नई दिल्ली: इंडिया टीवी के मालिक और मीडिया में बड़ा रसूख़ रखने वाले टीवी पत्रकार रजत शर्मा कुछ समय से खुद ही ख़बर बने हुए हैं। दरअसलत, साल 2000-2001 में स्टार प्लस टीवी पर सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ‘कौन बनेगा करोड़पति’ नाम का शो लेकर आते थे। इस शो में कुछ प्रतिभागियों को अमिताभ बच्चन ने करोड़पति बनाया तो कई को लखपति। स्टार प्लस ने भी इस शो के एवज में अमिताभ बच्चन को मोटी रकम दी लेकिन उससे भी ज्यादा रकम दूरदर्शन ने टीवी पत्रकार और इंडिया टीवी के मैनेजिंग एडिटर रजत शर्मा को दिया। स्टार प्लस ने कई महीने शो होस्ट कराने के बाद अमिताभ बच्चन को करोड़ रुपये बतौर फीस दी लेकिन सरकारी टीवी चैनल दूरदर्शन ने दो महीने में ही रजत शर्मा को करोड़पति बना दिया। दरअसल, नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) के दूसरे शासनकाल में जब रजत शर्मा के दोस्त अरुण जेटली सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री थे तब दूरदर्शन ने उन्हें ‘सात से नौ’ नाम का शो करने के लिए खूब पैसे दिए। यह शो सप्ताह में पांच दिन सुबह में प्रसारित होता था।
संसद में उठा सवाल
देश के प्रतिष्ठित अख़बार जनसत्ता की मानें तो, साल 2000 में ही जब वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर (जो उस वक्त राज्य सभा के सदस्य थे) ने संसद में एक सवाल पूछकर दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले सभी समाचार और करंट अफेयर्स से संबंधित शो और उसके प्रोड्यूसर्स (कंपनी और व्यक्ति) और उन्हें दी जाने वाली मासिक रकम के बारे में जानकारी मांगी थी। जब संसद में यह जानकारी सार्वजनिक की गई तो आंकड़े चौंकाने वाले थे।
'द कारवां' पत्रिका ने टीवी पत्रकार रजत शर्मा को किया बेपर्दा
आंकड़े जारी होने के बाद एक अन्य पत्रकार जल खंबाटा ने इसे एक मित्र द्वारा दूसरे मित्र को परोपकार में दी गई रकम करार दिया। खंबाटा ने एक प्रतिष्ठित पत्रिका ‘द कारवां’ को बताया कि तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री अरुण जेटली ने अपने कॉलेज के दिनों के दोस्त और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में साथ-साथ रहे और अब के इंडिया टीवी के मौनेजिंग एडिटर रजत शर्मा को दोस्ती के नाम पर सरकारी ईनाम दिया था। वो कहते हैं कि शर्मा उसी समय कौन बनेगा करोड़पति नामक चर्चित शो कर रहे अमिताभ बच्चन से भी ज्यादा पाने में कामयाब रहे। दूरदर्शन ने रजत शर्मा को दो महीने में ही करोड़पति बना दिया। उन्हें हर महीने 55 लाख रुपये दिए जाते थे, जबकि वो दूरदर्शन के सारे संसाधनों का ही इस्तेमाल करते थे।
दोस्त हो तो अरुण जेटली जैसा
टीवी पत्रकार रजत शर्मा को ये पैसे इंडिपेन्टेन्ट मीडिया प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी के जरिए मिलते थे जिसे उन्होंने अपनी पत्नी रितु धवन के साथ मिलकर 1997 में बनाया था। कंपनी बनाने के पीछे उद्देश्य यह था कि रजत शर्मा पर कोई भी व्यक्तिगत तौर पर उंगली न उठा सके। कारवां में लिखा गया है कि 13 दिनी सरकार के बाद अटल बिहारी वाजपेयी जब दूसरी बार प्रधानमंत्री बने तब रजत शर्मा की पहुंच सीधे प्रधानमंत्री निवास तक हो गई। इसकी वजह वाजपेयी जी की दत्तक पुत्री नमिता कौल थीं। नमिता के साथ भी रजत शर्मा की दोस्ती पुरानी थी। दोनों छात्र राजनीति में साथ-साथ थे। बाद में जब नमिता की शादी बिजनेसमैन रंजन भट्टाचार्य से हुई तब रजत शर्मा और पॉवरफुल हो गए क्योंकि उनकी दोस्ती न केवल नमिता कौल से थी बल्कि उनके पति रंजन भट्टाचार्य से भी थी। भट्टाचार्य और रजत शर्मा दोनों कॉलेज और यूनिवर्सिटी के समय से दोस्त थे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि रजत शर्मा की राजनीतिक पहुंच और रसूख कहां तक थी।
57 वर्षीय रजत शर्मा अरुण जेटली के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी क़रीबी माने जाते हैं। पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने अपनी किताब ‘द इलेक्शन दैट चेंज्ड इंडिया’ में लिखा है कि नरेंद्र मोदी पुराने दिनों से ही शर्मा को निजी बातचीत में “पंडितजी” कहते हैं। राजदीप सरदेसाई की मानें तो प्रधानमंत्री बनने के बाद भी मोदी उन्हें निजी तौर पर इसी नाम से पुकारते हैं। मोदी से शर्मी की नज़दीकी का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि गुजरात दंगों के बाद जब नरेंद्र मोदी सूबे के सीएम बने तो उनके शपथ ग्रहण समारोह में शर्मी भी मंच पर थे। इतना ही नहीं इस समय नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी टीवी स्टार बनने से पहले शर्मा के साथ समाचार चैनल में काम कर चुकी हैं।
रजत शर्मा की कंपनी में लगा गौतम अडानी और अंबानी का पैसा
द कारवां में छपे लेबे आ लेख के अनुसार रजत शर्मा की नज़दीकी नेताओं की लिस्ट लंबी है। नेताओं के साथ ही कारोबारियों से भी शर्मा के अच्छे संबंध रहे हैं। द कारवां मैगजीन की मानें तो शर्मा को एक जमाने में खुद को उद्योगपति धीरू भाई अंबानी का “तीसरा बेटा” बताया करते थे। आज भी उनकी कंपनी इंडपेंडेंट न्यूज सर्विस (इंडिया टीवी की मालिक) में गौतम अडानी और मुकेश अंबानी की कंपनियों का निवेश है।