नई दिल्ली : एयरसेल-मैक्सिस मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम पर सीबीआई का शिकंजा कस चुका है। आरोप है कि यूपीए सरकार के दौरान चिदंबरम ने फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड के अध्यक्ष पद पर रहते हुए अपने बेटे की कंपनी को लाभ पहुंचाया था। लगता है चिदंबरम की मुश्किलें यहीं तक ख़त्म होने वाली नहीं हैं। यूपीए सरकार के दौर में नागरिक उड्डयन मंत्री रहे एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने एयर इंडिया डील मामले में चिदंबरम को भी घसीटने का प्रयास किया है।
'एयर इंडिया विमानों की खरीद का फैसला सिर्फ मेरा नहीं'
यूपीए सरकार के दौरान प्रफुल्ल पटेल साल 2004 से 2011 के बीच नागरिक उड्डयन मंत्री थे। ख़बरों के अनुसार अब इस मामले को लेकर एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल का कहना है कि विमानों की खरीद का फैसला सिर्फ मेरा फैसला नहीं था बल्कि ‘विमानों की खरीद के ऑर्डर को पी चिदंबरम की अध्यक्षता वाले अधिकार प्राप्त मंत्रिसमूह (ईजीओएम) ने मंजूरी दी थी और विलय को प्रणब मुखर्जी की अगुवाई वाले ईजीओएम ने स्वीकृति दी थी। मंत्रिसमूह (ईजीओएम) में उस वक्त कौन-कौन नेता थे। अब दूसरा सवाल है लेकिन अगर सीबीआई इस अमले में जाँच की दिशा में बढ़ती है तो कांग्रेस समेत यूपीए सरकार में शामिल अन्य दलों के नेता भी सवालों के घेरे में आ सकते हैं।
चिदंबरम के हस्ताक्षर वाला पत्र, स्रोत आउटलुक
52,000 करोड़ के घाटे में एयर इंडिया
एयर इंडिया भारी-भरकम घाटे से जूझ रही है और अब अपनी उड़ानों में इकॉनमी क्लास के खाने में सलाद हटाने पर विचार कर रहा है ताकि किसी तरह एयर इंडिया को घाटे से उबारा जा सके। वर्तमान में एयर इंडिया पर लगभग 52,000 करोड़ रुपये की देनदारी है जिसमें से अकेले ब्याज ही 4,000 करोड़ रुपये सालाना है। मौजूदा सरकार के प्रयासों के बाद भी एयर इंडिया को सालाना 3,000 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है।
मामले में तीन FIR के बाद प्रफुल्ल की कर सकती है सीबीआई जांच
एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइन्स के विवादास्पद विलय मामले में कुछ दिन पहले ही सीबीआई ने तीन एफआईआर दर्ज करने के बाद दोनों विमानन कंपनियों द्वारा 111 विमानों की खरीद मामले में सीबीआई पूर्व नागर विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल की भूमिका की जांच कर सकती है। सीबीआई का कहना है कि मनमोहन सरकार द्वारा 2006 में 111 विमानों की खरीद का फैसला लिया गया जो 70,000 करोड़ का था।
डील पर सीएजी ने उठाये से सवाल
साल 2011 में सीएजी ने 111 विमानों की खरीद पर भी सवाल उठाये थे। आरोप यह भी लगे थे कि इस डील में विदेशी कंपनियों को लाभ पहुँचाया गया। साल 2006 में हुई इस डील में 48 एयरबस और 68 बोईंग खाईदे जाने थे। साथ ही सीएजी ने एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइन्स के विलय की टाइमिंग पर भी सवाल उठाये थे।
एयर इंडिया के एमडी ने उठाये थे सवाल
16 मार्च 2006 को तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइन्स के विलय की प्रक्रिया शुरू की थी। 22 मार्च 2006 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सामने उन्होंने प्रजेंटेशन भी दिया था। एयर इंडिया के एमडी अश्विनी लोहिनी ने कंपनी के खस्ता हालत को लेकर तत्कालीन सरकार को जिम्मेदार ठहराया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने किया था एयर इंडिया को उबारने का दावा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने एक भाषण में कहा था कि मेरी सरकार ने एयर इंडिया को 2015-16 में 105 करोड़ रुपये के मुनाफे में ला दिया है। लेकिन वर्तमान सरकार के दावों को डिप्टी कैग प्रदीप राव ने नकार दिया सीएजी ने कहा ‘वर्ष 2015-16 में एयर इंडिया ने करीब 105 करोड़ रुपये का परिचालन मुनाफा दिखाया है जबकि वास्तव में कंपनी को 321.4 करोड़ रुपये का परिचालन घाटा हुआ था।
इससे पहले एयर इंडिया' के कर्मचारियों ने पत्र वित्त मंत्री अरुण जेटली को सामूहिक रूप से एक हस्ताक्षरित पत्र लिखा। जिसमे उन्होंने लिखा 'आपने हमला करने के लिए हमें चुना जबकि हम एयर इंडिया का फिर से पुनर्निर्माण कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एयर इंडिया की इस हालत के लिए तो 2004 से 2014 तक राज करने वाले नेता जिम्मेदार हैं।