सभी बच्चे गर्मियों की छुट्टियों में घूमने जाने की जिद करते है । माता पिता भी उनकी जिद को मान लेते है । घूमने जाने का कार्यकम बनाते है । सभी मिलकर तय करते है इस बार हम सभी अमरनाथ की यात्रा पर चलेंगे । सभी के मन में खुशी थी हम सभी अमरनाथ की यात्रा करेंगे । समय आ गया मोनू , सोनू और उनके माता पिता अमरनाथ की यात्रा पर निकले। मानसून का समय था कही हल्की बूंदा बांदी तो कही तेज बारिश का नजारा था । सफर पूरा रोमांच से भरा हुआ था । रास्ते में शिव भक्तों का तांता जा रहा है । रास्ते में जगह जगह शिवभक्तो ने लंगर लगा रखा था । खाने पीने की व्यवस्था शिव मंडल की और से रहने के लिए टेंट लगा रखे थे । जहा विश्राम कर सके ।
सोनू मोनू और उसके माता पिता ने भी अमरनाथ बाबा के दर्शन के लिए अपनी पैदल यात्रा शुरू कर दी । रास्ते में पहाड़ पर्वत उबड़खाबड़ रास्ते और किसी जगह तो सिर्फ एक छोटी सी पगडंडी जिस पर सारे भक्त चल रहे थे । सोनू मोनू एक दूसरे का हाथ पकड़कर चल रहे थे । उनके परिवार जन आगे चल रहे थे । कुदरत का ऐसा नजारा मानो सभी ने पहली बार देखा था । कही पर एक छोटा सा रास्ता और आस पास खाई । थोड़ा सा पैर फिसल जाए तो सीधा खाई में चला जाए । जय महादेव की गूंज से और ज्यादा चलने की हिम्मत मिलती है । और हम सभी चलते गए । वहा पर भारतीय सेना की मदद को देख सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है । साथ साथ ही सेना के अधिकारी सभी को मौसम की जानकारी और निर्देश देते रहते थे । मेडिकल की व्यस्था का भी वहा इंतजाम था । कभी भी किसी अनहोनी और आकस्मिक आपदा के लिए सभी तैयार थे।
ऐसा लग रहा था जैसे कि हम सभी धरती के स्वर्ग के रास्ते पर चल रहे । सोनू के परिवार ने भी अमरनाथ के दर्शन किए । थोड़ा वही नीचे आराम किया । फिर वापस आने को दूसरे रास्ते से चलने लगे । उस दिन मौसम साफ था और सभी यात्री अपनी यात्रा में थे । सभी रास्ते में चल रहे थे। परंतु पहाड़ों के मौसम का कुछ पता नहीं कभी भी मौसम बदल जाए । उस दिन भी वैसा ही हुआ मौसम अचानक बदल गया । सभी सेना दल के सदस्य यात्रियों को निर्देश देने लगे । मौसम खराब है आप जहा है वही पास किसी मैदानी जगह ही रुक जाए । तंबू में चले जाए । सभी इधर उधर जाने लगे । माहौल अफरा तफरी का हो गया । हल्की हल्की बूंदा बांदी शुरू हो गई
सोनू का परिवार भी एक तंबू में जाकर विश्राम करने लगे । तभी किसी ने सोचा भी न था किसी ऐसी एक आपदा से दो चार होना पड़ेगा । वहा पर कुछ दूरी पर बादल फटने की घटना हुई । एक साथ इतने पानी का सैलाब सोनू ने भी कभी नहीं देखा था । और एक छोटा सा पानी का झरना पानी की नदी बन गया । जो लोग तंबू में सोए थे । वो तंबू सहित बहने लगे सोनू के परिवार का भी तंबू सैलाब के साथ बह गया । सोनू को तैरना भी आता था और थोड़ी चतुराई से भी कम लेता था । जब तंबू बहने लगा था उसने तंबू की एक रस्सी पकड़ी और किनारे पर आ गया । फिर देखा की मोनू भी सैलाब के साथ बह रहा था । उसने मोनू को जोर जोर से आवाज लगाई । वह मजबूती से किसी पेड़ की टहनी पकड़ ले और मोनू ने ऐसा ही किया । फिर क्या था सोनू ने अपने भाई को बचाने के लिए सैलाब में छलांग लगा दी । और तैरते तैरते मोनू के पास पहुंचा । मोनू बहुत ही डर गया था । उसकी आवाज में भी कपकापाई थी । सोनू ने हिम्मंत से काम लिया । अपने भाई को कंधे पर बैठाया । धीरे तैरकर किनारे पर आया । मोनू को समतल जमीन पर लेटाया और फिर चीख पुकार सुन अपनी जान की परवाह किए बिना । सभी को बचाने का प्रयास करने लगा । तभी उसे वहा एक रस्सी दिखाई दी । जिसे सोनू ने अपनी कमर पर बांध और छोर को एक पेड़ से बांध दिया और वापस सैलाब में कूद गया तैरते तैरते दूसरे किनारे पहुंच गया । सेना के अधिकारी ने उससे हाथ पकड़कर बाहर खींच लिया । फिर दोनो तरफ से रस्सी को पेड़ से बांधा और एक एक कर सभी यात्रियों की जान बचाई और सभी को दूसरे किनारे पहुंचाया। सेना के अधिकारी ने बताया सोनू की वजह से बहुत से लोगो की जान बची । सभी यात्रियों ने ताली बजाकर धन्यवाद दिया और सेना के अधिकारी ने सोनू की पीठ थपथपाई । सेना के अधिकारी ने कहा सोनू का नाम वीर बालक पुरुस्कार के लिए भेजने का निर्णय लिया ।
कहानी से ये शिक्षा मिलती है । बहादुरी से आने वाली परिस्थिति का सामना करना । विपत्ति के समय हिम्मत काम लेना चाहिए।
सोनू के जज्बे और जुनून को सलाम ।
सोनू मोनू और उसके माता पिता सभी घर आ गए ।
पवन कुमार शर्मा
कवि कौटिल्य