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गर्मी की छुट्टियां

28 अगस्त 2022

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सभी बच्चे गर्मियों की छुट्टियों में घूमने जाने की जिद करते है । माता पिता भी उनकी जिद को मान लेते है । घूमने जाने का कार्यकम बनाते है । सभी मिलकर तय करते है इस बार हम सभी अमरनाथ की यात्रा पर चलेंगे । सभी के मन में खुशी थी हम सभी अमरनाथ की यात्रा करेंगे । समय आ गया मोनू , सोनू और उनके माता पिता अमरनाथ की यात्रा पर निकले। मानसून का समय था कही हल्की बूंदा बांदी तो कही तेज बारिश का नजारा था । सफर पूरा रोमांच से भरा हुआ था । रास्ते में शिव भक्तों का तांता जा रहा है । रास्ते में जगह जगह शिवभक्तो ने लंगर लगा रखा था । खाने पीने की व्यवस्था शिव मंडल की और से रहने के लिए टेंट लगा रखे थे । जहा विश्राम कर सके ।
सोनू मोनू और उसके माता पिता ने भी अमरनाथ बाबा के दर्शन के लिए अपनी पैदल यात्रा शुरू कर दी । रास्ते में पहाड़ पर्वत उबड़खाबड़ रास्ते और किसी जगह तो सिर्फ एक छोटी सी पगडंडी जिस पर सारे भक्त चल रहे थे । सोनू मोनू एक दूसरे का हाथ पकड़कर चल रहे थे । उनके परिवार जन आगे चल रहे थे । कुदरत का ऐसा नजारा मानो सभी ने पहली बार देखा था । कही पर एक छोटा सा रास्ता और आस पास खाई । थोड़ा सा पैर फिसल जाए तो सीधा खाई में चला जाए । जय महादेव की गूंज से और ज्यादा चलने की हिम्मत मिलती है । और हम सभी चलते गए । वहा पर भारतीय सेना की मदद को देख सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है । साथ साथ ही सेना के अधिकारी सभी को मौसम की जानकारी और निर्देश देते रहते थे । मेडिकल की व्यस्था का भी वहा इंतजाम था । कभी भी किसी अनहोनी और आकस्मिक आपदा के लिए सभी तैयार थे।
ऐसा लग रहा था जैसे कि हम सभी धरती के स्वर्ग के रास्ते पर चल रहे । सोनू के परिवार ने भी अमरनाथ के दर्शन किए । थोड़ा वही नीचे आराम किया । फिर वापस आने को दूसरे रास्ते से चलने लगे । उस दिन मौसम साफ था और सभी यात्री अपनी यात्रा में थे । सभी रास्ते में चल रहे थे। परंतु पहाड़ों के मौसम का कुछ पता नहीं कभी भी मौसम बदल जाए । उस दिन भी वैसा ही हुआ मौसम अचानक बदल गया । सभी सेना दल के सदस्य यात्रियों को निर्देश देने लगे । मौसम खराब है आप जहा है वही पास किसी मैदानी जगह ही रुक जाए । तंबू में चले जाए । सभी इधर उधर जाने लगे । माहौल अफरा तफरी का हो गया । हल्की हल्की बूंदा बांदी शुरू हो गई 
सोनू का परिवार भी एक तंबू में जाकर विश्राम करने लगे । तभी किसी ने सोचा भी न था किसी ऐसी एक आपदा से दो चार होना पड़ेगा । वहा पर कुछ दूरी पर बादल फटने की घटना हुई । एक साथ इतने पानी का सैलाब सोनू ने भी कभी नहीं देखा था । और एक छोटा सा पानी का झरना पानी की नदी बन गया । जो लोग तंबू में सोए थे । वो तंबू सहित बहने लगे सोनू के परिवार का भी तंबू सैलाब के साथ बह गया । सोनू को तैरना भी आता था और थोड़ी चतुराई से भी कम लेता था । जब तंबू बहने लगा था उसने तंबू की एक रस्सी पकड़ी और किनारे पर आ गया । फिर देखा की मोनू भी सैलाब के साथ बह रहा था । उसने मोनू को जोर जोर से आवाज लगाई । वह मजबूती से किसी पेड़ की टहनी पकड़ ले और मोनू ने ऐसा ही किया । फिर क्या था सोनू ने अपने भाई को बचाने के लिए सैलाब में छलांग लगा दी । और तैरते तैरते मोनू के पास पहुंचा । मोनू बहुत ही डर गया था । उसकी आवाज में भी कपकापाई थी । सोनू ने हिम्मंत से काम लिया । अपने भाई को कंधे पर बैठाया । धीरे तैरकर किनारे पर आया । मोनू को समतल जमीन पर लेटाया और फिर चीख पुकार सुन अपनी जान की परवाह किए बिना । सभी को बचाने का प्रयास करने लगा । तभी उसे वहा एक रस्सी दिखाई दी । जिसे सोनू ने अपनी कमर पर बांध और छोर को एक पेड़ से बांध दिया और वापस सैलाब में कूद गया तैरते तैरते दूसरे किनारे पहुंच गया । सेना के अधिकारी ने उससे हाथ पकड़कर बाहर खींच लिया । फिर दोनो तरफ से रस्सी को पेड़ से बांधा और एक एक कर सभी यात्रियों की जान बचाई और सभी को दूसरे किनारे पहुंचाया। सेना के अधिकारी ने बताया सोनू की वजह से बहुत से लोगो की जान बची । सभी यात्रियों ने ताली बजाकर धन्यवाद दिया और सेना के अधिकारी ने सोनू की पीठ थपथपाई । सेना के अधिकारी ने कहा सोनू का नाम वीर बालक पुरुस्कार के लिए भेजने का निर्णय लिया । 
कहानी से ये शिक्षा मिलती है । बहादुरी से आने वाली परिस्थिति का सामना करना । विपत्ति के समय हिम्मत काम लेना चाहिए।
सोनू के जज्बे और जुनून को सलाम ।
सोनू मोनू और उसके माता पिता सभी घर आ गए । 
पवन कुमार शर्मा 
कवि कौटिल्य
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रचनाएँ
प्रेरक बाल कथाएं
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सुख और दुख एक गांव में एक ब्राह्मण रहता था । रोज मंदिर में भगवान की पूजा कर और आस पास के गांव में भिक्षावृत्ति कर अपना व परिवार जीवन यापन करता था । इतना ही कमा पाता जिससे जीवन का गुजारा हो जाए । उसकी पत्नी हमेशा उसे ताना देती रहती की तुम इतनी भगवान की सेवा करते हो फिर भी हम लोग इतने गरीब है । हम कैसे अपने परिवार का गुजारा कर पाएंगे । तब भी ब्राह्मण हंसकर पत्नी को कहता की तुम चिंता न करो सब ईश्वर देख रहा है । सब अच्छा ही होगा । पंडित जी एक पुत्र था । जो बड़ा समझदार और ईमानदार था । उसका नाम वासु था । बस वासु को अलग अलग ग्रंथ और किताबे पढ़ने का शौक था । वो पिता की आर्थिक स्थिति जानता था । इसीलिए अपने बाहर जाकर पड़ने की बात करने में थोड़ा शर्माता था । तभी एक दिन गांव में कुछ पुजारी और पंडित आए । वो सब काशी विद्यापीठ जा रहे थे । उनकी भेंट वासु से हुई जब तक वो गांव में रुके उनकी वासु ने खूब सेवा की और उनके गुरुजी वासु के काम से बहुत प्रेरित हुए । उन्होंने वासु से कहा की कल अपने पिताजी को लेकर आना । गुरुजी के कहे अनुसार वो पिताजी को लेकर आया । पिताजी से गुरुजी ने वासु को अपने साथ काशी ले जाकर ज्योतिष की पढ़ाई करने की बात कही । पिताजी की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी । उन्होंने सोचा और गुरुजी से कहा की अगर ईश्वर को ऐसी ही मर्जी है तो आप वासु को ले जाइए । फिर क्या था वासु को गुरुजी पढ़ाने के लिए बनारस ले गए । वासु भी वेदों और पुराणों ,ग्रंथो के अध्ययन में लग गया । समय बीतता चला गया । जब वासु अपने गांव वापस आया तो बहुत अच्छा पंडित बन गया था । दूर दूर से लोग अपनी परेशान और कुंडली लेकर आते थे । ज्योतिष के माध्यम से और अपनी बुद्धिमता से सभी की परेशानी का का समाधान करने लगा । तभी ये बात वहा के राजा को पता चली वो भी वासु के पास कुछ समस्या के समाधान के लिए आए । वो वासु के ज्ञान से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी पुत्री का विवाह का प्रस्ताव वासु के पिता के सामने रखा । पिता भी मान गए और खुशी खुशी दोनो की शादी हो गई । पंडित जी का परिवार खुशी खुशी रहने लगा । इस कहानी का भावार्थ यह है कि ईश्वर जो करता है । अच्छा करता है ।
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करामाती चादर

