28 जुलाई 2017
"मुक्तक " (मापनी- 1222 1222 1222 1222 कहीं पानी कहीं नाविक कहीं पवन घिर आई है कहीं बरस कर बरखा नभ घिरी काली अ-स्माई है डगर शहर घर डूब गए अनिल डूब घिर बहत मरुत रुक न पाये चित न भाए जिया जहमत रुलाई है॥ महातम मिश्र ‘गौतम’ गोरखपुरी