5 सितम्बर 2022
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अनजान सी रातों का परिंदा हूं मैं,खोए हुए जज्बातों का पुलिंदा हूं मैं, गुमनाम अंधेरी सड़क पर बारिश के सिवा, उसके एहसासों के सहारे जिंदा हूं मैं।
वो हसरते ए गम का खजाना नही मिला,बहुत ढूंढा मगर वो जमाना नही मिला,हमने ख्वाइश तक छोड़ दी तुमसे मुलाकात की,लेकिन तुम्हे भी शायद मुझसा दीवाना नही मिला।
मन में पीड़ा संतोष लिए मैं तो हर शाम बिताता हूं,पर तुम कैसे रहती होगी ये सोच के घबरा जाता हूं।जीवन मेरा तुमसे ही था या तुम मेरी थी पता नही,हर लम्हा तुमसे ही था ये याद अनोखी लगती है।