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बड़ो की सीख

28 अगस्त 2022

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मुगल शासक रोज अपने दरबार में जाया करता था । रोज अपने दरबारियों से राज काज के बारे बातचीत करता और किसी भी नए कार्य को कियान्वयन पर विचार विमर्श करता । अकबर के नौ रत्न भी दरबार में ही अकबर के साथ बैठे रहते । एक दिन एक वृद्ध महिला अकबर के दरबार में आई और बोली , जिल्ले इलाही रहम करो , रहम करो तभी अकबर ने पूछा क्या दुख है आपको अम्मा , तभी वृद्ध महिला ने बताया कि उसके एक ही पुत्र है । जबसे उसकी शादी की वह बदल गया । और मुझसे हमेशा लड़ता है । ताने मारता है । और अब तो उसने मुझे घर से बाहर निकाल दिया , मैं वृद्ध महिला अब कहा जाऊंगी मेरा फैसला कीजिए अन्यथा में यही पर अपने प्राण त्याग दूंगी । अकबर को बहुत गुस्सा आया । और उसने सैनिकों को आदेश दिया की तुरंत उसके पुत्र को गिरफ्तार करके लाए । कल उसे में सजा दूंगा । मेरे राज्य में कोई दुखी नहीं होना चाहिए । एक राजा का कर्तव्य है कि जनता के हितों की बात प्रथम है । 
दूसरे दिन दरबार लगा। सैनिक बुढ़िया के पुत्र को पकड़ कर ले आए । प्रथम तो अकबर को गुस्सा आया । परंतु उसने बीरबल से पूछा । बताओ इसके पुत्र को क्या सजा दी जाए । बीरबल ने कहा जहापानह ये नादान माया के मोह में चूर है । इसको अपनी गलती का अहसास करवाना और वापस इसकी मां को ससम्मान घर पहुंचाना हमारा दायित्व और कर्तव्य है । तभी बीरबल बुढ़िया के पुत्र को एक नदी के किनारे ले गया । तब बीरबल ने उसके पुत्र को बताया कि ये बहती नदी जिंदगी की तरह है । जो अनवरत बहती रहती है । परंतु माता पिता इस नदी का उद्गम है । नदी कितनी ही बड़ी हो जाए परंतु उसके उद्गम का अलग ही महत्व है । यदि उद्गम सूख या जाए या बंद कर दिया जाए तो नदी में कुछ नही रहेगा । सूख जाएगी । अर्थात जो हमे इस दुनिया में लाए उन्ही को हम दुख देते है । घर से बाहर निकालते है । इससे हम भी खुश नहीं रह पाएंगे । बुढ़िया के पुत्र को अपनी गलती का अहसास हुआ ।उसने दरबार में जाकर अपनी मां से माफी मांगी फिर जहांपनाह को भी माफी देने की गुजारिश की । पुत्र को अपनी गलती का अहसास हुआ ।ये देखकर अकबर बहुत खुश हुआ और उसने बुढ़िया के पुत्र को माफ किया । बुढ़िया और उसका पुत्र दोनो घर चले गए । 
अकबर बीरबल की बुद्धिमत्ता पर खुश हुआ।
इस कहानी का भावार्थ की हमे माता पिता का हमेशा सम्मान करना चाहिए । उनकी छाया घर में खुशियां , सुख, शांति और समृद्धि देती है ।
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रचनाएँ
प्रेरक बाल कथाएं
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सुख और दुख एक गांव में एक ब्राह्मण रहता था । रोज मंदिर में भगवान की पूजा कर और आस पास के गांव में भिक्षावृत्ति कर अपना व परिवार जीवन यापन करता था । इतना ही कमा पाता जिससे जीवन का गुजारा हो जाए । उसकी पत्नी हमेशा उसे ताना देती रहती की तुम इतनी भगवान की सेवा करते हो फिर भी हम लोग इतने गरीब है । हम कैसे अपने परिवार का गुजारा कर पाएंगे । तब भी ब्राह्मण हंसकर पत्नी को कहता की तुम चिंता न करो सब ईश्वर देख रहा है । सब अच्छा ही होगा । पंडित जी एक पुत्र था । जो बड़ा समझदार और ईमानदार था । उसका नाम वासु था । बस वासु को अलग अलग ग्रंथ और किताबे पढ़ने का शौक था । वो पिता की आर्थिक स्थिति जानता था । इसीलिए अपने बाहर जाकर पड़ने की बात करने में थोड़ा शर्माता था । तभी एक दिन गांव में कुछ पुजारी और पंडित आए । वो सब काशी विद्यापीठ जा रहे थे । उनकी भेंट वासु से हुई जब तक वो गांव में रुके उनकी वासु ने खूब सेवा की और उनके गुरुजी वासु के काम से बहुत प्रेरित हुए । उन्होंने वासु से कहा की कल अपने पिताजी को लेकर आना । गुरुजी के कहे अनुसार वो पिताजी को लेकर आया । पिताजी से गुरुजी ने वासु को अपने साथ काशी ले जाकर ज्योतिष की पढ़ाई करने की बात कही । पिताजी की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी । उन्होंने सोचा और गुरुजी से कहा की अगर ईश्वर को ऐसी ही मर्जी है तो आप वासु को ले जाइए । फिर क्या था वासु को गुरुजी पढ़ाने के लिए बनारस ले गए । वासु भी वेदों और पुराणों ,ग्रंथो के अध्ययन में लग गया । समय बीतता चला गया । जब वासु अपने गांव वापस आया तो बहुत अच्छा पंडित बन गया था । दूर दूर से लोग अपनी परेशान और कुंडली लेकर आते थे । ज्योतिष के माध्यम से और अपनी बुद्धिमता से सभी की परेशानी का का समाधान करने लगा । तभी ये बात वहा के राजा को पता चली वो भी वासु के पास कुछ समस्या के समाधान के लिए आए । वो वासु के ज्ञान से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी पुत्री का विवाह का प्रस्ताव वासु के पिता के सामने रखा । पिता भी मान गए और खुशी खुशी दोनो की शादी हो गई । पंडित जी का परिवार खुशी खुशी रहने लगा । इस कहानी का भावार्थ यह है कि ईश्वर जो करता है । अच्छा करता है ।
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करामाती चादर

