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होलिका दहन की कथा

28 अगस्त 2022

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एक शहर में एक व्यापारी रहता था । उसकी पत्नी भी नौकरी करती थी । उनके एक लड़का था जिसका नाम पिंटू था । पिंटू पढ़ाई में अच्छा पढ़ने वाला बच्चा था । परंतु माता पिता की कार्य में अधिक व्यस्त होने के कारण पिंटू को समय नहीं दे पाते । पिंटू भी बस थोड़ा मोबाइल में कुछ खेल लेता और सो जाता था । रोज की यही दिनचर्या थी । एक दिन पिंटू के दादाजी और दादीजी गांव से शहर आए । पिंटू भी बहुत खुश हो गया । और दादा दादी के साथ समय बिताना उसे भी बहुत अच्छा लगता था । वो उनसे नई नई कहानी सुनता और बहुत खुश हो जाता । एक दिन पिंटू ने दादा जी से पूछा हम सिर्फ होली को रंगो का त्योहार मानते है । पर हम होली का त्योहार क्यू मानते है । दादाजी मुस्कुराए और कहा पिंटू आज में तुम्हे होलिका की कहानी सुनाता हूं। तुम्हे भी बहुत पसंद आयेगी । 
एक समय की बात है हिरण्यकशप नाम का एक राजा था । वह राक्षस कुल का राजा था । परंतु उसे ईश्वर के नाम से बहुत नफरत थी । एक बार उसने किसी देवता से युद्ध किया ।और युद्ध हराने के पश्चात उस देवता को बंदी बना लिया । ये बात ब्रम्हा जी को पता चली तो ब्रह्मा जी उन देवता को छुड़ाने के लिए ब्रम्हा जी आए तो हिरण्याकक्षप ने शर्त रखी कि हे ब्रह्मा जी आप मुझे अमरत्व का वरदान दीजिए । ब्रम्हा जी ने कहा की मैं ऐसा कोई वरदान नही दे सकता क्योंकि ये तो विद्या का विधान है जो आया है वो जायेगा। हा मैं तुम्हे ये वरदान दे सकता हूं कि तुम ना सुबह मरोगे न शाम को , न तुम्हे कोई देवता मरेगा और न इंसान । फिर क्या था ये बात हिरिण्यकशप को पसंद आई । और ब्रम्हा जी चले गए।
फिर क्या था राजा बहुत दंभी और क्रूर बन गया । मौत का डर उसे बिलकुल न था । वह सभी प्रजा पर अत्याचार करने लगा । मंदिर में जाने पर सभी को रोक लगा दी । सभी भक्तो को प्रताड़ित करने लगा । सभी प्रजा बहुत परेशान हो गई । और ईश्वर को याद करने लगी । 
हिरणकश्यप को एक पुत्र की प्राप्ति हुई । उनसे उसका नाम प्रह्लाद रखा । प्रह्लाद अपने पिता के बिलकुल विपरीत था । वो भगवान विष्णु का परम भक्त था । और उनकी पूजा किया करता था । अपने पिता को भी समझाता की आप भी भगवान विष्णु की पूजा किया कीजिए । परंतु राजा और गुस्से में आ जाता । उसने प्रह्लाद को भगवान विष्णु की पूजा करने से बहुत रोका परंतु प्रह्लाद टस से मस नहीं हुआ । 
तभी अचानक हिरण्यकाशप के पास उसकी बहन आई । भाई ने बहन को सारी बात बताई । तब बहन ने कहा की मुझे एक वरदान प्राप्त है मुझे कोई आग नही जला सकती । में अगर प्रह्लाद को लेकर अग्निस्नान करू तो प्रह्लाद जल जायेगा । और मैं वापस बाहर आ जाऊंगी । भाई को ये बात पसंद आई । उसने वैसा ही किया। राजा ने अग्नि स्नान का आदेश दिया । महल के बीचों बीच अग्नि कुंड बनाया। उसमे सवा सौ किलो लकड़ियां लगाई । एक मन उसमे घी डाला । फिर होलिका अपने भतीजे प्रह्लाद को लेकर आई । और भुआ के साथ अग्निसनान की बात कही । प्रह्लाद ने भी भगवान हरि का नाम लिया और बुआ के साथ अग्नि कुंड में बैठ गया । थोड़ी देर बाद होलिका का पूरा शरीर आग में रख हो गया । प्रह्लाद अग्नि से जैसा गया वैसा ही वापस आ गया । राजा भी ये सब देख रहा था । वह चकित हो गया । और असमंजस में पड़ गया । कि क्या करे । और प्रह्लाद को पकड़ कर महल में ले गया । मरने पीटने लगा । प्रह्लाद सिर्फ हरि का गुणगान कर रहा था । तभी अचानक आकाश में बिजली कड़कने लगी । मानो कह रही हो की राजा तेरा समय आ गया । वही भोर हुए तो अचानक महल का के खंभा टूटा और उसमे सिंह के सिर वाले भगवान विष्णु ने अवतार लिया । और राजा हिरण्यकशप को दोनो हाथो से पकड़ कर चीयर दिया । और फिर भक्त प्रह्लाद को अपने गोदी में बैठाया । 
