नई दिल्ली : ज्यादा बावर्ची खाना खराब करते हैं और ज्यादा नेता राजनीती. यूपी बीजेपी में कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है. पार्टी में थोक के भाव जहाँ सीएम की उम्मीदवारी के दावे पेश किये जा रहे हैं वहीँ बीजेपी के संगठन में भी सब कुछ ठीक ठाक नही है.कुछ महीनो पहले सर्वशक्तिमान माने जा रहे प्रदेश संगठन मंत्री सुनील बंसल की शक्ति अब शिकायतों के बोझ तले घटती जा रही है. यूं तो बंसल बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के शाही सवार बनकर दिल्ली से लखनऊ पधारे थे लेकिन वो पार्टी के घाघ नेताओं को एक साथ लेकर नही चल पाए. उनकी कार्यशैली से ज्यादा उनके मिज़ाज़ से काडर परेशान दिख रहा है.
बंसल और माथुर में जारी है शीतयुद्ध, कमल के खिलते फूल को कहीं पाला ना मार दे
युवा संगठन मंत्री बंसल की दूरियां यूपी के प्रभारी ओम माथुर से भी बढ़ी है. ओम माथुर खुद को अमित शाह से भी सीनियर मानते हैं. दिल्ली के अशोक रोड पर रहने वाले एक संघ नेता ने इंडिया संवाद को बताया की एक वक़्त था जब ओम माथुर गुजरात के प्रभारी थे. तब अमित शाह बिना दस्तक दिए माथुर के कमरे में दाखिल नही हो पाते थे. माथुर का इतना दबदबा था कि मोदी खुद पहले फ़ोन लाइन पर आते थे तब माथुर से काल कनेक्ट होती थी. गुजरात के दिनों से ही माथुर बेहद करीब हो गए थे मोदी के. इतने करीब क़ि , माथुर के इशारे पर पीएम बनते ही मोदी ने राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के 'सुरखाब वाले पर' एक झटके में कतर डाले थे.
मोदी के सारथि माथुर खुद को समझते हैं सुपीरियर
सत्ता की इन्ही सुनहरी यादों के चलते, माथुर ने कभी बंसल को भाव नही दिया. हालांकि संघ के अनुशासन से बंधे बंसल और माथुर सार्वजनिक मंच पर अब तक एक रहे हैं लेकिन दोनों के भीतर शीतयुद्ध से कोई इनकार नही कर सकता है. यूपी के इन दो अहम पदाधिकारियों के बीच में केंद्र के सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश हैं. शिव प्रकाश संगठन यानी संघ के नज़रिये से यूपी में बीजेपी की गतिविधियों पर नज़र रखते हैं. उनकी राय किसी भी मुद्दे पर अपनी छाप छोड़ सकती है. लेकिन शिव प्रकाश, जिन्हें राजनाथ सिंह का नज़दीकी कहा जाता बंसल और माथुर दोनों से दूर हैं. सच तो ये है क़ि यूपी से जुड़े इन तीनो अहम पदाधिकारियों के बीच रिश्ते अच्छे नही हैं जिसके चलते चुनाव के समय पार्टी पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. यही नही तीनो सारथियों को पूर्वांचल या अवध क्षेत्र की ग्राउंड सिचुएशन भी पूरी तरह से नही मालूम है.
नेता का झगड़ा दिख जाता है पर संघ के संगठन मंत्रियों की खींचतान भीतर ही भीतर ही पार्टी को निचोड़ देती है
एक तरफ जहाँ पार्टी मायावती और अखिलेश के सामने कोई चेहरा नही रख सकी वहीं संगठन की कलह अब बीजेपी के लिए चिंता बनती जा रही है. सूत्रों के मुताबिक अब तक ये जानकारियां लखनऊ तक सीमित थीं लेकिन अब ये खबर पीएमओ तक पहुँच गयी हैं. प्रधानमंत्री मोदी जिस तरह से यूपी में सक्रीय हो रहे हैं वो जल्द ही इस मामले पर अमित शाह की क्लास लेंगे. बीजेपी किसी कीमत पर यूपी हारना नही चाहती है. वैसी भी ज़माने भर बाद उत्तर प्रदेश में कमल खिलता नज़र आ रहा है.