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गुदड़ी के लाल

28 अगस्त 2022

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*असली गुदड़ी के लाल* 

आज एक कहानी लेकर आया हूं , वो यथार्थ के चित्रण का करती है ।
हम और आप के आस पास ऐसे कई उदाहरण मिल जायेंगे जो आने वाली पीढ़ी के लिए एक आदर्श बन जाते है । ओर लोगो की सोच बदलने पर मजबूर कर देते है । अपनी और समाज की उन्नति का का मार्ग प्रशस्त करते है शिक्षा का प्रकाश घर घर फैलाते है। वो ही असली गुदड़ी के लाल कहलाते है ।
एक समय की बात है । एक गांव में लल्लू राम का परिवार रहता था । लल्लूराम कुछ खास पढ़ा लिखा नही था । बस छोटे मोटे हिसाब और पैसे की गिनती कर लेता था। उसे हमेशा कम पढ़ा लिखा होने का दुख था । और वो भी चाहता था उसका पुत्र अच्छा पढ़े आगे जाकर बहुत बड़ा अधिकारी बने । पर नियति को जो मंजूर हो वही होगा। लल्लुराम का पुत्र विनोद बहुत ही बुद्धिमान और प्रतिभाशाली था । पास ही के गांव में मिडिल स्कूल में पढ़ने जाता था । लल्लूराम भी विनोद की पढ़ाई से बहुत खुश था । परंतु पुत्र की जरूरत पूरी करने का उसे बहुत ही मलाल था । क्योंकि जितनी वो कमाई करता वो सब घर खर्च में चली जाती थी । विनोद की मां भी दैनिक मजदूरी करके थोड़े पैसे बचा लेती जिससे विनोद की कापी किताब का खर्च निकल जाता । वही कभी चौराहे पर लगी लाइट से विनोद पढ़ाई करता तो कभी घर में केरोसिन से जले लैंप से पढ़ाई करता । सभी अध्यापकों का प्रिय था विनोद , स्कूल में हमेशा अव्वल आता था । जैसे तैसे करके विनोद ने अच्छे अंकों से हाई स्कूल की परीक्षा पास कर ली । उसका सपना था की उसका चयन भारतीय प्रशानिक सेवा में हो जिसके लिए उसके दोस्त और अध्यापकों ने बहुत मदद की और आखिरकार वो समय आया जब विनोद ने प्रशानिक से बहुत अच्छे अंकों से पास की , उसका चयन प्रशाशानिक सेवा में हो गया । 
आज विनोद बहुत बड़ा अधिकारी है । जब वह अपने माता पिता को उसके बंगले में ले गया तो उसके पिता माता की आंखों में आसूं थे । उनके खुशी का ठिकाना न था । ऐसे होते है असली असली गुदड़ी के लाल जो हर मुसीबत में भी अपने लक्ष्य की और आगे बढ़ते जाते है। अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते है।  
शिक्षा का प्रसार हो जहा , स्वर्ग है वहा 
पवन कुमार शर्मा 
कवि कौटिल्य
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रचनाएँ
प्रेरक बाल कथाएं
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सुख और दुख एक गांव में एक ब्राह्मण रहता था । रोज मंदिर में भगवान की पूजा कर और आस पास के गांव में भिक्षावृत्ति कर अपना व परिवार जीवन यापन करता था । इतना ही कमा पाता जिससे जीवन का गुजारा हो जाए । उसकी पत्नी हमेशा उसे ताना देती रहती की तुम इतनी भगवान की सेवा करते हो फिर भी हम लोग इतने गरीब है । हम कैसे अपने परिवार का गुजारा कर पाएंगे । तब भी ब्राह्मण हंसकर पत्नी को कहता की तुम चिंता न करो सब ईश्वर देख रहा है । सब अच्छा ही होगा । पंडित जी एक पुत्र था । जो बड़ा समझदार और ईमानदार था । उसका नाम वासु था । बस वासु को अलग अलग ग्रंथ और किताबे पढ़ने का शौक था । वो पिता की आर्थिक स्थिति जानता था । इसीलिए अपने बाहर जाकर पड़ने की बात करने में थोड़ा शर्माता था । तभी एक दिन गांव में कुछ पुजारी और पंडित आए । वो सब काशी विद्यापीठ जा रहे थे । उनकी भेंट वासु से हुई जब तक वो गांव में रुके उनकी वासु ने खूब सेवा की और उनके गुरुजी वासु के काम से बहुत प्रेरित हुए । उन्होंने वासु से कहा की कल अपने पिताजी को लेकर आना । गुरुजी के कहे अनुसार वो पिताजी को लेकर आया । पिताजी से गुरुजी ने वासु को अपने साथ काशी ले जाकर ज्योतिष की पढ़ाई करने की बात कही । पिताजी की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी । उन्होंने सोचा और गुरुजी से कहा की अगर ईश्वर को ऐसी ही मर्जी है तो आप वासु को ले जाइए । फिर क्या था वासु को गुरुजी पढ़ाने के लिए बनारस ले गए । वासु भी वेदों और पुराणों ,ग्रंथो के अध्ययन में लग गया । समय बीतता चला गया । जब वासु अपने गांव वापस आया तो बहुत अच्छा पंडित बन गया था । दूर दूर से लोग अपनी परेशान और कुंडली लेकर आते थे । ज्योतिष के माध्यम से और अपनी बुद्धिमता से सभी की परेशानी का का समाधान करने लगा । तभी ये बात वहा के राजा को पता चली वो भी वासु के पास कुछ समस्या के समाधान के लिए आए । वो वासु के ज्ञान से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी पुत्री का विवाह का प्रस्ताव वासु के पिता के सामने रखा । पिता भी मान गए और खुशी खुशी दोनो की शादी हो गई । पंडित जी का परिवार खुशी खुशी रहने लगा । इस कहानी का भावार्थ यह है कि ईश्वर जो करता है । अच्छा करता है ।
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करामाती चादर