जब यह बात सारी प्रजा को पता चली । तो सभी ने भक्त प्रह्लाद की भक्ति की बहुत तारीफ की और राक्षस राजा के मरने से सभी खुश हो गए । और सभी ने रंग अबीर गुलाल से होली मनाई । 
कहानी से शिक्षा मिलती है । कि कभी इतना घमंड नहीं करना चाहिए । और प्रभु पर हमें भरोसा करना चाहिए । वो अपने भक्त की मदद जरूर करते है । बस सही समय होना चाहिए । 
पवन कुमार शर्मा 
कवि कौटिल्य
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प्रेरक बाल कथाएं
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सुख और दुख एक गांव में एक ब्राह्मण रहता था । रोज मंदिर में भगवान की पूजा कर और आस पास के गांव में भिक्षावृत्ति कर अपना व परिवार जीवन यापन करता था । इतना ही कमा पाता जिससे जीवन का गुजारा हो जाए । उसकी पत्नी हमेशा उसे ताना देती रहती की तुम इतनी भगवान की सेवा करते हो फिर भी हम लोग इतने गरीब है । हम कैसे अपने परिवार का गुजारा कर पाएंगे । तब भी ब्राह्मण हंसकर पत्नी को कहता की तुम चिंता न करो सब ईश्वर देख रहा है । सब अच्छा ही होगा । पंडित जी एक पुत्र था । जो बड़ा समझदार और ईमानदार था । उसका नाम वासु था । बस वासु को अलग अलग ग्रंथ और किताबे पढ़ने का शौक था । वो पिता की आर्थिक स्थिति जानता था । इसीलिए अपने बाहर जाकर पड़ने की बात करने में थोड़ा शर्माता था । तभी एक दिन गांव में कुछ पुजारी और पंडित आए । वो सब काशी विद्यापीठ जा रहे थे । उनकी भेंट वासु से हुई जब तक वो गांव में रुके उनकी वासु ने खूब सेवा की और उनके गुरुजी वासु के काम से बहुत प्रेरित हुए । उन्होंने वासु से कहा की कल अपने पिताजी को लेकर आना । गुरुजी के कहे अनुसार वो पिताजी को लेकर आया । पिताजी से गुरुजी ने वासु को अपने साथ काशी ले जाकर ज्योतिष की पढ़ाई करने की बात कही । पिताजी की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी । उन्होंने सोचा और गुरुजी से कहा की अगर ईश्वर को ऐसी ही मर्जी है तो आप वासु को ले जाइए । फिर क्या था वासु को गुरुजी पढ़ाने के लिए बनारस ले गए । वासु भी वेदों और पुराणों ,ग्रंथो के अध्ययन में लग गया । समय बीतता चला गया । जब वासु अपने गांव वापस आया तो बहुत अच्छा पंडित बन गया था । दूर दूर से लोग अपनी परेशान और कुंडली लेकर आते थे । ज्योतिष के माध्यम से और अपनी बुद्धिमता से सभी की परेशानी का का समाधान करने लगा । तभी ये बात वहा के राजा को पता चली वो भी वासु के पास कुछ समस्या के समाधान के लिए आए । वो वासु के ज्ञान से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी पुत्री का विवाह का प्रस्ताव वासु के पिता के सामने रखा । पिता भी मान गए और खुशी खुशी दोनो की शादी हो गई । पंडित जी का परिवार खुशी खुशी रहने लगा । इस कहानी का भावार्थ यह है कि ईश्वर जो करता है । अच्छा करता है ।
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करामाती चादर

