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हम हमेशा साथ रहेंगे

6 मई 2024

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पीछे से आवाज आई वासुधा। क्या वासु आज का दिन तो टाइम पर आते। मम्मी पापा क्या सोचेंगे पहली बार मिलवाने ले जा रही हूं।

उसका नाम सुधा था। पर वासु उसे हमेशा वासुधा बुलाता था। उसके साथ अपना नाम जोड़ कर।
वासु मुझे बहुत डर लग रहा है। अगर मम्मी पापा नहीं माने तो।
वासुधा तुम चिंता क्यों करती हो। मैं सबको मना लूंगा। हम हमेशा साथ रहेंगे।

वासु ने कहे मुताबिक उसके मम्मी पापा को मना ही लिया। चार महीने बाद दोनों की शादी थी

सुधा को पहाड़ बहुत पसंद था। और वासु को सुधा की इच्छा पूरी करना। दोनों की मुलाक़ात भी पहाड़ों में ही हुई थी। सुधा हिमाचल के पहाड़ों को बहुत ध्यान से देख रही थी। उसे देखते वासु ने पूछा क्या आपने पहली बार पहाड़ देखा है। सुधा ने कहा नहीं। कई बार देखे है। पर हर बार ऐसा लगता है जैसे कुछ नया है इनमें। कि बार बार बस देखती जाऊ। इसलिए जब भी मन होता है चली आती हूं इन्हें देखने।

फिर दोनो में खूब बातें हुए। पहाड़ों, नदियों, झीलों से लेकर, एक दूसरे के बारे में। दोनों एक ही शहर से थे तो फोन नंबर भी एक्सचेंज हो गये । फिर मुलाकातें होने लगी और फिर प्यार हो गया। बस अब दोनों एक दूसरे के बिना रह नहीं सकते। इसलिए शादी करने का फैसला भी हो गया।

बहुत दिनों से सुधा का मन था कि वो पहाड़ देखने जाए। पर अभी उनकी शादी को 4 महीने बाकी थे। तब तक दोनों कहीं दूर अकेले नहीं जा सकते थे। घरवालों की सख्त मनाही थी।

वासु बस सुधा की इच्छा पूरी करना चाहता था। उसने सोचा पास ही एक छोटा सा शहर है। वहां एक छोटी सी पहाड़ी है। नीचे एक नदी बहती है। कम से कम सुधा को वही ले जाये।


दोनों वहां चले गए। सुधा बहुत खुश थी। तभी उसने पहाड़ी पर एक फूल खिला देखा और कहा काश ऐसा फूल मेरे पास भी होता। वासु चल पड़ा, ऐसा क्यों यहीं फूल तुम्हें मिल जाएगा। वासु पतली सी संकरी पहाड़ी पर पैर रख कर फूल तोड़ने की कोशिश करने लगा।
सुधा उसे बहुत समझने लगी। कि वो तो ऐसे ही बोल रही थी। वहां मत जाओ गिर जाओगे। वासु को तो भूत सवार था। उसने फूल तोड़ा और चिल्लाया वासुधा ये तुम्हारे लिए। तभी उसका पैर फिसला और वो नीचे नदी में एक पत्थर के ऊपर जा गिरा।

उसने वहीं दम तोड़ दिया। सुधा उसे बेजान सी बनी देखती रह गई।

वासु को मरे दो महीने हो गए है। सुधा को अभी भी ऐसा लगता है कि वासु उसे आवाज़ दे रहा है वासुधा, वासुधा।
सुधा आज फिर उसी पहाड़ी पर पहुंच गई है। कुछ देर से ऐसी ही बैठी है। उसे फिर वही आवाज़ सुनाई दे रही है वासुधा। वो उस आवाज़ की तरफ बढ़ने लगती है। तभी उसका पैर फ़िसल जाता है। वो उसी पत्थर पर जाकर गिर जाती है। बादलों में जैसे उसे वासु का चेहरा नज़र आने लगता है। वो कह रहा है कि हम हमेशा साथ रहेंगे। सुधा की आँखे बंद हो जाती है। अब वो अपने वासु के पास हमेशा के लिए साथ रहने चली गई थी।

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रचनाएँ
लघु कथाएं
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