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कोरोना की लहर

संजय पाटील

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किताब के बारे मे 22 मार्च 2020 को 24 घंटे के लिये लॉकडाउन लगाया गया था, भारत सरकार की तरफ से | इन दिनों मेरा मिरज, महाराष्ट्र मे ही काम चल रहा था | अक्सर रोड कंस्ट्रक्शन कंपनी मे छुट्टी नहीं मिला करती है तो इस 24 घंटे के लॉकडाउन से मन मे थोड़ी ख़ुशी भी थी कि रूम पर आराम करने का थोड़ा समय मिल जायेगा | धीरे-धीरे देश मे कोरोना केस बढ़ने लगे थे, तो फिर 24 मार्च से पूरे 21 दिन का पूरे भारत देश मे लॉकडाउन लग गया था | जगह-जगह चौराहे पर पुलिस तैनात थी ताकि कोई भी अपने घर से बाहर ना निकले, यदि कोई गलती से बाहर निकल गया तो फिर पुलिस अच्छी तरीके से डंडे मारकर स्वागत कर रही थी | कुछ दिन के बाद देश के हालात बिगड़ते जा रहे थे, कोरोना केस हज़ारो से लाखो का आंकड़ा छू लिये थे | मेरे घर से पापा यही बोल रहे थे कि जल्दी घर आ जाओ, मगर इस समय बस ट्रैन सभी साधन बंद थे क्योंकि महाराष्ट्र मे सबसे ज्यादा कोरोना केस थे | इन दिनों कुछ मजदूर लोग पैदल ही 1000 किलोमीटर का सफर कर रहे थे, वो ट्रैन के नीचे पटरी पर आ जाने से मौत हो गई थी तो कुछ लोगो की मौत ट्रक के पलट जाने से | इन दिनों जितने लोग कोरोना से मर रहे थे, उतने ही लोग इस तरह के एक्सीडेंट से भी मर रहे थे | इन्ही दिनों घर पर अजय भैया की शादी थी मगर मै नहीं जा पाया क्योंकि मुझे डर था कि महाराष्ट्र से सफर के दौरान कोरोना हो गया तो अपने घर के सदस्यो मे भी कोरोना हो जायेगा, इससे बढ़िया तो यही महाराष्ट्र मे रहना ही सबके हित मे है | इन दिनों हॉस्पिटल मे डॉक्टर, नर्स साथ ही पुलिस व अन्य डिपार्टमेंट ने भी इस बीमारी से लड़ने के लिये बहुत संघर्ष किया था, उन सभी को सच्चे दिल से नमन है | मेरे रूम से 200 मीटर की दूरी पर शमशान घाट था, वहाँ दिनभर मे 50 कोरोना मरीज की लाश जला करती थी, मै तो और ज्यादा डरने लगा था और भगवान से यही प्रार्थना करता था कि अभी तो मेरी शादी भी नहीं हुई है और मै अभी बिल्कुल भी नहीं मरना चाहता हूँ | इस कोरोना ने हमारे देश मे ही नहीं अपितु विदेशो मे भी काफ़ी ज्यादा जन-धन की हानि हुई थी | यह हमारे लिये ब्लैक डे के समान ही था और हम सभी चाहते है कि इस तरह के बुरे दिन फिर कभी दोबारा ना आये | 

korona ki lahar

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