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मैं क्षितिज हूँ

22 दिसम्बर 2022

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 सीमित ऊर्जा का विस्तार हूँ  

मैं क्षितिज हूँ मैं स्वंय में एक राज हूँ 

ना जमीं ना आसमां  

मैं क्षितिज हूँ ‘‘क्षितिज राज‘‘ हूँ 

 सुशील मिश्रा ‘‘क्षितिज राज‘‘  

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रचनाएँ
ऋतूराज
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यह किताब मेरी कल्पना में आये विचारो की एक माला है जो पाठको पड़ते समय ऐसी लगेगी जैसे यह सब उन्ही के जीवन में कभी घटित हुआ हो
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जल

20 दिसम्बर 2022
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जल जीवन जीवन की धारा है इस धारा को घर घर पहुंचाना है लक्ष्य हम ने बस यही ठाना है हर घर जल पहुंचाना है गांव गांव ओर शहर शहर हर डगर नगर ओर बस्ती में पहुंचाने का संकल्प लिया

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हर दिन नया खेला है

21 दिसम्बर 2022
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किस बात का गम प्यारे हर दिन नया खेला है जो बात समझ गया इतनी सी उस का हर दिन मेला हैरास्ता है तो मंजिल भी होगी कभी सुलझन तो कभी उलझन भी होगी कभी कोई सपना देखेगी आंखे कभी क

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मैं क्षितिज हूँ

22 दिसम्बर 2022
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 सीमित ऊर्जा का विस्तार हूँ   मैं क्षितिज हूँ मैं स्वंय में एक राज हूँ  ना जमीं ना आसमां   मैं क्षितिज हूँ ‘‘क्षितिज राज‘‘ हूँ   सुशील मिश्रा ‘‘क्षितिज राज‘‘  

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मंजिल

22 दिसम्बर 2022
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जो है दिखाई देता क्या वह सच है   क्या सच है जो दिखाई देता है   फिर ये असमंजस कैसा है   है सच तो ये यकीन क्यो नहीं है   तेडे मेडे से होते है रास्ते मंजिल के   पर जब भी देखे आँखे   रस्ते सीधे दिखा

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मुक्त कर देना

22 दिसम्बर 2022
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मुक्त कर देना  जब अपने आप को गहराई में पाओ  जब स्वयं को भी समझ ना पाओ  बिखरने लगे सारे बन्द  ओर घोर तिमिर आंखो के समक्ष आये तो  मुक्त कर देना स्वयं को ...  सुशील मिश्रा ‘‘क्षितिज राज ‘‘  

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वो क्षितिज है

22 दिसम्बर 2022
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वो क्षितिज है जमी ओर आसमां जहां मिलते दिखाई देते है  जहाँ पंक्षीयो के मधुर गीत सुनाई देते है  जहां पर्वत से नदिया अठखेलियाँ करती दिखाई देती है  जो कवि की कल्पनाओ को देता आकार है  ना जमी है ना आ

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सुन्दर वन

22 दिसम्बर 2022
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सुन्दर से वन में  हम घुमे जरा  हिरणे ले रही थी  घुम -घुम कर ताजी हवा का मजा  और आगे चले  हम जरा  देखा वह सुन्दर नजारा मौत अपने पंख पसारे  नाच रहा था यहां- वहां उस सुन्दर से वन में  हम घुमे

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अम्बर तक जाओगे

22 दिसम्बर 2022
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जिसने चुनौतियों का वरण ना कर  सहज भाव में जीवन को स्वीकार किया  क्या उसने जीवन का आनंद लिया  जो खुद को गर ना कर पाये  जीवन में रोमांचित तो क्या तुमने खाक जीवन का रसपान किया  सहज सरल रहे जो सिर्फ

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