एक समय की बात है । एक शिकारी था । जानवरों का शिकार करना यही उसके जीविकोपार्जन का साधन था । यही उसकी दैनिक दिनचर्या थी । एक बार शिकारी जंगल में गया शिकार की तलाश करते करते करते उसे एक हाथी दिखाई दिया । हाथी के एक पैर में बहुत खून निकल रहा था । हाथी को देखते ही शिकारी हाथी के पास आया और उसने देखा कि हाथी के पैर में एक बड़ा सा कांटा लगा हुआ था। जिसकी वजह से उसके पैर से बहुत खून बह रहा था । और हाथी तड़प रहा था । शिकारी ने कुछ सोचा और हाथी के पैर से कांटा निकाला और अपने दुप्पटे से हाथी के जोर से पट्टी बांध दी । हाथी का रक्त बहना बंद हो गया था । हाथी को थोड़ा आराम मिल गया था । हाथी धीरे धीरे जंगल की तरफ चला गया । शिकरी भी शिकार करने चला गया ।
कुछ समय पश्यात एक दिन शिकारी किसी शिकार का पीछा करते हुए जंगल में बहुत दूर तक चला गया । परंतु उसे पता नही था कि जहा वो जा रहा है वहा शेरों की गुफाएं है । सभी शेर वही रहते थे । जैसे ही शेरों ने किसी के आने की आहट सुनी तो सभी शेर अपनी गुफा से बाहर आ गए । उन्होंने शिकारी को घेर लिया । अब शिकार डरा सहमा वही खड़ा रहा । और मन ही मन अपनी जान बचाने की युक्ति सोचता रहा । और भगवान से प्रार्थना करता रहा । तभी उसने देखा कि वही आस पास से हाथियों का झुंड दिखाई दिया । उसमे आगे ही आगे वही हाथी था । जिसकी जान शिकारी ने बचाई थी । फिर क्या था हाथी ने भी शिकारी को पहचान लिया । हाथी ने सोचा उस दिन हाथी ने उसकी जान बचाई थी । आज उसे शिकारी की जान बचानी है । और हाथियों का सारा झुंड उस ओर मुड़ गया जहां पर शेरों ने शिकारी को घेरा था ।हाथियों के झुंड ने शेरों के खदेड़ दिया । सारे शेर तीतर बितर हो गए । वहां से भाग गए । इस प्रकार शिकारी की जान बच पाई। शिकारी ने हाथियों का शुक्रिया अदा किया और अपने घर को चला गया।
इस कहानी से यह सीख मिलती है । हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए । ईश्वर हमेशा आपकी मदद के लिए तैयार रहते है । परोपकार का फल हमेशा मिलता है ।
पवन कुमार शर्मा
कवि कौटिल्य