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"इंजीनियरिंग कॉलेज-1"

संजय पाटील

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किताब के बारे मे यह किताब मेरे कॉलेज के दिनों की कहानी पर आधारित है | मेरे घर की आर्थिक स्तिथि अच्छी ना होने की वजह से बहुत सी समस्या का सामना करना पड़ा, मगर वामनकर मामाजी, बुआ, मिथिलेश भैया और अभिषेक भैया के सहयोग से मेरी हर मुश्किल आसान सी लगने लगी | उन्होंने मेरे कॉलेज एड्मिशन से लेकर डिग्री कम्पलीट होने तक हर तरह से मदद की, चाहे वह सकारात्मक विचार हो और आर्थिक रूप हो | विजय भैया मेरी अच्छी स्टडी के लिए उनके ऑफिस मे ओवरटाइम काम किया करते थे | बाबूजी ने मेरी इंजीनियरिंग पढ़ाई के लिए 1 एकड़ खेती का सौदा कर लिया था | अजय भैया ने हमेशा मुझे सही मार्गदर्शन दिया है कि कितनी भी बुरी परिस्थिति क्यों ना आ जाये लेकिन कभी हार मत मानना | घरवालों की मुझसे इतनी उम्मीदें थी तो मैंने भी बहुत मन लगाकर स्टडी की | इन दिनों कॉलेज मे बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड का माहौल अपनी चरम सीमा पर था लेकिन घरवालो की उम्मीदें और जिम्मेदारी की वजह से मै हमेशा इन चीजों से कोसो दूर ही था | मामाजी के घर पर एक कमरा लाइब्रेरी की तरह ही उपन्यास, कविता और गज़लो की किताबों से भरा हुआ था | जब भी घर पर आता था तो गहन अध्ययन किया करता, इससे मेरी साहित्यिक विचारधारा और भी प्रभावशाली हो गयी | मैंने उस लाइब्रेरी से लगभग 70% किताबों का अध्ययन कर लिया था | बचपन से रविंद्रनाथ टैगोर और प्रेमचंद जी मेरे लिए आदर्श रहे, उनकी रचनाओं से काफी प्रभावित हुआ | मै अपने परिवार का पहला इंजीनियर था और मेरे सपनो को साकार करने के लिए सभी ने सहयोग किया है |यह कहानी समाज के उस पहलु को उजागर करती है कि यदि परिवार के सब लोग मिलकर मदद करें तो किसी के बुरे दौर को भी अच्छी परिस्थिति मे बदल सकते है | 

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