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जज्बात

5 सितम्बर 2022

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मन में पीड़ा संतोष लिए मैं तो हर शाम बिताता हूं,
पर तुम कैसे रहती होगी ये सोच के घबरा जाता हूं।
जीवन मेरा तुमसे ही था या तुम मेरी थी पता नही,
हर लम्हा तुमसे ही था ये याद अनोखी लगती है।
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क्षणभंगुर
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जीवन एक यात्रा है, इसमें बहुत सारे पड़ाव है। व्यक्ति को समस्त पड़ावों का आनंद लेते हुए अपने यात्रा को पूर्ण करना चाहिए क्योंकि यह कोई सतत यात्रा नही है, इसका एक अंतिम छोर या मंजिल भी है।

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