shabd-logo

अम्मा।

26 फरवरी 2024

1 बार देखा गया 1
री अम्मा,  कैसी है री तू,
सहती हर  गम,  खुद ही,
सबको रखती है खुश तू
री अम्मा ,कैसी है री तू।

कभी न करती ,अपना पराया ,
भर लेती ऑचल मे सब कू,
जो  भी आ जाता तू,
ऐ री अम्मा , कुछ  तो बता न ,
ऐसे कैसी है री तू।

आती धूप ,जो देखती मुझ पर ,
साया बन जाती, वन सा  तू,
बचाती हर ताप से मुझको तू,
ओ अम्मा,  ऐसी कैसै है री तू।

जो  तनिक भी ,देखती  दुख मे,
अंजली  सुख की ,भर लाती यूं
बता न ओ री अम्मा  ,
यह सब कैसे कर लेती तू
अम्मा कैसी है  री तू।

नजर बुरी से बचा कर रखती,
लगा कर काला टीका  यूं
कितने जादू कर सकती हो ,
सब बतला न तू ,
हा मुझको सब बतला न तू,
 कि ,ऐसे कैसी है री तू।

खातिर सब की, खुद  सब  सहती
पूछो तो भी ,कुछ न कहती ,
सबकी कि खातिर,सब कुछ  सहती
जरा न करती उ,
ओ री अम्मा,  कैसी है री तू।

भूख दूजो की देख,सोचकर 
कहती जाने  मुझको, भूख नही है क्यूं,
ओ री अम्मा  सच बतला न ,
कि  खुदा  ही  है  न  तू
हाॅ सच मे खुदा सी है अब  तू।

मै तेरे ,इन उपकारो को,
जान समझकर ,देख परख कर
नतमस्तक होता हू यूं
जानकर नही बतलाएगी  तू,
कि ऐसे कैसी है री  तू।
अम्मा,  ऐसी ही ,रहना तू।


Sandeep Sharma 
Dedicated  to my beloved  mom 
..........          ......       .........
Dear friends. Pl like 👍 👌 or 
dislike 👎 
N
Pass comments. 
Thanks.
Jai shree Krishna 👍 🙏.
17
रचनाएँ
कविताए मेरी हर रोज की।
0.0
रोजमर्रा की शब्दांजली। आपके रूबरू। मौलिक रचनाकार, संदीपशर्मा।।
1

वचन।

26 फरवरी 2024
2
1
1

देना वचन तभी गर निभा सको,पर ठहरो, आवेश मे आ कर तो कभी न दो।।वचन दिया था पितामह भीष्म ने,रह तो गई थी ख्याति पर,परिणाम गंभीर थे।।दिया त्रेता मे भी एक वचन दशरथ ने था,परिणाम गए प्राण,सबब,वचन से ही था

2

जो तुम साथ हो।।

26 फरवरी 2024
1
1
1

जीवन ख़्वाब सा लगे,होते पूरे एहसास लगे,पंख अरमानों के लगे, जो तुम साथ होजीवन आसान सा लगे।।कमी कोई न लगे, पूरी हर बात लगे,न लगे अधूरापन, जो तुम साथ होबात हर खास लगे ।।रात दिन सी लगे,गम खिन्न से लगे,जोश

3

खुशियों के बहाने।।

26 फरवरी 2024
1
2
1

अरे हो क्या गया है,राम जी ही जाने,,कम पड़ने लगे है,क्यूं,ये, खुशियों के बहानें।।देखा खुशी मे भी ,जब उतरा हुआ चेहरा,अंदर शायद उमड़ा था,,समंदर गम का गहरा।।यह मजबूरियाँ भी आखिर, जाती नही है क

4

उसने कहा।

26 फरवरी 2024
1
2
0

पूछा उसने इश्क है क्या ?हमने कहा,आजमा के देख।।कहने लगी,झूठा तो नही,हमने कहाँ ,यह ऑखे देख।।उसने कहा,,नम सी है ,,हमने कहा दर्द तो देख।।उसने कहा,शक सा है,हमने कहा, शक से न देख।।कहने लगी, फिर तन्हा क्यूं,

5

कृष्ण की गुहार।

26 फरवरी 2024
1
1
0

ओ री मैया, भोली मैया, कब भेजोगी, वन तुम मैया ,चराने को बछड़े और ये गैया,बता न ओ री भोली मैया,प्यारी मैया ,दुलारी मैयाकब भेजोगी चराने गैया।।देख तो ग्वाल,बाल चलत है,लठिया, साफा, भाल लकट है,तू छल मौ

