किसान एवं रोजगार कि राजनीतिक बहस और बदलते समीकरण
ये विषय कोई नयी बात नहीं, पर बहस कि तीव्रता जरूर कुछ नयी है । किसान को अन्नदाता का दर्जा देने वाली इन राजनैतिक पार्टियों एवं इनके नेताओ को वोट के सिवाए इस बहस से कुछ और हासिल करना है, इसमें हर किसी को शक है । फिर ये नेता किसी भी पार्टी के क्यों न हों । बहरहाल आजकल आप इस बहस का रोजाना आंनंद ले सकते ह