ईश्वर न करे आए कोई भयानक रात जीवन मे,
पर यह कतई मुमकिन नही,किसी के भी जीवन मे।।
आना दुख का मन के सुख का होता है छिन जाना,
भयभीत करते वो सब मंजर, खेद होता ,डर जाना।।
छिन जाते है,अपने निज से,नही चाहते चाहना,
तब भी भयानक, रात है आती,करे क्या, भय न जाना।।
यह सब बस मे कही न अपने ,कैसे इससे बच पाना,
बस भरोसा उस ईश्वर पर जिसने इससे बचाना।।
कई भयानक राते काटी ,बेवजह ही क्या बताना,
बस.सिहरन ही याद दिलाती,मुश्किल है भूल पाना।।
विनती रब से एक ही मेरी, न ऐसी रात कोई लाना,
जीवन डोर हाथ तुम्हारे, सुख ही बस अब लाना।।
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संदीप शर्मा।।