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करामाती चादर एक समय की बात है । गोलू नाम का एक बच्चा था । वह बहुत ही शरारती और चतुर था । पर पढ़ने में उसका मन नही लगता था । उसे कितना ही बाहर दोस्तो के साथ खेला लो उसका मन वही लगता था । हर

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एक समय की बात है । एक गांव में पिंकू और उसका परिवार रहता था । पिंकू जब पैदा हुआ था तब ही थोड़े दिन बाद ही डॉक्टर ने उसके माता पिता को उसकी शारीरिक कमी के बारे में बता दिया था । कि आपके बच्चे की शारीरि

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गुड़िया का गुलाब

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गर्मी की छुट्टियां

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हिम्मत की कीमत

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बड़ो की सीख

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कुल्फी वाला

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**कुल्फी वाला**बात कुछ समय पूर्व की है । राजस्थान एक के छोटे से कस्बे में गर्मियों के दिनों में बाहर किसी पड़ोसी शहर से एक कुल्फी वाला कुल्फी बेचने आता था । जैसे ही उसकी आवाज और उसकी कुल्फी के ठेले पर

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ईश्वर पर विश्वास

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होलिका दहन की कथा

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एक शहर में एक व्यापारी रहता था । उसकी पत्नी भी नौकरी करती थी । उनके एक लड़का था जिसका नाम पिंटू था । पिंटू पढ़ाई में अच्छा पढ़ने वाला बच्चा था । परंतु माता पिता की कार्य में अधिक व्यस्त होने के कारण

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कर भला हो भला

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जमींदार का सबक

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जमीदार का सबक एक समय की बात है । किसी गांव में एक जमीदार रहता था । जमीदार के पास बहुत सी जमीन थी । खूब नौकर चाकर काम करते थे । जमीदार बहुत बुद्धिमान और नेक इंसान था । परंतु उसके दो पुत्र थे। दोनो

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