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करामाती चादर एक समय की बात है । गोलू नाम का एक बच्चा था । वह बहुत ही शरारती और चतुर था । पर पढ़ने में उसका मन नही लगता था । उसे कितना ही बाहर दोस्तो के साथ खेला लो उसका मन वही लगता था । हर

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बौना पिंकू

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एक समय की बात है । एक गांव में पिंकू और उसका परिवार रहता था । पिंकू जब पैदा हुआ था तब ही थोड़े दिन बाद ही डॉक्टर ने उसके माता पिता को उसकी शारीरिक कमी के बारे में बता दिया था । कि आपके बच्चे की शारीरि

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गुड़िया का गुलाब

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कहानी शीर्षक गुडिया का गुलाब एक समय की बात है । एक गांव में गुड़िया का परिवार रहता था । गुड़िया के पापा कही शहर में नौकरी करते थे । रोज शहर में उनका आना जाना था । एक दिन जब वह शहर से आ रहे थे तभ

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गर्मी की छुट्टियां

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सभी बच्चे गर्मियों की छुट्टियों में घूमने जाने की जिद करते है । माता पिता भी उनकी जिद को मान लेते है । घूमने जाने का कार्यकम बनाते है । सभी मिलकर तय करते है इस बार हम सभी अमरनाथ की यात्रा पर चलेंगे ।

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हिम्मत की कीमत

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एक समय की बात है । सुदूर दक्षिण में समुद्र किनारे एक छोटा सा गांव था । वहा के सभी लोगो का व्यवसाय समुद्र पर ही निर्भर था । रोज सुबह मछुहारे समुद्र में सुदूर अपनी नावों को लेकर मछली पकड़ने के लिए निकल

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बड़ो की सीख

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मुगल शासक रोज अपने दरबार में जाया करता था । रोज अपने दरबारियों से राज काज के बारे बातचीत करता और किसी भी नए कार्य को कियान्वयन पर विचार विमर्श करता । अकबर के नौ रत्न भी दरबार में ही अकबर के साथ बैठे

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कुल्फी वाला

28 अगस्त 2022
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**कुल्फी वाला**बात कुछ समय पूर्व की है । राजस्थान एक के छोटे से कस्बे में गर्मियों के दिनों में बाहर किसी पड़ोसी शहर से एक कुल्फी वाला कुल्फी बेचने आता था । जैसे ही उसकी आवाज और उसकी कुल्फी के ठेले पर

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ईश्वर पर विश्वास

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एक समय की बात है । जहांपनाह अकबर अपने दरबार में बैठे हुए थे । सारे दरबार और खास सिपेसलाह भी साथ बैठे थे । सभी से आलमगीर अपने राजकार्य का हाल चाल पूछ रहे थे । और विचार विमर्श चल रहा था । सभी अचानक एक द

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गुदड़ी के लाल

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*असली गुदड़ी के लाल* आज एक कहानी लेकर आया हूं , वो यथार्थ के चित्रण का करती है ।हम और आप के आस पास ऐसे कई उदाहरण मिल जायेंगे जो आने वाली पीढ़ी के लिए एक आदर्श बन जाते है । ओर लोगो की सोच बदलने

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कर भला हो भला

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एक समय की बात है । एक शिकारी था । जानवरों का शिकार करना यही उसके जीविकोपार्जन का साधन था । यही उसकी दैनिक दिनचर्या थी । एक बार शिकारी जंगल में गया शिकार की तलाश करते करते करते उसे एक हाथी दिखाई दिया ।

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जमींदार का सबक

28 अगस्त 2022
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जमीदार का सबक एक समय की बात है । किसी गांव में एक जमीदार रहता था । जमीदार के पास बहुत सी जमीन थी । खूब नौकर चाकर काम करते थे । जमीदार बहुत बुद्धिमान और नेक इंसान था । परंतु उसके दो पुत्र थे। दोनो

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