अजीब लोग होते है। सबको अपने पैसे का घमंड और दिखावा होता है। जिससे कि मुझे सख्त नफ़रत है। पर जाना तो था ही तो चुपचाप चला गया।

पार्टी में जाते ही बहुत बोर होने लगा। किसी से बात करने का मन नहीं था तो एक कोने में खड़ा हो गया। तभी पीछे से एक प्यारी सी आवाज़ आई। एक्सक्यूज मि, मैने पीछे मुड़ कर देखा तो एक बहुत सुंदर सी लड़की। गोरा रंग, कमर तक लंबे खुले बाल, पीले रंग की घुटनों तक ड्रेस, हाई हील्स। गज़ब की सुंदर दिख रही थी कि मैं तो बस उसे देखता ही रह गया।

फिर जब उसने कहा कि मैं एक बच्चो की संस्था के लिए काम करती हूं। उसने एक बच्ची की तरफ इशारा करते हुए। उसके साथ एक गरीब सी छोटी बच्ची थी। जिसके हाथ में एक दान पेटी थी। कहा क्या आप कुछ दान कर सकते है। मैने जेब से सौ रुपए निकल कर दान पेटी में डाल दिए। तो वो प्यार से बोली। बस सौ रुपए। आप अच्छे घर से लगते है । इतनी बड़ी पार्टी में आए है। बच्चो के लिए है। थोड़ा तो और दीजिए। मैने शर्म के मारे पांच सौ का नोट निकाल के डाल दिया। फिर वो मुस्कुराते हुए वहां से चली गई।

वो और लोगो से भी जा कर चंदा एकत्र करने लगी। मैं बस बार बार उसे ही देख रहा था। तभी मम्मी ने आवाज़ लगाई। आदि आओ तुम्हें किसी से मिलवाना है। इनसे मिलो ये श्रीमान और श्रीमति मल्होत्रा है। और ये मेरा बेटा आदित्य है। एक एम.एन.सी में कंप्यूटर इंजीनियर है। और अब अपना बिजनेस शुरू करना चाहता है।

वो लोग मुझसे बात करने लगे। पर मेरा ध्यान तो जैसे उसी लड़की पर था। जो अब मुझे दिखाई नहीं दे रही थी। बहुत देर से उससे बात करने की सोच रहा था। पर वो बहुत व्यस्त थी। अब मेरा मन उदास होने लगा था। सोच ही रहा था कि मम्मी को कुछ बहाना करके निकल जाऊं।

तभी श्रीमति मल्होत्रा की आवाज़ मेरे कानों में पड़ी। लो आ गई हमारी बेटी विशाखा। तभी मेरी नज़र उस तरफ़ गई। ये तो वहीं लड़की है। मेरा चेहरा जैसे खिल गया। फिर हम दोनों का परिचय करवाया गया। और हमें बात करने के लिए अकेला छोड़ दिया गया।

विशाखा अपने माता पिता की इकलौती संतान थी। उसके माता पिता काफी धनी थे। वो एम.ए इकोनॉमिक्स कर रही थी। साथ में बच्चो की संस्था के लिए काम करती थी। हमारी अच्छी बातचीत हो गई। एक दूसरे से अच्छी जान पहचान। उसका बात बात पे मुस्कुरा देना, मेरे मन को मोह रहा था। उसकी प्यारी बाते मुझे बहुत अच्छी लग रही थी। जिसपर किसी का भी दिल आ जाए।

कुछ देर बाद विशाखा ने कहा की वो घर निकल रही है। मैने कहा अभी तो पार्टी खत्म नहीं हुई। और तुम्हारे मम्मी पापा भी अभी यहीं हैं। फिर क्यों जा रहीं हो। उसने कहा मुझे ऐसी पार्टीज में आना पसंद नहीं। मैं बस बच्चों के लिए चंदा इक्ट्ठा करने आती हूं। यहीं पर सब अमीर लोग आते है कुछ दिखावे में दान कर देते है। कुछ आपकी तरह शर्म के मारे। और वो हंसने लगी। यहां गरीब बच्चो को प्रवेश नहीं मिलता। मुझे सब जानते है। आसानी से चंदा दे देते है। इसलिए मुझे साथ में आना पड़ता है।

मैने कहा मुझे भी पार्टीज में आना पसंद नहीं। मैं भी घर ही जाने का सोच रहा था। मम्मी पापा ने जबरदस्ती की इसलिए चला आया। कुछ देर और रुक जाओ। मैं तुम्हें घर छोड़ दूंगा।

ओह इसलिए आज आपको पहली बार पार्टी में देखा। आपके मम्मी पापा से तो पहले मिल चुकी हूं। रही बात मुझे घर छोड़ने की तो मैं अपनी कार से आई हूं। खुद चली जाऊंगी। और मुझे इस बच्ची को भी इसके घर छोड़ना है। तो मैं अब चलती हूं। मुझे सुबह कॉलेज भी जाना है। और वो अलविदा कह कर चली गई।

मुझे बस उसी के खयाल आ रहे थे। बस मन सोच रहा था कि कैसे उससे फिर मुलाकात हो जाए। बस इन सब में कब नींद पड़ी और सुबह हो गई। पता ही नहीं चला।

आज कल ऑफिस में भी मेरा मन बिल्कुल नहीं लग रहा था। कुछ दिन बीत गए। मैने सोचा क्यों ना उसके कॉलेज के बाहर ही जा कर देखा जाए। शायद उसकी एक झलक ही मिल जाए। पर उसका भी कोई फायदा नहीं हुआ।

तीन महीने हो गए थे। मम्मी पापा ने भी दुबारा किसी पार्टी में जाने के लिए नहीं कहा। आज फिर किसी पार्टी में जाने की तैयारी हो रही थी। मैने सोचा आज मैं खुद ही कह दूं कि मैं भी पार्टी में चलता हूं। शायद विशाखा मुझे वहीं मिल जाएं। तभी मेरी छोटी बहन ने कहा कि भैया मेरा कल कंप्यूटर का इम्तिहान है, क्या आप मुझे आज पढ़ा देंगे। ना चाहते हुए भी मुझे आज घर पर रुकना पड़ा।

फिर दो तीन बार मैं पार्टी में गया। पर वो मुझे कहीं नज़र नही आई। अब तो मेरा मन और उदास हो गया। एक दिन किसी पार्टी से मैं निकलने ही लगा था। तभी पीछे से विशाखा की आवाज़ आई। बिना चंदा दिए कहां चले जा रहे है। 


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रचनाएँ
लघु कथाएं
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ये किताब कुछ प्रेम कहानियों का संग्रह है। जिसमे प्रेम के अलग-अलग रूप को दर्शाया गया है।
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