shabd-logo
Shabd Book - Shabd.in

अधूरी चाह-1

संजय पाटील

0 अध्याय
0 व्यक्ति ने लाइब्रेरी में जोड़ा
0 पाठक
निःशुल्क

इस कहानी के मुख्य पात्र राजेश और भावना है | राजेश के पापा गाँव के सरकारी स्कूल मे शिक्षक थे, उनका सपना था कि राजेश भविष्य मे एक अच्छा इंजीनियर बने इसलिए शहर के इंजीनियरिंग कॉलेज मे एडमिशन कराते है, लेकिन पढ़ाई मे मन ना लगने की वजह से राजेश हर सेमेस्टर के सब्जेक्ट मे निरंतर असफल होता रहता है | फिर उसने थर्ड सेमेस्टर के बाद से कॉलेज जाना बंद कर दिया और पढ़ाई की जंग मे भी अपने आप को हारा हुआ महसूस कर लिया था | भावना जब 6 महीने की थी तब पापा मम्मी मे कुछ अनबन होने की वजह से गुस्से मे मम्मी ने अपने आप पर केरोसिन तेल डालकर आग लगा ली थी, जिससे उनकी मौत हो गई थी | भावना की 6 महीने की उम्र से ही दादी ने अच्छे से पालन पोषण किया | गाँव मे हाईस्कूल की पढ़ाई के दौरान गौरव से प्यार हो जाता है | कुछ साल के बाद भावना और गौरव के बीच हुए झगड़े मे भावना का सिर दीवार से टकराने की वजह से बुरी तरह से जख़्मी हो जाता है, इस घटना के बाद से दोनों के बीच दूरियां सी बढ़ने लग जाती है | इसी दौरान शहर मे भावना की मुलाक़ात राजेश से होती है फिर धीरे-धीरे दोनों मे प्यार होने लगता है | राजेश आर्थिक रूप से मदद करके भावना का नर्सिंग कॉलेज मे एडमिशन कराता है साथ ही प्राइवेट हॉस्पिटल मे जॉब भी दिलाता है | जॉब लगने के बाद भावना अपने दादा-दादी की आर्थिक रूप से मदद किया करती थी और ये भी कहती थी कि अब आप लोग आराम करो, घर का पूरा खर्चा मै संभाल लूँगी | भावना अपनी 21 वर्ष की उम्र मे ही इतनी समझदारी और सूझबूझ वाली बाते करने लगी थी | राजेश का ये सपना था कि भावना अपने जीवन मे कामियाबी के शिखर तक पहुँच जाये | इस दौरान राजेश अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाता है, वो हमेशा भावना के सपनो को पूरा करके जीवनभर साथ निभाने की बात मन मे सोचा करता था,लेकिन समय के साथ भावना के स्वभाव मे परिवर्तन आने लगता है और अपनी ज़िन्दगी मे असफल हुए राजेश को छोड़कर गौरव के साथ दाम्पत्य जीवन व्यतीत करने लगती है | पापा की मृत्यु के बाद से ही राजेश का परिवार बिखरने लगता है और घर की आर्थिक स्तिथि भी कमजोर सी होने लगती है इसलिए अब अपने गाँव मे किसान बनकर खेती करने लग जाता है | राजेश के अंतर्मन मे ये अफ़सोस हमेशा हुआ करता था कि पापा का वो सपना अधूरी चाह बनकर ही रह गया | 

adhuri chah 1

0.0(1)


अधूरे सपने जीवन में समय असमय बहुत डराते रहते हैं बहुत पीडा होती है जब कोई किसी के लिए अपने सपने भूलकर उसे मंजिल तक पहुंचा दें और वह मुंह फेरकर ऐसे निकल जाए जैसे कुछ हुआ ही न हो निश्चित ही कहानी में सामाजिक तानों बानों के बीच व्‍यक्तिगत स्‍वार्थ मन को दुख पहुंचाने वाला बनकर सोचने पर मजबूर करता है

पुस्तक के भाग

no articles);
अभी कोई भी लेख उपलब्ध नहीं है
---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए