करामाती चादर
एक समय की बात है । गोलू नाम का एक बच्चा था । वह बहुत ही शरारती और चतुर था । पर पढ़ने में उसका मन नही लगता था । उसे कितना ही बाहर दोस्तो के साथ खेला लो उसका मन वही लगता था । हर समय बस खेलने की बात करता था । गोलू के माता पिता भी बहुत ही परेशान थे । कि गोलू आगे क्या करेगा । उसकी बुआ ने उसे एक चद्दर उपहार में दी थी जो उसे बहुत पसंद थी । जिसे ओढ़कर वह रोज सोता था। जब भी कही बाहर जाता तो उस चादर को छुपाकर जाता । इसका कारण यह था वह जैसे ही चादर औढ़कर सोता बस रंग बिरंगी सपनो की दुनिया में में खो जाता था ।वो जो भी सपने में देखता वो सब उसकी इच्छाएं धीरे धीरे पूरी हो जाती । वो भी समझ गया था कि जो भी उसके साथ हो रहा है वो इस चादर के कारण ही हो रहा है । इसीलिए वो हमेशा चादर को अपने समीप ही रखता था । और रोज नए नए सपने देखता था । कभी खेलने के तो कभी बहुत बड़ा आदमी बनने के सपने सोनू को सारे सपने हकीकत और सत्य लगने लगे थे। उसके माता पिता उसकी हर इच्छा की पूर्ति के लिए तैयार थे । वो जो भी सपने में देखता । उसी वस्तु को घर में पाता जिससे बाहर के काम से भी जी चुराने लग गया था । बस सपनो की दुनिया में रहने की आदत सी हो गई । दोस्तो से मिलकर सपने में होने वाली सारी बाते बताता । इन सभी बातो की वजह से दोस्त भी उसका मजाक बनाते और उसे चिढ़ाते थे। वह मन ही मन ही खुश होता जाता । फिर खाना खाकर सो जाता । जिससे उसका मन धीरे धीरे पढ़ाई से हटता गया । दिनचर्या भी बिगड़ गई थी। । जब परीक्षा का परिणाम आया तो वो फेल हो गया। परंतु उसके चहेरे पर शिकन न थी । क्युकि उसे चादर पर अति विश्वास हो गया था इसीलिए फेल होने का कोई पछतावा नहीं था । बस सोना और सपने देखना और दोस्तो के साथ मटरगस्ती करते रहता । यही उसकी आदत बन चुकी थी। और सपने देखते देखते वो सातवे आसमान पर पहुंच जाता । एक दिन जब गोलू घर से बाहर गया तभी वहा पर एक बर्तन बेचने वाली आई जो फटे पुराने कपड़ा लेकर कुछ बर्तन देती थी । तभी वह गोलू की मां के पास आई और फटे पुराने कपड़े देने की बात कही । गोलू की मां ने उसे वही बैठाया और फटे पुराने कपड़े इकट्ठे करने के लिए अंदर चली गई । गोलू की मां कुछ कपड़े लेकर आई जिसमे गोलू की वो पुरानी चादर भी थी । जिसको रोज औड़कर सोता था । गोलू की मां ने सारे कपड़े बर्तन वाली को दे दिए । बदले में कुछ बर्तन ले लिए । बर्तन वाली चली गई । गोलू की मां ने गोलू के पलंग पर नई चादर रख दी । गोलू जब खेलकर घर आया । तो उसके कमरे में वो चादर नही दिखी वह बड़ा उदास हुआ । उसने खाना भी नही खाया । मां से चादर के बारे में पूछने लगा । मां ने बताया कि वो चादर बहुत पुरानी हो चुकी थी । और फट भी गई थी । इसीलिए आज बर्तन वाली को दे दी । बदले में कुछ नए बरतन ले लिए ।
नींद भी ठीक से नही आई। जब आंख लगी तो उसे उस रात कोई स्वप्न नही आया ।जब उसे कोई स्वप्न नही आया तो उसका सारा भ्रम टूट गया । सुबह उठकर उसने अपनी मां को सारी बात बताई । मां ने सोनू को समझाया कि बेटा ऐसा कुछ नही है । सपने देखना बुरी बात नही परंतु सपनो पर निर्भर हो जाना बुरी बात है । फिर सोनू को सारी बात समझ आई। और वह सुबह जल्दी ही उठकर स्कूल जाने के लिए तैयार हुआ । स्कूल गया तो उसे ये भी अहसास हुआ की जो उसके दोस्त उसके साथ पढ़ते थे वो आगे निकल गए । वो एक कक्षा पीछे रह गया । घर आया उसने सोचा अगर मै चादर पर निर्भर नहीं रहता तो मेरे दोस्तो के साथ पढ़ाई करता और पास हो जाता। उसे अपनी भूल का अहसास हो चुका था । और अब वो पढ़ाई करने लगा। रात को देर रात तक रोज पढ़ाई करने लगा
अब सोनू रोज स्कूल जाने अच्छी तरह से पढ़ाई करने लगा । अब उसको समझ आ गया था की जो चादर ओढ़कर वो सोता था । वो उसे सपनो की दुनिया में ले जाती और उसे कुछ नहीं करने देती और सिर्फ खेलने के लिए प्रेरित करती थी । अब उसका सिर्फ पढ़ाई से वास्ता था । धीरे धीरे उसने इस वर्ष की परीक्षा भी पास कर ली ।
उसके माता पिता भी बहुत प्रसन्न थे।
कहानी से ये शिक्षा मिलती हैं कि सपने देखने से कुछ हासिल नहीं होता । चादर तो एक प्रतीक मात्र थी । वो सपनो की दुनिया में ही रहने लगा था।
अगर करना है कुछ काम ,उसके लिए मेहनत करना जरूरी है । हर चीज पर भाग्य के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए।
लेखक पवन कुमार शर्मा कवि कौटिल्य