28 अगस्त 2022
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करामाती चादर एक समय की बात है । गोलू नाम का एक बच्चा था । वह बहुत ही शरारती और चतुर था । पर पढ़ने में उसका मन नही लगता था । उसे कितना ही बाहर दोस्तो के साथ खेला लो उसका मन वही लगता था । हर

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बौना पिंकू

28 अगस्त 2022
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एक समय की बात है । एक गांव में पिंकू और उसका परिवार रहता था । पिंकू जब पैदा हुआ था तब ही थोड़े दिन बाद ही डॉक्टर ने उसके माता पिता को उसकी शारीरिक कमी के बारे में बता दिया था । कि आपके बच्चे की शारीरि

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गुड़िया का गुलाब

28 अगस्त 2022
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कहानी शीर्षक गुडिया का गुलाब एक समय की बात है । एक गांव में गुड़िया का परिवार रहता था । गुड़िया के पापा कही शहर में नौकरी करते थे । रोज शहर में उनका आना जाना था । एक दिन जब वह शहर से आ रहे थे तभ

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गर्मी की छुट्टियां

28 अगस्त 2022
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सभी बच्चे गर्मियों की छुट्टियों में घूमने जाने की जिद करते है । माता पिता भी उनकी जिद को मान लेते है । घूमने जाने का कार्यकम बनाते है । सभी मिलकर तय करते है इस बार हम सभी अमरनाथ की यात्रा पर चलेंगे ।

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हिम्मत की कीमत

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एक समय की बात है । सुदूर दक्षिण में समुद्र किनारे एक छोटा सा गांव था । वहा के सभी लोगो का व्यवसाय समुद्र पर ही निर्भर था । रोज सुबह मछुहारे समुद्र में सुदूर अपनी नावों को लेकर मछली पकड़ने के लिए निकल

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कुल्फी वाला

28 अगस्त 2022
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**कुल्फी वाला**बात कुछ समय पूर्व की है । राजस्थान एक के छोटे से कस्बे में गर्मियों के दिनों में बाहर किसी पड़ोसी शहर से एक कुल्फी वाला कुल्फी बेचने आता था । जैसे ही उसकी आवाज और उसकी कुल्फी के ठेले पर

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ईश्वर पर विश्वास

28 अगस्त 2022
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होलिका दहन की कथा

28 अगस्त 2022
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एक शहर में एक व्यापारी रहता था । उसकी पत्नी भी नौकरी करती थी । उनके एक लड़का था जिसका नाम पिंटू था । पिंटू पढ़ाई में अच्छा पढ़ने वाला बच्चा था । परंतु माता पिता की कार्य में अधिक व्यस्त होने के कारण

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गुदड़ी के लाल

28 अगस्त 2022
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*असली गुदड़ी के लाल* आज एक कहानी लेकर आया हूं , वो यथार्थ के चित्रण का करती है ।हम और आप के आस पास ऐसे कई उदाहरण मिल जायेंगे जो आने वाली पीढ़ी के लिए एक आदर्श बन जाते है । ओर लोगो की सोच बदलने

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कर भला हो भला

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एक समय की बात है । एक शिकारी था । जानवरों का शिकार करना यही उसके जीविकोपार्जन का साधन था । यही उसकी दैनिक दिनचर्या थी । एक बार शिकारी जंगल में गया शिकार की तलाश करते करते करते उसे एक हाथी दिखाई दिया ।

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जमींदार का सबक

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जमीदार का सबक एक समय की बात है । किसी गांव में एक जमीदार रहता था । जमीदार के पास बहुत सी जमीन थी । खूब नौकर चाकर काम करते थे । जमीदार बहुत बुद्धिमान और नेक इंसान था । परंतु उसके दो पुत्र थे। दोनो

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