नई दिल्ली : यूपी की समाजवादी पार्टी की सरकार में राम नाम की लूट मची हुई है. कभी सड़क बनाने के नाम पर तो कभी विकास के नाम पर. जिसके चलते विकास के नाम पर साल 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में जनता के बीच वोट मांगने जा रही सपा सरकार को अपने मुंह की खानी पड़ सकती है. दरअसल बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता आईपी सिंह ने अखिलेश के ड्रीम प्रोजेक्ट 'एक्सप्रेस-वे' में हो रही अरबों रुपये की लूट को लेकर पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर उनसे इस सड़क की जाँच सीबीआई और कैग से कराये जाने की मांग की है. उधर इलाहाबाद में इस मामले की जाँच को लेकर बीजेपी प्रवक्ता ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर करने का मन बनाया है.जिसके चलते सपा सरकार की 'एक्सप्रेस वे' योजना विवादों में घिरती जा रही है.
बीजेपी प्रवक्ता ने पीएम को लिखी चिट्ठी
पीएम नरेन्द्र मोदी को भेजी गयी चिट्ठी में सिंह ने लिखा है कि इस प्रोजेक्ट में मची लूट के मुख्य किरदार की भूमिका सीएम के बेहद करीबी कहे जाने वाले अफसर नवनीत सहगल हैं. जिन्होनें रोड में काश्तकारों की जमीनों को सस्ती दरों पर अधिग्रहित कर करोड़ों का वारा-न्यारा कर डाला है. बताया जाता है कि जिसके चलते सहगल की यह सड़क सोने की परत वाली सड़क से भी महंगी हो गयी है. बीजेपी प्रवक्ता ने चिट्ठी में यह भी लिखा है कि सड़क के मानक कि जाँच केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के मनको के अनुरूप आईआईटी दिल्ली और रुड़की से कराई जानी चाहिए. बीजेपी प्रवक्ता का आरोप है कि 6 महीने से वह सरकार से सूचना अधिकार नियम के तहत जानकारी मांगते रहे, लेकिन हर बार उन्हें लालीपाप थमाया जाता रहा.
302 किलोमीटर लंबी 6 लेन की लागत 9056 करोड़ रूपए
यूपी सरकार के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल के ट्वीट के मुताबिक 302 किलोमीटर लम्बी इस 6 लेन एक्सप्रेसवे की लागत 9056 करोड़ रूपए है. यानि प्रति किलोमीटर एक्सप्रेसवे की लागत 30 करोड़ रूपए है. लेकिन केंद्र सरकार के एस्टीमेट से तुलना की जाए तो यूपी की सड़क बहुत महंगी है. केंद्र सरकार की नेशनल हाईवे अथॉरिटी (NHAI ) की 6 लेन सड़क की लागत 18 करोड़ प्रति किलोमीटर है.
दुनिया में कहीं भी नहीं बनी इतनी महंगी सड़क
इसी तरह 4 लेन सड़क की लागत 13 -14 करोड़ प्रति किलोमीटर है. सूर्य प्रताप सिंह कहते हैं कि अगर यूपी सरकार की जमीन अधिकरण करने की कीमत जोड़ दी जाए तो प्रति किलोमीटर एक्सप्रेस-वे की लागत 60 -70 करोड़ रूपए की आसपास आएगी. इतनी महेंगी सड़क दुनिया में कहीं नही बनी होगी.
"मै फिलहाल ये देख रहा हूँ की अगर एक किलोमीटर सड़क पर सोने की प्लेटिंग की जाय तो कितनी कीमत आएगी. मेरी टीम इसका हिसाब लगाने में जुटी है. मुझे लगता है कि सोने की परत वाली सड़क, सहगल की सड़क से सस्ती होगी," सूर्य प्रताप ने यूपी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट पर कटाक्ष करते हुए कहा.
सड़क के नाम पर अरबों की लूट
अगर यूपी के पूर्व आईएएस और CAG बोर्ड के सदस्य सूर्य प्रताप सिंह की माने तो अखिलेश सरकार ने इस प्रोजेक्ट के ज़रिये अरबों रूपए की लूट की है. उन्होंने 'इंडिया संवाद' को फोन पर बताया कि "काली कमाई के इस नए मामले को मै CAG के बोर्ड की अगली मीटिंग में उठाऊँगा. ये सड़क यूपी में गले तक पहुंचे भ्रष्टाचार का नया सबूत है. इस घपले के सूत्रधार अखिलेश के खासम ख़ास अफसर नवनीत सहगल हैं.
क्या कहना है संस्था का ?
उधर एक्सप्रेस-वे का निर्माण करने वाली यूपी सरकार की संस्था उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी का कहना है कि 6 लेन सड़क को 8 लेन किया जा सकता है. यही नही इस सड़क पर आपातकालीन स्थिति में फाइटर प्लेन उतारे जा सकते हैं जिससे एयर फाॅर्स के लिए भी ये उपयोगी है. अथॉरिटी का कहना एक्सप्रेस-वे कि जो लागत बढ़ी वो प्रोजेक्ट को जल्द करने की वजह से बढ़ी है. इस बाबत 'इंडिया संवाद' से बात करते हुए फोन पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबी प्रमुख सचिव नवनीत सहगल ने बताया कि यह योजना ग्रीन फील्ड प्रोजेक्ट है. इसलिए सड़क बनाने पर जो लगत आयी है. वह मुनासिब है. सहगल ने कहा कि राज्य सरकार किसी भी तरह की जाँच के लिए तैयार है.