कहानी शीर्षक गुडिया का गुलाब
एक समय की बात है । एक गांव में गुड़िया का परिवार रहता था । गुड़िया के पापा कही शहर में नौकरी करते थे । रोज शहर में उनका आना जाना था । एक दिन जब वह शहर से आ रहे थे तभी उन्हे पौधे की नर्सरी दिखाई दी । तभी उन्होंने सोचा की गुडिया को गुलाब बहुत पसंद है । एक गुलाब का पौधा खरीद कर गुडिया को दिया जाए । वो पौधा लेकर आ गए । गुड़िया को दिखाया तो गुडिया बहुत खुश हुई । पापा को बोला इसको आंगन में लगाएंगे । शाम को घर के मुख्य द्वार पर ताला रहेगा तो उसे को कोई जानवर नही खाएगा । छुट्टी का दिन आया गुडिया के पापा ने एक गड्ढा खोदा तभी गुडिया को मम्मी ने कहा की में जाकर पास के खेतो से मिट्टी लेकर आती हू। और गुडिया की मम्मी पास खेत से मिट्टी लेकर आयी। सब परिवार के सदस्यों ने मिलकर पौधा लगाया । तभी गुडिया की दादी घर के अंदर से एक चादर लेकर आई । उन्होंने कहा की ये पौधे को ज्यादा धूप से बचाएगा और किसी की नज़र भी नही लगेगी । सभी ने मिलकर पौधे का आसपास चादर लगा दी । थोड़े ही दिनों में गुलाब का पौधा बड़ा हुआ और खूब फूल देने लगा । गुड़िया की मम्मी रोज फूल तोड़ती माला बनाती और भगवान को चढ़ाती। सभी परिवार वाले बहुत खुश थे ।
कहानी से ये शिक्षा मिलती है । सामूहिक प्रयास से सभी काम संभव हो जाते है ।
पवन कुमार शर्मा
कवि कौटिल्य