28 अगस्त 2022
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करामाती चादर एक समय की बात है । गोलू नाम का एक बच्चा था । वह बहुत ही शरारती और चतुर था । पर पढ़ने में उसका मन नही लगता था । उसे कितना ही बाहर दोस्तो के साथ खेला लो उसका मन वही लगता था । हर

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बौना पिंकू

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एक समय की बात है । एक गांव में पिंकू और उसका परिवार रहता था । पिंकू जब पैदा हुआ था तब ही थोड़े दिन बाद ही डॉक्टर ने उसके माता पिता को उसकी शारीरिक कमी के बारे में बता दिया था । कि आपके बच्चे की शारीरि

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गुड़िया का गुलाब

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कहानी शीर्षक गुडिया का गुलाब एक समय की बात है । एक गांव में गुड़िया का परिवार रहता था । गुड़िया के पापा कही शहर में नौकरी करते थे । रोज शहर में उनका आना जाना था । एक दिन जब वह शहर से आ रहे थे तभ

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हिम्मत की कीमत

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एक समय की बात है । सुदूर दक्षिण में समुद्र किनारे एक छोटा सा गांव था । वहा के सभी लोगो का व्यवसाय समुद्र पर ही निर्भर था । रोज सुबह मछुहारे समुद्र में सुदूर अपनी नावों को लेकर मछली पकड़ने के लिए निकल

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बड़ो की सीख

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मुगल शासक रोज अपने दरबार में जाया करता था । रोज अपने दरबारियों से राज काज के बारे बातचीत करता और किसी भी नए कार्य को कियान्वयन पर विचार विमर्श करता । अकबर के नौ रत्न भी दरबार में ही अकबर के साथ बैठे

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कुल्फी वाला

28 अगस्त 2022
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**कुल्फी वाला**बात कुछ समय पूर्व की है । राजस्थान एक के छोटे से कस्बे में गर्मियों के दिनों में बाहर किसी पड़ोसी शहर से एक कुल्फी वाला कुल्फी बेचने आता था । जैसे ही उसकी आवाज और उसकी कुल्फी के ठेले पर

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ईश्वर पर विश्वास

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एक समय की बात है । जहांपनाह अकबर अपने दरबार में बैठे हुए थे । सारे दरबार और खास सिपेसलाह भी साथ बैठे थे । सभी से आलमगीर अपने राजकार्य का हाल चाल पूछ रहे थे । और विचार विमर्श चल रहा था । सभी अचानक एक द

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होलिका दहन की कथा

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एक शहर में एक व्यापारी रहता था । उसकी पत्नी भी नौकरी करती थी । उनके एक लड़का था जिसका नाम पिंटू था । पिंटू पढ़ाई में अच्छा पढ़ने वाला बच्चा था । परंतु माता पिता की कार्य में अधिक व्यस्त होने के कारण

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गुदड़ी के लाल

28 अगस्त 2022
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*असली गुदड़ी के लाल* आज एक कहानी लेकर आया हूं , वो यथार्थ के चित्रण का करती है ।हम और आप के आस पास ऐसे कई उदाहरण मिल जायेंगे जो आने वाली पीढ़ी के लिए एक आदर्श बन जाते है । ओर लोगो की सोच बदलने

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कर भला हो भला

28 अगस्त 2022
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एक समय की बात है । एक शिकारी था । जानवरों का शिकार करना यही उसके जीविकोपार्जन का साधन था । यही उसकी दैनिक दिनचर्या थी । एक बार शिकारी जंगल में गया शिकार की तलाश करते करते करते उसे एक हाथी दिखाई दिया ।

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जमींदार का सबक

28 अगस्त 2022
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जमीदार का सबक एक समय की बात है । किसी गांव में एक जमीदार रहता था । जमीदार के पास बहुत सी जमीन थी । खूब नौकर चाकर काम करते थे । जमीदार बहुत बुद्धिमान और नेक इंसान था । परंतु उसके दो पुत्र थे। दोनो

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