6

खत बेनाम सा।

26 फरवरी 2024
0
1
0

खत आया जो,वो जिन्दगी के नाम था,पता संबोधन सब लगा बेनाम था।।आया जरूर वह डाकिया दर मेरे,,पर नाम लिखा वो था, अनजान स्नेहे,।।लिखावट खत की वो जानी पहचानी सी,पढ़ा मजमून जो मेरी कहानी थी।।पै

7

तो फिर।

26 फरवरी 2024
0
1
0

तो फिर इक ख़्याल चला आया ख़्वाब था वो कोई और,नींद मे जो आया, अजमाइश शायद मेरी ,करना था चाहता,कि चैन से सोने का, तो नही मेरा वास्ता।।=/=संदीप शर्मा।।

8

अम्मा।

26 फरवरी 2024
0
1
0

री अम्मा, कैसी है री तू,सहती हर गम, खुद ही,सबको रखती है खुश तूरी अम्मा ,कैसी है री तू।कभी न करती ,अपना पराया ,भर लेती ऑचल मे सब कू,जो भी आ जाता तू,ऐ री अम्मा , कुछ तो बता

9

अद्भुत सुन्दरता।।

26 फरवरी 2024
0
1
0

अद्भुत सुन्दरता, सम्मोहन है,गम की बातो मे,पूछे तो कोई, सहलाए ज्योंही, मलहम लगते है,दो शब्द स्नेह के, जो कह दिए जाए, अपनत्व के एहसासों से।।पर ध्यान से,रहना न परेशान से,,क्योंकि,,सौंदर्य,सुकून का भी,सौद

10

गुनहगार।

26 फरवरी 2024
1
1
0

हुस्न वालो का इश्क, नाज रहा,हमारा इश्क ,सरेआम बदनाम रहा,वो तो बस्ती भली थी कोई, जिसमे पत्थर न उठाया,किसी ने, जबकि मै गुनहगार रहा।।=/=संदीप शर्मा।।

11

हवाई यात्रा।

27 फरवरी 2024
0
1
0

हवाई यात्रा इक ख़्वाब रहा,पैदल सफर तमाम रहा,,दौड़ता रहा बेसबब, मंजिल का न अंदाज रहा।।आए मोड़ कई मगर,न मंजिल न पडाव रहा,व्यस्तता रही दौड़ की,कैसे तैसे का सवाल रहा।।बात तो गुरब्बत की थी,अमीर को कहा

12

उम्मीद न कर।

27 फरवरी 2024
0
1
0

मुश्किलों का दौर है संभल कर चल, अपनों का ही शोर है, संभलकर चल।। माना लिपटी,दुश्वारियां, तुझ से लय दर्प, सी, विषधर का ही तो शहर है ,सिमट कर चल।। है तो खड़े, डसने को विष लिए भुजंग ,, तू बात कर रहा,अमृत

13

भयानक रात।

28 फरवरी 2024
0
1
0

ईश्वर न करे आए कोई भयानक रात जीवन मे, पर यह कतई मुमकिन नही,किसी के भी जीवन मे।। आना दुख का मन के सुख का होता है छिन जाना, भयभीत करते वो सब मंजर, खेद होता ,डर जाना।। छिन जाते है,अपने निज से,नही चाहते च

14

वक्त।

1 मार्च 2024
0
0
0

वक्त मांगता ,वक्त रहा, और उसे वक्त मिला ही नही।। तमाम परेशानियाँ थी सबब, पर दखल मिला ही नही।। वो जो वक्त के बाजीगर थे, बैठे वो भी हारकर, वक्त खुद मिसाल था, वक्त के हिजाब पर।। वक्त की शय को, मात केवल

15

सुलगते पत्थरों पर।।

28 फरवरी 2024
0
1
0

मानसरोवर साहित्यिक मंच के प्रतियोगितार्थ।।दिनांक:28/02/24.शीर्षक "सुलगते पत्थरों पर।"सुलगते पत्थरों पर बैठे है बेेच ईमान सभी,जल उठती है बूंद भी गिरती जो शांत सी भी कभी।।धीरज खो हमारा रह रह सब ही जाता

16

वक्त।

1 मार्च 2024
0
0
0

वक्त मांगता ,वक्त रहा, और उसे वक्त मिला ही नही।। तमाम परेशानियाँ थी सबब, पर दखल मिला ही नही।। वो जो वक्त के बाजीगर थे, बैठे वो भी हारकर, वक्त खुद मिसाल था, वक्त के हिजाब पर।। वक्त की शय को, मात केवल

17

खोज

1 मार्च 2024
0
1
0

खोज करता ही रहा हर कोई, तलाश महज सुकून की थी,,दौड़ भी विचारों की रहीवो भी तो बेसुकून सी ही थी।।=/=संदीप शर्मा। Insta id, Sandeepddn71.

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए