वो क्षितिज है
जमी ओर आसमां जहां मिलते दिखाई देते है
जहाँ पंक्षीयो के मधुर गीत सुनाई देते है
जहां पर्वत से नदिया अठखेलियाँ करती दिखाई देती है
जो कवि की कल्पनाओ को देता आकार है
ना जमी है ना आसमान है
वो क्षितिज है जिसका सब पर राज है
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)