नई दिल्ली : मई 2010 में अमरीका मिशिगन विश्वविद्यालय के वै ज्ञान िकों ने दावा किया था कि उनके पास भारत के ईवीएम को हैक करने की तकनीक है. वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि ऐसी एक मशीन से होम मेड उपकरण को जोड़ने के बाद पाया गया कि मोबाइल से टेक्स्ट मैसज के जरिए परिणामों में बदलाव किया जा सकता हैय
यह दावा तब किया जब 2009 में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भी ईवीएम को लेकर संदेह जताया था और परम्परागत मत्रपत्रों की वापसी की मांग की थी.
हालांकि कि इसके जबाव में पूर्व चुनाव आयूक्त टीएस टीएस कृष्णमूर्ति ने कहा है कि जो मशीन भारत में इस्तेमाल की जाती है , वो मजबूत मशीनें है. और मुझे नहीं लगता कि उन्हे हैक किया जा सकता है. वहीं पूर्व चुनाव अधिकारी रहे प्रभात चतुर्वेदी कहते है कि ऐसा हो सकता है कि पोलिंग बूथ पर मशीन चलाने वाले ठीक से इसे चला न पाएं लेकिन मतदान से पहले इन मशीनों को कड़ी जांच से गुजरना पड़ता है.
उन्होनें कहा कि ईवीएम मशीनों से छेड़छाड़ जैसे कई मामले अदालत में है ये आरोप साबित नहीं किए जा सके और सुप्रिम कोर्ट ने ऐसे कई मामलो को खारिज़ कर दिया था.
सवाल ये है कि क्या ईवीएम से छेड़छाड़ की जा सकती है ?